भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उसके दोनों करीबी चेतन सिंह व शरद जायसवाल से पूछताछ में हो रहे खुलासों के बाद अब करीब ढाई दर्जन लोगों से भी पूछताछ की तैयारी की जा रही है। इन सभी को समन जारी किए जा रहे हैं। इसके अलावा सौरभ की मां के खिलाफ भी अलग से प्रकरण दर्ज किया जाएगा। फिलहाल अब तक की पूछताछ में लोकायुक्त को आधा सैकड़ा से अधिक बेनामी संपत्तियों का पता चला है।
छापेमारी के दौरान सौरभ के घर व ऑफिस से भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में प्रॉपर्टी के दस्तावेज मिले हैं, जिनमें से अधिकतर उसके रिश्तेदारों व करीबियों के नाम पर हैं, लेकिन उनके मूल दस्तावेज सौरभ के पास थे। इसी तरह से कई संपत्तियों की पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी दूसरों के नाम पर मिली हैं। इन संपत्तियों को लेकर सौरभ से पूछताछ हो चुकी है। इस दौरान वह इन्हें अपनी होने से इंकार कर चुका है। फिलहाल सौरभ और उसके साथी इन दिनों लोकायुक्त पुलिस की रिमांड पर है। रिमांड अवधि मंगलवार को समाप्त हो रही है। तीनों की एक बार फिर से लोकायुक्त पुलिस रिमांड पर देने की मांग कर सकती है। हालांकि लोकायुक्त पुलिस के सामने तीनों ही 52 किलो सोने और 11 करोड़ रुपए नकदी से लदी इनोवा कार अपनी होने से इंकार कर रहे हैं। इस मामले में चेतन का कहना है कि कार कागजों में उसके नाम थी, लेकिन इसका इस्तेमाल सौरभ और उसके लोग करते थे। उसका कहना हॅै कि कार की खरीदी में चेतन के डॉक्यूमेंट थे, लेकिन डाउन पेमेंट सौरभ ने चेक से दिया था। हर महीने की किस्त चेतन के बैंक खाते से कटती थी। सौरभ ने दावा किया कि यह कार चेतन की है और उसका इससे कोई संबंध नहीं है। उधर, पुलिस कार चालक प्यारे की तलाश में जुटी हुई है। उसका अब तक कोई सुराग नहीं लगा है।
देखी जा रही है तीनों की सीडीआर
लोकायुक्त पुलिस सौरभ शर्मा, शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौड़ की कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकाल रही है, ताकि यह साफ हो सके कि वे किन लोगों के संपर्क में सबसे अधिक रहते थे और फरारी के दौरान वे कहां कहां रहे और किसके संपर्क में थे।
अपने नाम की संपत्ति की दे रहा सौरभ जानकारी
शुरुआत से ही सौरभ केवल स्वयं के नाम दर्ज संपत्तियों के बारे में ही जानकारी दे रहा है। रिश्तेदारों और शरद जायसवाल या चेतन सिंह गौर के नाम पर दर्ज संपत्तियों के संबंध में उसने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया है। सौरभ का कहना है कि जिसकी संपत्ति का मामला है, उसी व्यक्ति से बात की जाए। उसे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। लोकायुक्त की जांच में यह भी साफ हो गया है कि सौरभ की सबसे पुरानी कंपनी अविरल इंटरप्राइजेज है। अन्य तीन कंपनियां साल 2020 से 2022 के बीच रजिस्टर्ड कराई गई हैं।
झूठा शपथ पत्र मामले में दर्ज होगा मामला
परिवहन विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के लिए सौरभ शर्मा और उसकी मां उमा शर्मा द्वारा दिए गए झूठे शपथ पत्रों की जांच अब पूरी हो चुकी है। अब विभाग को छग सरकार के आधिकारिक जवाब का इंतजार है। जांच परिवहन विभाग की शिकायत शाखा को सौंपी गई थी। इसके बाद सौरभ और उमा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की तैयारी है।
03/02/2025
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