कंपनियों की लापरवाही से हुआ करोड़ों का घाटा

विद्युत वितरण
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में खुलासा

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विद्युत वितरण कंपनियों की लापरवाही से करोड़ों का नुकसान हो रहा है। यह खुलासा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट में हुआ है। गौरतलब है कि गत दिवस विधानसभा में भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट रखी गई। इस रिपोर्ट में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना और प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना को लेकर रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में बिजली वितरण कंपनियों और पॉवर जनरेशन कंपनी की लापरवाहियों का खुलासा किया गया है। इससे कंपनियों को करोड़ा का घाटा हुआ है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सभी गैर-विद्युतीकृत घरों और शहरी क्षेत्रों में सभी गैर-विद्युतीकृत गरीब घरों को अंतिम छोर तक कनेक्टिविटी और विद्युत कनेक्शन के लिए प्रधान मंत्री सहज बिजली हर घर योजना शुरू की थी। जांच में परियोजना के निर्माण, कार्य के आवंटन में कमियां मिलीं। डीपीआर के तहत 97756 घरों के विद्युतीकरण किया जाना था, लेकिन 5,09,053 घरों का विद्युतीकरण हो पाया। इसके चलते 42.74 करोड़ का अतिरिक्त व्यय हुआ।
टारगेट पूरा नहीं कर पाए ताप विद्युत गृह
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार सजय गांधी ताप विद्युत गृह बिरसिंहपुर, विद्युतगृह में वर्ष 2019-20 और 2021-22 में मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित टारगेट को प्राप्त नहीं कर पाया। इससे 106.57 करोड़ की सीमा तक स्थायी लागत की वसूली कम हुई। संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र, बिरसिंहपुर और सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र, साहनी में नियामक आयोग द्वारा 2019-20 से 2021-22 तक निर्धारित उच्च सकल स्टेशन ऊष्मा दर मानदंडों को बनाए रखने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप 32.12 करोड़ मूल्य के 116041.76 मीट्रिक टन कोयले की अतिरिक्त खपत हुई। मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने कंपनी के प्रत्येक विद्युत गृह के लिए सहायक खपत मानदंड तय किए है। संजय गांधी ताप विद्युत केंद्र, बिरसिंहपुर विद्युत गृह, सतपुड़ा ताप विद्युत केंद्र, सारनी विद्युत गृह और अमरकंटक ताप विद्युत केंद्र, चचाई वर्ष 2019-20 से 2021-22 के दौरान मध्य प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा निर्धारित मानदंडों के अंदर सहायक ऊर्जा की खपत को प्रतिबंधित करने में विफल रहे, जिसके परिणामस्वरूप 14.30 करोड़ मूल्य की 74.78 एमयू विद्युत की अतिरिक्त खपत हुई।
दिशा निर्देशों का उल्लंघन
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट के अनुसार वितरण कम्पनियों ने दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए निविदा के माध्यम से बोलियां आमंत्रित किए बिना 138,054 घरों के विद्युतीकरण के लिए 50.62 करोड़ रुपए के 4080 आदेश जारी कर दिए। मप्र पूर्व विद्युत कम्पनी ने योजना दिशा निर्देशों  का उल्लंघन करते हुए 98.93 करोड़ से अधिक का ऋण लिया और उसे 24.65 करोड़ का ब्याज का भुगतान करना पड़ा। वितरण कंपनियों ने अगर ईसी के समक्ष योजनान्तर्गत 100 प्रतिशत घरेलू विद्युतीकरण को जल्दी पूरा करने की असत्य घोषणा कर, अपात्र होते हुए भी नकद पुरस्कार और 250.53 करोड़ का अतिरिक्त अनुदान प्राप्त किया।

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