पेरिस। फ्रांस में तीन महीने पहले ही गठित हुई सरकार अब खतरे में आ गई है। दरअसल, विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मिशेल बार्नियर की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया है। ऐसे में अलग-अलग दलों के समर्थन से बनी बार्नियर की सरकार संसद में वोटिंग से पहले ही गठबंधन को लेकर खतरे में आ गई है। हालांकि, पीएम ने कहा है कि वह अविश्वास प्रस्ताव के खतरे से उबर सकते हैं।
फ्रांस में जुलाई में हुए आम चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल को बहुमत नहीं मिला। ऐसे में राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सितंबर में मिशेल बार्नियर के हाल ही में उनकी तरफ से लाए गए सामाजिक सुरक्षा बजट को लेकर फ्रांस में रार छिड़ गई। उन्होंने इस बजट में टैक्स को बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे 62.8 अरब डॉलर तक जुटाने का लक्ष्य रखा गया है। इतना ही नहीं बार्नियर की सरकार ने सरकारी खर्च को 42 अरब डॉलर तक कम करने का भी लक्ष्य रखा है, ताकि फ्रांस के घाटे को कम किया जा सके। उनके इस फैसले का देश की वामपंथी और दक्षिणपंथी पार्टियों ने विरोध किया और इन कटौतियों को कम करने की मांग की।
बार्नियर की सरकार ने बजट पर इन कदमों को बिना वोटिंग के ही पास कराने का फैसला किया। इसका भी विपक्षी दलों ने विरोध किया। इसके बाद विपक्षी दलों ने बार्नियर की सरकार के खिलाफ बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव लाने का एलान किया। अगर यह प्रस्ताव पास होता है और बार्नियर की सरकार गिरती है तो फ्रांस एक साल में दूसरी बार राजनीतिक अस्थिरता में घिर सकता है। इस अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मिशेल बार्नियर ने भी मंगलवार को अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार संसद में अविश्वास प्रस्ताव को हरा सकती है। उन्होंने कहा, “मैं यह चाहता हूं और यह मुमकिन है। यह सांसदों पर निर्भर करता है। मुझे लगता है कि उन्हें (सांसदों को) सिर्फ जिम्मेदारी का अहसास होना चाहिए। राजनीतिक मतभेदों के परे लोकतंत्र में सामान्य विरोधाभास भी होते हैं। हम तब अपने आप से बड़े लोकहितों में काम करने के लिए कहते हैं।”