बिना मानवीय दखल के जुड़ती हैं एलएचबी बोगियां: अश्विनी वैष्णव

अश्विनी वैष्णव

नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में बताया कि भारतीय रेलवे ने साल 1999-200 में जो आधुनिक लिंक-हॉफमैन-बुश (एलएचबी) बोगियां लगाई थीं, उनमें ‘सेंटर बफर कपलर’ लगाए गए हैं। जिससे बोगियों को जोड़ने की प्रक्रिया बिना किसी हाथ की मदद के होती है। मंत्री ने यह जानकारी रेल की बोगियों को जोड़ने और अलग करने के दौरान सुरक्षा उपायों के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में दी। उन्होंने हाल की उस घटना का भी जिक्र किया जिसमें रेलवे के एक कर्मचारी इंजन और बोगियों को जोड़ने की प्रक्रिया में बीच में फंस गया था और उसकी जान चली गई थी।

वैष्णव सुरक्षा उपायों को लेकर सांसद प्रियंका चतुर्वेदी और डेरेक ओ’ब्रायन की ओर से उठाए सवालों पर जवाब दे रहे थे। रेल मंत्री ने बताया कि आईसीएफ बोगियों में स्क्रू कपलिंग और साइड बफर होते थे, जिनमें बोगियां जोड़ने के लिए हाथ की मदद की जरूरत होती थी। 1999-2000 में रेलवे ने एलएचबी बोगियों को पेश किया, जिसमें सेंटर बफर कपलर होते हैं, जिसमें बोगियां बिना हाथ के मदद से खुद ही जुड़ जाती हैं।

रेल मंत्री ने यह भी बताया कि 2014 से 2024 तक 36,933 एलएचबी बोगियां बनाई गई हैं। जबकि 2004 से 2014 के बीच सिर्फ 2,337 बोगियां ही इस तरह की बनी थी। मंत्री ने बताया कि अमृत भारत और वंदे भारत रेलों में उपयोग के लिए ‘सेमी-ऑटोमेटिक कपलर’ लगाए गए हैं, जिनमें बोगियां खुद ही (ऑटोमैटिकली) जुड़ जाती हैं। इसके साथ ही रेलवे के कर्मचारियों को नियमित अंतराल पर प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि बोगियों को जोड़ने या अलग करने के दौरान किसी भी तरह की दुर्घटना की संभावना कम हो सके।

सुरक्षा उपायों के बारे में बात करते हुए रेल मंत्री ने कहा, बोगियों को जोड़ने और अलग करने की गतिविधियों के दौरान कर्मचारियों की किसी भी दुर्घटना या नुकसान से बचाने के लिए स्पष्ट सिग्नल की प्रक्रियाएं लागू की गई हैं। उन्होंने कहा, हाल ही में एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना मध्य-पूर्व रेलवे में हुई थी, जो रेलवे कर्मचारियों के बीच तालमेल में कमी के कारण हुई थी और यह (बोगियों को) जोड़ने या अलग करने के कारण नहीं हुई थी।

Related Articles