- मोहन सरकार के संपर्क में अमेजन-वॉलमार्ट और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां
- गौरव चौहान
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा बजट में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर यानी जीसीसी के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की घोषणा की गई , लेकिन इससे एक दिन पहले ही प्रदेश सरकार इस जीसीसी पॉलिसी को मंजूरी दे चुकी थी। इसकी वजह है सरकार का रोजगार पर फोकस करना। दरअसल, प्रदेश में एक साल में 50 से अधिक जीसीसी सेंटर खोलना है। इससे प्रदेश में 37 हजार से ज्यादा रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। यही वजह है कि सरकार माइक्रोसॉफ्ट, अमेजन और वॉलमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के संपर्क में बनी हुई है। इन कंपनियों को प्रदेश में लाने के लिए ही प्रदेश सरकार ने जीसीसी पॉलिसी में कई तरह की छूट का प्रावधान किया है। इसके लिए कंपनियों को पूंजी निवेश पर 40 फीसदी अनुदान दिया जाएगा। इसकी अधिकतम सीमा 30 करोड़ रुपए तय की गई है।
पांच साल में 45 लाख लोगों को रोजगार के अवसर
भारत की जीसीसी के मार्केट में 50 फीसदी से ज्यादा की हिस्सेदारी है। साल 2023 में यह सेक्टर 46 अरब डॉलर का था, जो 2030 तक 110 अरब डॉलर से ज्यादा का होने की संभावना है। इस समय देश में 1,600 से ज्यादा जीसीसी काम कर रहे हैं, जहां 19 लाख से ज्यादा पेशेवर लोग हैं। एक्सपट्र्स का अनुमान है कि 2030 तक देश में 2400 से ज्यादा जीसीसी हो जाएंगे, जिनमें 45 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। रोजगार की संभावनाओं को देखते हुए मप्र ने भी इसमें भागीदारी की है। विधानसभा में पेश किए आंकड़ों के मुताबिक एमपी में करीब 26 लाख बेरोजगार हैं।
आईटी में तेजी से उभर रहा मप्र
आईटी सेक्टर में मप्र तेजी से उभर रहा है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले तीन साल में आईटी कंपनियों के प्रोडक्ट निर्यात में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। स्टाफिंग फर्म टीमलीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगले 5 साल में जीसीसी सेक्टर में ज्यादा ग्रोथ होगी। इनमें से ज्यादातर जीसीसी अहमदाबाद, वडोदरा, इंदौर, जयपुर जैसे टियर-2 शहरों में खुलेंगे। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि 86 फीसदी भारतीय बिजनेस आईटी कर्मचारियों की री-स्किलिंग कर रहे हैं। 2026 तक देश की जीडीपी में आईटी सर्विसेज और प्रोडक्ट का योगदान 8 प्रतिशत हो जाएगा।
हर साल 50 हजार इंजीनियर होते हैं तैयार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार एमपी में 5 से ज्यादा एसईजेड, 15 से ज्यादा आईटी पार्क और 150 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और मेन्यूफैक्चरिंग इकाइयां हैं। साथ ही 2 लाख से ज्यादा आईटी प्रोफेशनल्स हैं। एमपी के तीन सौ इंजीनियरिंग कॉलेजों से हर साल 50 हजार से ज्यादा इंजीनियर पास आउट होते हैं। सरकार का मानना है कि ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स उनकी रोजगार की जरूरतों को पूरी कर सकते हैं।
आईटी सेक्टर को मिलेगी रफ्तार
जीसीसी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस साइबर सुरक्षा डेटा विश्लेषण पर कंपनियों को तकनीकी सुविधाएं मिलेंगी। नई नीति से आईटी सेक्टर को और रफ्तार मिलेगी। आईटी से जुड़ी देश ही नहीं बल्कि दुनिया की बड़ी कंपनियां मध्यप्रदेश में निवेश के लिए आकर्षित होंगी। यहां के स्किल्ड मैनपावर को दक्षिण के राज्यों या विदेशों में नौकरी के लिए नहीं जाना होगा। प्रदेश में ही नौकरी मिल सकेगी। प्रदेश में आईटी और आईटी से जुड़ी कंपनियों के अलावा ईएसडीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों के लिए भी इको सिस्टम तैयार किया जाएगा। इसका मतलब इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के डिजाइन, विकास और उत्पादन से संबंधित काम भी प्रदेश में ही हो सकेगा। इसमें सेमी कंडक्टर चिप्स, सर्किट बोर्ड, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलीकॉम उपकरण और ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी चीजें बनेंगी। इससे सरकार की आमदनी बढ़ेगी और जीएसडीपी में भी ग्रोथ होगी।
यह हैं शर्तें
नीति के तहत जीसीसी की दो श्रेणियां होंगी। पहली श्रेणी के तहत लेवल वन के जीसीसी स्थापित करने के लिए न्यूनतम 15 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा। प्रत्येक जीसीसी में 100 से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने की भी अनिवार्यता रहेगी। इसी तरह से श्रेणी दो में एडवांस्ड जीसीसी के लिए निवेश की न्यूनतम सीमा 50 करोड़ रखी गई है। इनमें 250 से अधिक लोगों को रोजगार देना होगा।