- अफसरों की लापरवाही पड़ रही भारी, छोटे- छोटे मामले भी नहीं सुलझा रहे
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
प्रदेश के करीब बीस फीसदी कर्मचारी ऐसे हैं, जिनकी समस्याएं सुलझाने में प्रदेश के अफसर रुचि नहीं ले रहे हैं। इससे परेशान होकर कर्मचारियों को मजबूरी में न्यायालय की शरण लेनी पड़ रही है। हालत यह है कि प्रदेश के कुल 5 लाख 52 हजार नियमित कर्मचारियों में से 1 लाख कर्मचारी इन दिनों हाईकोर्ट में दस्तक देने को मजबूर बने हुए हैं। इनमें अधिकांश ऐसे मामले हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जा सकता है। जिन मामलों को लेकर कर्मचारियों को हाईकोर्ट जाना पड़ रहा है उनके वरिष्ठता, वेतन वृद्धि, वेतनमान और समयमान वेतन के निर्धारण जैसे मामले हैं।
इसकी वजह से हाईकोर्ट में भी मामलों की अनावश्यक वृद्धि हो रही है। हाल ही में स्थायी कर्मचारियों के नियमित किए जाने के 167 मामलों में तो मुख्य सचिव तक कटघरे में आ चुके हैं। ऐसे ही मामलों में हर साल प्रदेश के सरकारी खजाने से करीब एक अरब रुपए तो अफसरों के कोर्ट- कचहरी आने जाने और वकीलों की फीस में ही खर्च हो जाते हैं। अब प्रदेश में नई सरकार के साथ ही नए प्रशासनिक मुखिया भी आ चुके हैं। इसके बाद इस स्थिति में सुधार के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके लिए प्रदेश के सभी कर्मचारियों की पूरी कुंडली तैयार कराई जा रही है। जिससे की कर्मचारियों के छोटे छोटे मसलों का स्थानीय स्तर पर या फिर सरकार व शासन स्तर पर ही निराकरण किया जा सके। इसमें हर एक कर्मचारी की ज्वाइनिंग से लेकर रिटायरमेंट तक का रिकॉर्ड सामान्य प्रशासन विभाग के पास रहेगा। सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय दुबे ने समस्त विभागों और विभागाध्यक्षों को इस बारे में निर्देश दिए हैं। इससे अफसर हो या कर्मचारी उसकी सेवा संबंधी कोई मामला है तो उसका निराकरण सरकार के स्तर पर ही किया जाएगा। अभी तक सरकार के पास कर्मचारियों का सर्विस रिकॉर्ड संबंधी एकजाई डेटा ही नहीं है। सिर्फ वित्त विभाग के पास ट्रेजरी से वेतन पाने वाले कर्मचारियों की जानकारी है। नई व्यवस्था के तहत वित्त विभाग सिर्फ वेतन और भुगतान के लिए तक सीमित रहेगा। सामान्य प्रशासन विभाग प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों के वेतन भत्ते, वेतनमान का निर्धारण, समयमान वेतनमान संबंधी मामलों का ऑनलाइन निराकरण किया जाएगा, जिससे कोर्ट में पहुंचने वाले मामलों में कमी आ सके। जीएडी कर्मचारियों के अवकाश, सीआर, स्थानांतरण, पदोन्नति की जानकारी इकट्ठा करने के लिए मप्र स्टेट इलेक्ट्रॉनिक्स विकास निगम से मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली के लिए एक पोर्टल विकसित करा रहा है, जिसमें समस्त शासकीय अमले का एकल डेटाबेस संधारित किया जा सके। पोर्टल में डेटाबेस कर्मचारियों का रिकॉर्ड दर्ज होने से कर्मचारियों की जानकारी सरकार के पास होगी।
17 विभागों में काम शुरू
शुरुआत में 17 बड़े विभागों में काम शुरू किया गया है, जहां 1 लाख 77 हजार कर्मचारियों का ऑनबोर्डिंग पोर्टल पर किए जाने की प्रक्रिया जारी है। इसके बाद बाकी 30 विभागों में यह काम शुरू होगा। इसके अलावा विभागाध्यक्ष कार्यालयों, कमिश्नरी और कलेक्ट्रेट में यह व्यवस्था लागू की जाएगी। इससे जल्दी ही 7 लाख अधिकारी-कर्मचारियों के स्थापना संबंधी कार्यों का पारदर्शी तरीके से निराकरण किया जा सकेगा। शासकीय कार्यों में उत्पादकता में वृद्धि होगी।
किया जाएगा रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन
सभी सरकारी कर्मचारियों का डेटा इकट्ठा किया जाएगा, जिससे शासकीय अमले का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा। यह रिकॉर्ड अभी सिर्फ कर्मचारी के पास है। दूसरी उसकी प्रति जहां वह नौकरी कर रहा है वहां एचओडी के पास। सरकारी कर्मचारियों के सेवा संबंधी रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन किया जाएगा। अभी सेवा संबंधी रिकॉर्ड का कहीं डिजिटलाइजेशन नहीं है। कर्मचारियों की सीआर, विभागीय जांच, अनुकंपा नियुक्ति और सेवा समाप्ति सें संबंधित मामलों का ऑनलाइन ही निराकरण किया जाएगा।