- सिंधिया के प्रचार के लिए न जाने से बने यह हालात
गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। श्योपुर जिले की विजयपुर विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की हार के बाद अब भाजपा नेताओं में घमासान शुरू होता दिख रहा है। पार्टी के कद्दावर नेता व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और भाजपा प्रदेश महामंत्री भगवानदास सबनानी आमने- सामने आ गए हैं। विजयपुर उपचुनाव में प्रचार को लेकर दिए गए सिंधिया के बयान को सबनानी ने पूरी तरह सिरे से खारिज कर दिया है। ऐसे में हार के मंथन के बीच भाजपा में इसे लेकर तकरार भी हो सकती है। दोनों नेता एक दूसरे के बयानों को लेकर वार पलटवार कर रहे हैं। हालांकि सिंधिया इस मामले को लेकर कोई विवाद की स्थिति नहीं बनने देना चाहते हैं, यही वजह है कि अब उनके द्वारा सबनानी के बयान पर कोई भी बात कहने से इंकार कर दिया गया है। गौरतलब है कि यह विधानसभा क्षेत्र सिंधिया के प्रभाव वाला माना जाता है और भाजपा में सिंधिया के आने के पहले रावत को सिंधिया समर्थक नेता के रूप में ही माना जाता था।
विजयपुर सीट पर हुए उपचुनाव के परिणाम बीती 23 नवंबर को सामने आए थे। उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार और वन मंत्री रामनिवास रावत को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने रावत को 7228 वोटों से हरा दिया। यह हार भाजपा के लिए बड़ा झटका थी, क्योंकि सारे प्रयास के बाद भी पार्टी जीत दर्ज नहीं कर पाई थी। इस सीट को जीतने के लिए ही भाजपा ने कांग्रेस विधायक रहे रामनिवास रावत को पार्टी में शामिल किया था। साथ ही उन्हें वन मंत्री का पद भी दिया गया था, इसके बाद भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा। भाजपा की हार के बाद कई तरह के सवाल खड़े हुए। इसमें सबसे बड़ा सवाल यह भी था कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यहां प्रचार क्यों नहीं किया।
शनिवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर पहुंचे। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात की। विजयपुर में भाजपा उम्मीदवार रहे वन मंत्री रामनिवास रावत की और उनके लिए प्रचार नहीं करने के सवाल पर सिंधिया ने कहा कि मैं जनता का सेवक हूं। अगर, मुझसे वहां प्रचार करने के लिए कहा जाता तो मैं जरूरत जाता। यह हार चिंता की बात हैं। हमें इस पर चिंतन करना होगा।
प्रचार न करने की यह मानी जा रही वजह
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष रहते सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत ने सिंधिया और उनके समर्थकों के भाजपा में शामिल होते समय तीखा हमला किया था। तब रावत ने उनके निर्णय को गलत बताते हुए कहा था कि विधायकों पर दलबदल के लिए दबाव बनाया जा रहा है। तब शिवराज सिंह द्वारा उन्हें विभीषण की संज्ञा देने पर कहा था कि विभीषण का नाम कभी भी देश में सम्मान से नहीं लिया जाता है। शिवराज सिंह चौहान उन्हें विभीषण की जगह हनुमान की भी संज्ञा दे सकते थे। रावत ने कहा था कि राम ने पहले विभीषण का राजतिलक किया था फिर लंका का विनाश किया था, लेकिन यहां तो विभीषण रूपी सिंधिया को न तो राज्य मिल रहा है न ही सम्मान मिल रहा है बल्कि , पार्षद का ही पद मिल रहा है क्योंकि राजा तो मोदी है। पार्षद का पद मंत्री के रूप में केंद्र सरकार में मिल रहा है। अगर ज्योतिरादित्य सिंधिया को मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया जाता को लगता कि विभीषण बनने के बाद एक राज्य दिया गया है।
सबनानी का पलटवार
भाजपा प्रदेश महामंत्री और विधायक भगवानदास सबनानी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के बयान पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि विजयपुर उपचुनाव में स्टार प्रचारकों की सूची में केंद्रीय मंत्री सिंधिया का नाम था। उन्हें प्रचार के लिए आमंत्रित किया गया था। प्रदेश में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा समेत कुछ अन्य नेताओं ने उनसे विजयपुर आने का आग्रह किया था। लेकिन, उन्होंने व्यस्तता के कारण नहीं आ पाने की बात कही थी। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि उन्हें बुलाया नहीं गया था।
रावत भी उठा चुके हैं सवाल
बता दें उपचुनाव में हार के बाद पहली बार भोपाल भाजपा कार्यालय पहुंचने पर रामनिवास रावत ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के चुनाव प्रचार नहीं करने को लेकर पूछे सवाल पर कहा था कि यह सवाल संगठन और ज्योतिरादित्य सिंधिया से पूछना चाहिए कि वह चुनाव प्रचार करने क्यों नहीं आए। लोकसभा चुनाव के समय रावत कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए थे। उनको भाजपा ने वन मंत्री बनाया था। रावत को कांग्रेस के मुकेश मल्होत्रा ने चुनाव हरा दिया था।