- जंगलों से पकडक़र अभ्यारण में छोडऩे की तैयारी
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के तमाम टाइगर रिजर्व में घटते वन्य जीव और बढ़ते बाघों और चीतों के कुनबों के लिए आसानी से शिकार उपलब्ध करवाने के लिए अब वन महकमे ने नए सिरे से योजना तैयार की है। इसके तहत आगर मालवा के जंगलों में पाए जाने वाले तमाम तरह के वन्यजीवों को पकडक़र इन रिजर्व में छोड़ा जाएगा।
रिजर्व के अंदर आसानी से शिकार मिलने पर टाइगर और चीता अपना रहवास स्थल छोडक़र आबादी के बीच नहीं आएंगे। दरअसल, आगर-मालवा क्षेत्र के जंगल से ब्लैक बक और नील गाय बहुतायत में पाए जाते हैं। इन्हें हांका लगाकर पकड़ा जाएगा। इसके लिए हैलीकाफ्टर को किराए से लेकर उससे हांका लागने की योजना बनाई गई है। हैलीकाफ्टर से हांका लगाना आसान माना जाता है। हांका लगाकर पकड़े जाने के बाद इन वन्यजीवों को सडक़ मार्ग से कूनों और अन्य टाइगर रिजर्व में ले जाकर छोड़ा जाएगा। वहां वे टाइगर के अलावा चीतों का शिकार बनेंगे। दरअसल वन विभाग आगर-मालवा क्षेत्र में इसके लिए अभियान चलाने वाला है। वहां पर ब्लैक वक और नीलगाय की संख्या बहुत अधिक हो चुकी है। इन दोनों ही तरह के वन्यजीवों की वजह से इस जिले के किसान भी बहुत परेशन हैं। वे फसलों को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाते हैं। इससे जहां किसानों को राहत मिलेगी तो वहीं टाइगर और चीतों के लिए भोजन मिलना भी आसान हो जाएगी। गौरतलब है कि पहले वन विभाग ने हेलीकॉप्टर किराए पर लेने के लिए सीधे टेंडर जारी कर दिया था। इसके बाद टेंडर निरस्त करना पड़ा था। अब विमानन विभाग के जरिए हेलीकॉप्टर किराए पर लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि वन विभाग 50 घंटे के लिए हेलीकॉप्टर किराए पर लेगा। इसके लिए विभाग द्वारा विमानन विभाग को पत्र लिखा है। विमानन विभाग विमानन कंपनियों से हेलीकॉप्टर की किराया दरें मांगकर बन विभाग को उपलब्ध कराएगा। इसके लिए राबिन्सन हेलीकॉप्टर लिया जाएगा। राबिन्सन हेलीकॉप्टर का उपयोग वन्य जीवों के प्रबंधन एवं सामूहिक कैप्चर के लिए किया जाता है।
गांधी सागर अभयारण्य में छोड़े जा रहे चीतल
गांधी सागर अभयारण्य में भी इस साल चीतों को लाया जाना है। इसको लेकर तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। गांधी सागर में चीतो को बस्तर जाने के लिए 8 क्वार्रटाइन बाड़े तैयार हो चुके हैं। इनमें से 6 बाड़ों में चीतों को रखा जाएगा। गांधी सागर को चीतों का ब्रीडिंग सेंटर बनाया जाएगा। इन चीती के लिए भोजन की व्यवस्था भी की जा रही है। गांधी सागर में चीती को बसाए जाने से पहले चीतल और हिरण को छोड़ा जा रहा है। गांधी सागर अभयारण्य में चीतों को बसाने के लिए केन्या के विशेषज्ञ निरीक्षण भी कर चुके हैं। भारत सरकार से मंजूरी के बाद यहां चीतों को लाया जा सकता है। इसके बांद प्रदेश में चीतों का एक और ठिकाना बनकर तैयार हो जाएगा। वहीं कुनो नेशनल पार्क के चीतों के भ्रमण के लिए राजस्थान और यूपी की सीमा तक कॉरिडोर बनाया जा रहा है। इससे कूनों की सीमा से बाहर भी चीतों की सुरक्षा हो सकेगी।