सौरभ मामला: अब अरुण यादव के निशाने पर आए भूपेंद्र सिंह

सौरभ मामला

अवैध नियुक्ति मामले में नाम का खुलासा करने की मांग
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के बहुचर्चित पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने पूर्व परिवहन मंत्री भूपेन्द्र सिंह पर बड़ा हमला किया है। उनका कहना  है कि इस मामले में 54 किलो सोना, करोड़ों रुपये नगद एवं बेनामी सम्पत्ति का पता चलने के बाद भी अब तक कोई बड़ी कार्रवाई होती नजर नहीं आ रही है। उन्होंने इस मामले में एक बार फिर से 10 सवाल पूछते हुए पूर्व गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह को इस मामले में जिम्मेदार बताया है। उन्होंने पूछा है कि भूपेन्द्र सिंह को यह बताना चाहिए की आखिर किस उप मुख्यमंत्री के दबाव में परिवहन विभाग में यह अवैध नियुक्ति की गई थी। जांच एजेंसियों द्वारा अब तक सौरभ शर्मा की तलाश न कर पाने पर भी यादव ने सवाल उठाए हैं। परिवहन विभाग में एक ही रैंक के दो वरिष्ठ अधिकारियों को आखिर क्यों बैठाया गया? साथ ही यह भी पूछा है कि आखिर किस कारण से ईओडब्ल्यू की जांच में सौरभ शर्मा को क्लीन चिट दी गई थी।
 यादव ने कहा है कि मैंने 20 दिन पहले भी कुछ सवाल पूछे थे, जिनके जवाब आज तक नहीं मिले और जांच पर सवाल बरकरार है। अब मैं फिर 10 सवाल सरकार से पूछ रहा हूं। सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में हुई अवैध अनुकम्पा नियुक्ति को लेकर विभिन्न तरह का प्रमाण सामने आ रहे हैं। यह भी सच है कि यह अवैध नियुक्ति तत्कालीन परिवहन मंत्री के कार्यकाल के दौरान हुई थी। उन्होंने अपने एक बयान (सार्वजनिक हुई वीडियो क्लिपिंग) में स्वीकार किया है कि यह नियुक्ति अवैध थी। अब भूपेंद्र सिंह को वह सच्चाई भी उजागर करना चाहिए कि इस अवैध नियुक्ति को उन्होंने किसके दबाव में की और उन पर किस मौजूदा उपमुख्यमंत्री पद पर काबिज नेता ने दबाव बनाकर इस आदेश को जारी करवाया था और वे कौन नेता एवं अफसर हैं, जो सौरभ शर्मा को संरक्षण दे रहे थे? उनके नामों का खुलासा कब होगा? क्या उन्हीं नेताओं एवं अफसरों से सौरभ शर्मा को जान का खतरा है? उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियां या तो जानबूझकर कार्रवाई में देरी कर रही हैं या फिर उन्हें राजनीतिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है। यादव ने यह भी सवाल उठाया कि सौरभ शर्मा को बचाने के लिए कई बड़े नेता और अधिकारी अब भी पर्दे के पीछे काम कर रहे हैं।
यह पूछे सवाल
अरुण यादव द्वारा जो सवाल पूछे गए हैं, उनमें कहा गया है कि सौरभ शर्मा की परिवहन विभाग में हुई अवैध अनुकंपा नियुक्ति के कई प्रमाण सामने आ चुके हैं। तत्कालीन परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया है कि यह नियुक्ति अवैध थी। उन्होंने इस अवैध नियुक्ति को किसके दबाव में किया? क्या यह दबाव मौजूदा उपमुख्यमंत्री पद पर बैठे नेता का था? जब तत्कालीन परिवहन मंत्री ने खुद सरगना का जिक्र किया है, तो सरकार उसका नाम उजागर करने में क्यों हिचकिचा रही है? क्या इसमें कोई राजनीतिक दबाव है? इतने दिनों बाद भी किसी भी जांच एजेंसी ने यह पता नहीं लगाया कि सौरभ शर्मा आखिर कहां छुपा है। क्या सरकार ने जांच एजेंसियों पर अघोषित रोक लगा दी है? अभी तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई या रिपोर्ट सामने क्यों नहीं आई है? सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी में मिली डायरी में कई बड़े नाम शामिल हो सकते हैं। इसे अभी तक सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया? क्या इसे छुपाने के पीछे किसी का दबाव है? सौरभ शर्मा की विभागीय जांच कौन कर रहा है? अगर जांच नहीं हो रही है, तो इसे रोकने वाले कौन लोग हैं? परिवहन विभाग में एक ही रैंक के दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को अलग-अलग पदों पर क्यों बैठाया गया? क्या इस नियुक्ति के पीछे दिल्ली से किसी नेता का सीधा दबाव था? तीन अलग-अलग एजेंसियों ने जब छापेमारी की, तो संपत्तियों के आंकड़े एक-दूसरे से मेल क्यों नहीं खा रहे? क्या किसी एजेंसी ने जानबूझकर सौरभ शर्मा को बचाने की कोशिश की? जब सौरभ शर्मा के खिलाफ पहले ईओडब्ल्यू में शिकायत हुई थी, तब उसे क्लीन चिट किसके दबाव में दी गई थी? वो कौन राजनेता और अधिकारी हैं जिन्होंने सौरभ शर्मा को संरक्षण दिया? उनके नाम अब तक सार्वजनिक क्यों नहीं किए गए?

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