सरप्लस बिजली, फिर भी खरीदी का प्रस्ताव

सरप्लस बिजली

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश का बिजली महकमा भी अजब गजब है। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि बिजली कंपनी का वह प्रस्ताव बता रहा है, जो विद्युत नियामक आयोग को बिजली दर में वृद्धि के लिए दिया गया है। इस प्रस्ताव में कई ऐसे बिंदु हैं, जिनसे इन कंपनियों की कार्य प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े होने लगे हैं। दरअसल इसमें आंकड़ों का ऐसा खेल खेला गया है कि अच्छे -अच्छे चकरा जाते हैं। एक तरफ सरकार बीते कई सालों से प्रदेश में सरप्लस बिजली होने का दावा कर रही है, तो दूसरी और प्रस्ताव में बिजली खरीदी के लिए राशि का प्रावधान करने की मांग की गई है। इतना ही नहीं कंपनियों के फर्जीवाड़े का अनुमान इसी से लगा सकते हैं कि बीते दो साल से सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में स्थित तीन ऐसी जल विद्युत कंपनियों से बिजली खरीदने का प्रस्ताव ला रही हैं, जिन प्लांटों में बिजली उत्पादन ही नहीं हो रहा है। इनमें सुबनसिरी, तीस्ता और रंगीत से बिजली खरीदने का उल्लेख है, जो पर्यावरणीय अवरोधों के चलते चालू ही नहीं हो पाए हैं। पिछले वर्ष कंपनी ने लोअर सुबनसिरी से 140 करोड़, तीस्ता से 161 करोड़ और रंगीत जल विद्युत गृह से 65 करोड़ की 824 मिलियन यूनिट बिजली खरीदने की स्वीकृत दी थी। अहम बात यह है कि दिसंबर 2024 के राज्य विद्युत लेखा में बताया गया है कि तीनों जल विद्युत घरों से एक भी यूनिट बिजली प्राप्त नहीं हुई है। इसके बावजूद इस बार भी याचिका में सुबनसिरी और रंगीत से 140 करोड़ की बिजली खरीदी का प्रस्ताव दे दिया गया। हालांकि इस बार तीस्ता का नाम नही है। यह हाल तब है जबकि इसमें इन जल विद्युत संयंत्रों से बिजली मिल पाएगी, इसका कोई परिपत्र या प्रमाण तक शामिल नहीं किया गया है। इसी तरह से इस प्रस्ताव में प्रदेश की  बिजली ईकाइयों से बिना एक यूनिट बिजली खरीदे 2100 करोड़ रुपए नियत प्रभार के रूप में देने की अनुमति भी मांगी गई है। इसी तरह से दिए गए प्रस्ताव में मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने प्रदेश की 5 निजी बिजली उत्पादकों को 2130 करोड़ की राशि नियत प्रभार के तौर पर देना बताया है, जबकि इन पांचों निजी बिजली उत्पादकों ने वर्ष 2025-26 के लिए खुद जो नियत प्रभार का दावा किया है, उसकी राशि 1804 करोड़ है। इससे यह भी तय है कि मैनेजमेंट कंपनी का प्रस्ताव 325 करोड़ की अतिरिक्त राशि का दिया गया है। उसने नियत प्रभार की गणना निजी बिजली उत्पादकों के लिए 2019-24 के टैरिफ आदेश के आधार पर की है। जबकि निजी विद्युत उत्पादक ईकाइयों द्वारा वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक उत्पादन टैरिफ निर्धारण की याचिकाएं आयोग में पेश की जा चुकी हैं। इस पर सुनवाई भी हो चुकी है। प्रदेश की तीनों वितरण कंपनियों की होल्डिंग मप्र पॉवर मैनेजमेंट कंपनी की ओर से राज्य विद्युत नियामक आयोग के समक्ष पेश की गई टैरिफ याचिका में 58 हजार 744 करोड़ रुपए राजस्व खर्च का अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें कहा गया  है कि यदि मौजूदा दरों पर बिजली सप्लाई की जाती है तो 4107 करोड़ रुपए का घाटा होगा। इस बार की टैरिफ याचिका में वर्ष 2023-24 की सत्यापन याचिका के तहत 4344 करोड़ रुपए का खर्च जुड़ा है। कंपनी ने बिजली खरीदी के सप्लीमेंट्री बिल 2628 करोड़ रुपए बताए हैं। किस कंपनी को ये भुगतान किया गया, इसकी जानकारी नहीं दी गई है। इसी तरह बिजली खरीदी में री-कैंसिलेशन की राशि के तौर पर 903 करोड़ रुपए का खर्च बताया गया है। किस कंपनी की यह बकाया राशि है इसका कहीं पर भी विवरण नहीं दिया गया है।
लेंको अमरकंटक से बिजली खरीदी का अनुबंध
पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने लेंको से न्यूनतम 1589 मिलियन यूनिट बिजली खरीदी का अनुबंध किया है। इसके एवज में उसे 264 करोड़ रुपए का वार्षिक नियत प्रभार तय किया गया है। यहां इस कंपनी के नियत प्रभार की गणना बहुवर्षीय टैरिफ याचिका वर्ष 2015-19 तक जारी अंतिम वर्ष की स्वीकृत राशि के आधार पर की गई है। जबकि आयोग 2021 में ही 2019-24 का बहुवर्षीय टैरिफ आदेश जारी कर चुका है। इसमें अंतिम वर्ष का नियत प्रभार 203 करोड़ रुपए है। ऐसे में उपलब्ध अंतिम वर्ष के नियत प्रभार की बजाय 2019 के नियत प्रभार का उल्लेख करना टैरिफ नियम के विपरीत है। दूसरा ये कि लेंको का अधिग्रहण अडानी पावर लिमिटेड की सहायक कंपनी कोरबा द्वारा सितंबर 2024 में किया जा चुका है। मेसर्स कोरबा द्वारा 2024-29 बहुवर्षीय नियत प्रभार की टैरिफ याचिका आयोग में लगाई गई थी। आयोग इस याचिका को खारिज कर चुका है। इसके बावजूद पॉवर मैनेजमेंट कंपनी अभी भी लेंको के नाम से बिजली खरीदी का उल्लेख कर रही है।
57 करोड़ की अधिक राशि मांग
सिंगरौली स्थित जेपी पावर के निगरी संयंत्र की ओर से पेश की गई नियत प्रभार की याचिका में 544 करोड़ की मांग की गई है। जबकि मैनेजमेंट कंपनी ने 602 करोड़ नियत प्रभार के तौर पर उल्लेख किया है। मतलब 57 करोड़ की अधिक राशि मांगी गई है। जबकि जेपी पावर की वार्षिक नियत प्रभार की राशि 544 करोड़ में अमेलिया कोल ब्लॉक के पूंजीगत व्यय की गई 210 करोड़ राशि भी शामिल है। आयोग इस राशि को पूर्व के वर्षों में खारिज कर चुका है। इसी तरह से मेसर्स झाबुआ पावर का नियत प्रभार 225 करोड़ रुपए से भी कम है , लेकिन पॉवर मैनेजमेंट कंपनी ने निजी बिजली उत्पादक के तौर पर 263 करोड़ रुपए नियत प्रभार के तौर पर मांगे हैं।  इस कंपनी का अधिग्रहण 5 सितंबर 2022 को ही एनटीपीसी संयुक्त उपक्रम में कर चुका है।

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