- मंत्री, सांसदों और विधायकों में खुलेआम बढ़ रही तकरार
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र भाजपा में अंदरूनी लड़ाई से हर कोई त्रस्त है। मंत्री, सांसदों और विधायकों में खुलेआम तकरार हो रही है। कोई मंच से तो कोई बैठकों में हमला बोल रहा है। इससे पार्टी का माहौल लगातार गरमा रहा है। प्रदेश में भाजपा के अंदर कलह बढ़ती ही जा रही है। भाजपा में अपने ही लोगों ने अपने नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। गौरतलब है कि भाजपा नेताओं के बीच बढ़ रही तल्खियों ने कांग्रेस को मौका दे दिया है। कांग्रेस ने कहा है कि पार्टी की अंदरूनी गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा है कि ये भाजपा में मंत्रियों और सांसदों के बीच चल रही गलाकाट प्रतिस्पर्धा है या जलन की भावना। मप्र के चुनावों में भाजपा को प्रचंड जीत मिली है। राज्य से लेकर केंद्र तक में अपनी सरकार है। इसके बावजूद मप्र भाजपा के अंदर गुटबाजी की आग भड़क रही है। अब यह लड़ाई खुलकर सामने आ गई है। यह लड़ाई सरकार और संगठन को असहज करने वाली है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, असंतुष्ट नेताओं को संतुष्ट करने के लिए उन्हें विभिन्न पदों पर समायोजित किया जाएगा। मंत्रिमंडल में जगह नहीं पाने वाले विधायकों को बोर्ड और निगमों में स्थान दिया जाएगा। कुछ नेताओं को सरकार में महत्वपूर्ण भूमिकाएं दी जा सकती हैं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के गुटों के बीच भी तनाव की स्थिति बनी हुई है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की गुटबाजी का असर बीते चुनावों पर भी पड़ा है। रामनिवास रावत की विधानसभा उपचुनाव में हार को इसी का परिणाम माना जा रहा है।
अब विंध्य में तकरार
इस समय भाजपा में संगठन चुनाव चल रहे है। इस बीच, पार्टी में अंदरूनी विवाद लगातार सामने आ रहे हैं। पार्टी के नेता एक दूसरे के खिलाफ बोल रहे हैं। हाल ही में विंध्य में देवतालाब से विधायक गिरीश गौतम और मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल आमने सामने हैं। इससे पहले भी अलग-अलग अंचल में नेताओं के विवाद खुलकर सामने आ चुके हैं। पार्टी सूत्रों की माने तो इसकी शिकायत पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच गई है। ऐसे में प्रदेश में चल रही खींचतान को सुलझाने के लिए प्रदेश प्रभारी महेंद्र सिंह, राष्ट्रीय सह-संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल को सक्रिय भूमिका निभाने के निर्देश दिए गए हैं। देवतालाब विधानसभा से विधायक गिरीश गौतम और मऊगंज से विधायक प्रदीप पटेल हैं। इसका कारण है कि देवतालाब विधानसभा क्षेत्र में एक नाबालिग के अपहरण के मामले में विधायक प्रदीप पटेल के दबाव में एक टीआई और एएसआई को सस्पेंड कर दिया गया। मऊगंज विधायक पटेल की देवतालाब क्षेत्र में दखलंदाजी विधायक गिरीश गौतम को पसंद नहीं आई। उन्होंने पटेल पर तंज कसते हुए कहा कि लगता है कि उनके क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है। इसलिए, देवतालाब विधानसभा में दखल दे रहे हैं। इस पर पटेल ने कहा कि वह पार्टी के वरिष्ठ नेता है। उन्होंने किस तारतम्य में ऐसा कहा, यह तो वहीं बता सकते हैं। सीधी से विधायक रीति पाठक ने भी कुछ दिन पहले ही उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। उन्होंने एक कार्यक्रम में मंच से डिप्टी सीएम को कहा कि वह रीवा के साथ ही सीधी का भी विकास करें। सीधी में अस्पताल के विकास के लिए आई सात करोड़ रुपये की राशि गायब हो गई। उन्होंने छह से सात बार पत्र लिखा, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया गया। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर उनके क्षेत्र की समस्याओं को नजरंदाज करने का भी आरोप लगाया था।
सागर में वर्चस्व की जंग
बुंदेलखंड के सागर में भाजपा नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग चल रही है। पूर्व मंत्री भूपेंद्र सिंह और मंत्री गोविंद सिंह राजपूत के बीच टकराव जगजाहिर है। 2020 में गोविंद सिंह राजपूत ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए। भूपेंद्र सिंह पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी हैं। वहीं, गोविंद राजपूत सिंधिया समर्थक हैं। भूपेंद्र सिंह का आरोप है कि गोविंद सिंह राजपूत ने भाजपा कार्यकर्ताओं को परेशान किया है। वह उनको दिल से कभी स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं, राजपूत भी कई बार कह चुके हैं कि एक विधायक अपने आप को पार्टी से बड़ा मानता है। यह मामला भी केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंच चुका है।
यहां भी समाने आ चुका है विवाद
प्रदेश के कई अन्य क्षेत्र भी हैं जहां भाजपा नेताओं के बीच वर्चस्व को लेकर विवाद सामने आ चुका है। टीकमगढ़ से सांसद और केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार खटीक के खिलाफ अपने ही लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। पहले पूर्व मंत्री मानवेंद्र सिंह ने कहा था कि वह कांग्रेसियों का पक्ष ले रहे हैं। साथ ही अपराधियों को प्रतिनिधि बना रहे हैं। अब मीडिया से बात करते हुए विधायक ललिता यादव ने कहा है कि मानवेंद्र सिंह ने सच कहा है। कांग्रेस के रिकॉर्डेड एजेंट को वह प्रतिनिधि बना रहे हैं। सभी विधायक उनसे परेशान हैं। वहीं, विवादों पर केंद्रीय मंत्री ने सफाई देते हुए कहा है कि मैं सीधा साधा व्यक्ति हूं। साथ ही सीधी राजनीति करता हूं। मैं कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा हूं। आयातित लोग कार्यकर्ताओं को सर्टिफिकेट देने लगेंगे, जिन्हें खुद पार्टी में आए कितना समय हुआ है। दरअसल, रायसेन जिले के एक स्कूल में कार्यक्रम का आयोजन था। इस कार्यक्रम में नर्मदापुरम सांसद दर्शन सिंह चौधरी और राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल गेस्ट थे। स्कूल के आमंत्रण पत्र में सांसद का नाम ऊपर था और मंत्री का नीचे। यह बात मंत्री जी को नागावार गुजरी और कथित तौर पर स्कूल की मान्यता रद्द करने की वार्निंग दिलवा दी। बाद में स्कूल को माफी मांगनी पड़ी। हालांकि दर्शन सिंह चौधरी ने कहा था कि मुझे इस बात की जानकारी नहीं है। इसी तरह से विंध्य क्षेत्र में रीवा सांसद और त्योंथर विधायक के बीच ठन गई है। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने एक कार्यक्रम में भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी के दादा और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी को लेकर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि तिवारी ने लूट, भ्रष्टाचार और गुंडागर्दी की राजनीति की है। इस पर श्रीनिवास तिवारी के पोते और भाजपा विधायक सिद्धार्थ तिवारी ने कहा कि दिवंगत नेता पर इस तरह की टिप्पणी सही नहीं है। जनता की सेवा के लिए जिसने अपनी जिंदगी न्यौछावर कर दी, उसे किसी की सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।