भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लोक निर्माण विभाग के अफसर हों या फिर बाबू सभी ठेकेदारों को उपकृत करने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। ऐसे ढेरों मामले सामने अब तक आ चुके हैं। ऐसा ही एक नया मामला अब सीहोर जिले का सामने आया है। वहां पर कार्यपालन यंत्री के कथित रूप से फर्जी हस्ताक्षर कर लगभग 16 लाख रुपए से अधिक का अतिरिक्त परफारमेंस गारंटी (एपीजी) निकाल ली गई है। अहम बात यह है कि इस कारनामे को वहां के एक बाबू ने संबंधित फर्म से सांठ-गांठ कर अंजाम दिया है। यह राशि भी ऐसे समय निकाली दी गई है, जबकि तब तक न तो काम पूरा हुआ और न ही फाइनल बिल शामिल किए गए हैं। मामले का खुलासा होने के बाद जांच शुरू की गई , लेकिन बीते पांच सालों में जांच ही पूरी नहीं हो पा रही है।
इस तरह से भी किया गया खेल
सीहोर जिले में सोया चौपाल से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में 11 केवी, 33 केवी और एलटी लाइन के पोल शिफ्टिंग व ट्रांसफर के लिए 2017 में कुल 4 करोड़ 72 लाख रुपए से अधिक का टेंडर जारी हुआ था। उसके कुछ दिन बाद उस वक्त के इंजीनियरों ने काम पूर्ण दिखाकर बिल सबमिट कर दिया। उसी वक्त इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत हुई। इसकी जांच हुई, पर जांच रिपोर्ट के बारे में आज तक किसी को नहीं पता कि क्या हुआ। सूत्रों ने बताया कि इस मामले की जांच में गडबडी में गड़बड़ी पाई गई और संबंधित इंजीनियरों पर कार्रवाई की अनुशंसा की गई, किंतु कार्रवाई नहीं हुई। अब अफसर इस मामले में जांच की बात कह रहे हैं।
यह है मामला
लोक निर्माण विभाग के तहत कार्यपालन यंत्री लोक निर्माण विभाग विद्युत यांत्रिकी संभाग क्रमांक 2 भोपाल में अनुबंध वर्ष 2016-17 में कार्य आदेश जारी हुआ। इसमें क4 करोड़ 72 लाख 50 हजार रुपए का टेंडर जारी किया गया। यह टेंडर 30 फीसदी नीचे में लिया गया था। इसके लिए निर्धारित अतिरिक्त परफार्मेस गारंटी 50.38 लाख के स्थान पर केवल 15 लाख की एफडीआर व परफार्मेस गारंटी (पीजी) एफडीआर राशि 16.46 लाख की सावधि एफडीआर सुरक्षानिधि से कम राशि की एफडीआर जमा करवाकर अनुबंध किया गया था। वित्तीय वर्ष 2021-22 में पदस्थ तत्कालीन कार्यपालन यंत्री के फर्जी हस्ताक्षर से परफार्मेस गारंटी की एफडीआर राशि 16.46 लाख की जमा राशि की एफडीआर को रिलीज किया गया। उसी वक्त कार्यपालन यंत्री ने पदस्थ संभागीय लेखापाल रावत को उपरोक्त के लिए स्पष्टीकरण पत्र देकर पूछा, किन्तु कोई जवाब नहीं दिया गया था। अब पूरा मामला एक बार फिर से जांच के दायरे में आ गया है।
नहीं दिया नोटिस का जबाव
तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ने संबंधित लेखापाल को शो कॉज नोटिस देकर जवाब चाहा था , लेकिन उसका जवाब अब तक नहीं दिया गया। इतना ही नहीं शो कॉज नोटिस की प्रति भी फाइल से गायब कर दी गई है। यह बात अलग है कि नोटिस का उल्लेख उस वक्त के डिस्पैच रजिस्टर में मिल गया है।
02/12/2024
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