- न अध्यक्ष की नियुक्ति…न स्टाफ मिला
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। जिलों के भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे में बदलाव के लिए गठित किया गया प्रशासनिक पुर्नगठन आयोग अधर में लटका हुआ है। प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग में अब तक न तो अध्यक्ष की नियुक्ति हो पाई है और न ही स्टाफ और दफ्तर मिल पाया है। जिलों, संभागों, तहसीलों और जनपदों के पुर्नगठन की कवायद मप्र में इसके पहले वर्ष 1982 में हुई थी।
अब 42 साल बाद भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे में बदलाव के लिए काम शुरू हुआ है। प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के लिए पहली नियुक्ति रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव की हुई थी। लेकिन उन्होंने बाद में इस पद से इस्तीफा दे दिया। गौरतलब है कि 27 फरवरी 2024 को मोहन कैबिनेट ने राज्य की प्रशासनिक इकाइयों के पुर्नगठन के लिए मप्र प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के गठन को मंजूरी दी। 12 मार्च को मध्यप्रदेश प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के गठन, आयोग के कार्यक्षेत्र, आयोग की संरचना, वेतन तथा भत्ते, प्रशासनिक संरचना एवं वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इसका नोटिफिकेशन 12 मार्च को किया गया। मप्र में संभाग, जिलों, तहसीलों और जनपदों की सीमाओं के पुर्नगठन की प्रक्रिया पिछली बार 1982 में की गई थी। 42 साल बाद भौगोलिक से लेकर प्रशासनिक ढांचे तक कई कारणों से इसकी जरूरत महसूस की गई। संभाग, जिलों, तहसीलों, जनपदों की सीमा फिर से परिभाषित करने की प्रक्रिया मप्र भू- राजस्व संहिता 1959 में उल्लेखित है। इस संबंध में सितंबर, 2018 में एक अधिसूचना भी जारी की गई थी।
ऐसे चला आयोग के गठन का सिलसिला
सीएम डॉ. मोहन यादव ने 1 जनवरी 2024 को इंदौर संभाग की समीक्षा बैठक में कहा था कि प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार संभाग और जिलों की सीमाओं का पुर्ननिर्धारण किया जाए। इसके लिए कमेटी बनाकर अध्ययन कराया जाए। इस कार्य की शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इंदौर संभाग से की जाए। 27 फरवरी, 2024 को मोहन कैबिनेट ने राज्य की प्रशासनिक इकाइयों के पुर्नगठन के लिए मप्र प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के गठन को मंजूरी दी। 12 मार्च को मप्र प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के गठन, आयोग के कार्यक्षेत्र, आयोग की संरचना, वेतन तथा भत्ते, प्रशासनिक संरचना एवं वित्तीय प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। इसका नोटिफिकेशन 12 मार्च को किया गया।
आयोग में एक सदस्य बचा
प्रदेश में संभाग, जिला, तहसील और जनपदों के पुर्नगठन की दिशा में सरकार की कार्रवाई ठंडी पड़ती नजर आ रही है। मप्र प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के दो सदस्यों में से एक मनोज श्रीवास्तव ने इस्तीफा दे दिया है। उन्हें आयुक्त राज्य निर्वाचन आयोग नियुक्त किया गया है। अब आयोग में सदस्य के रूप में अकेले रिटायर्ड आईएएस मुकेश शुक्ला बचे हैं। सदस्य पद पर उनकी नियुक्ति अक्टूबर में की गई थी। प्रशासनिक पुर्नगठन आयोग में सरकार अब तक अध्यक्ष की नियुक्ति नहीं कर पाई है। सितंबर में आयोग का सदस्य नियुक्त होने के बाद मनोज श्रीवास्तव ने संभागों का दौरा शुरू किया था। उन्होंने प्रदेश में अलग-अलग शहरों, कस्बों में आम नागरिकों और जनप्रतिनिधियों से संभाग, जिला, तहसील की सीमाओं के पुनर्गठन को लेकर चर्चा कर उनसे सुझाव लिए थे। श्रीवास्तव अभी सभी संभागों का दौरा नहीं कर पाए थे कि उन्होंने अचानक सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया। इससे आयोग की संभाग, जिला, तहसीलों के पुर्नगठन की दिशा में शुरू किया गया काम थमता दिख रहा है।
फिर से होगी एक सदस्य की नियुक्ति
मनोज श्रीवास्तव के इस्तीफा देने के कारण आयोग में फिर से एक सदस्य की नियुक्ति की जाएगी। इसके अलावा आयोग में अध्यक्ष की भी नियुक्ति होगी। इसके बाद ही आयोग का कामकाज पटरी पर आने के आसार हैं। सीएम डॉ. मोहन यादव ने पिछले साल एक जनवरी को मप्र प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग के गठन का ऐलान किया था। इसके करीब नौ महीने बाद आयोग के लिए पहली नियुक्ति रिटायर्ड आईएएस मनोज श्रीवास्तव की हुई थी। उन्हें 9 सितंबर, 2024 को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया था। इसके बाद 18 अक्टूबर, 2024 को आयोग में रिटायर्ड आईएएस व सचिव स्तर के अधिकारी मुकेश शुक्ला को आयोग का दूसरा सदस्य नियुक्त किया गया। फिर 12 नवंबर को जारी आदेश में शासन ने जीएडी के अपर सचिव अक्षय कुमार सिंह को सचिव प्रशासनिक इकाई पुर्नगठन आयोग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। प्रशासनिक पुर्नगठन आयोग मप्र का दौरा करेगा और प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के लिए सीमाओं के पुर्ननिर्धारण की जरूरत को समझेगा। आयोग राजस्व, वन, नगरीय विकास एवं आवास और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के समन्वय से रिपोर्ट बनाएगा। रिपोर्ट में संभाग, जिलों, तहसीलों की सीमाओं के नए सिर से निर्धारण की सिफारिश की जाएगी।