ढाका। बांग्लादेश में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए चिन्मय कृष्ण दास के मामले में इस्कॉन ने यू-टर्न लिया है। इस्कॉन ने चिन्मय कृष्ण दास को संगठन से दूर करने की बात को नकारा है। इस्कॉन ने कहा कि वह चिन्मय कृष्ण दास के अधिकारों का समर्थन करने के लिए खड़ा है। हमने न तो चिन्मय कृष्ण दास को खुद से दूर किया और न ही करेंगे। इस्कॉन बांग्लादेश ने गुरुवार को कहा था कि चिन्मय कृष्ण दास को सितंबर में अनुशासनहीनता के कारण संगठन से बाहर किया जा चुका है। इस्कॉन का उनके कार्यों से कोई संबंध नहीं है।
एक्स पर पोस्ट में इस्कॉन की ओर से कहा गया कि इस्कॉन ने हिंदुओं और उनके मंदिरों की रक्षा लिए शांतिपूर्वक आह्वान करने वाले चिन्मय कृष्ण दास के अधिकारों और स्वतंत्रता का समर्थन करने से खुद को दूर नहीं किया है और न ही करेगा। हम अन्य सभी सनातनी संगठनों, हिंदुओं की सुरक्षा और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के साथ शांतिपूर्ण माहौल को स्थापित करने का समर्थन करते हैं। हमने सभी प्रेस वक्तव्य और साक्षात्कारों में वही कहा है जो हमने पहले कहा था कि चिन्मय कृष्ण दास बांग्लादेश में इस्कॉन के आधिकारिक प्रतिनिधि नहीं हैं। वहीं इस्कॉन इंक ने एक पोस्ट में लिखा कि इस्कॉन इंक चिन्मय कृष्ण के साथ है। हम भगवान कृष्ण से सभी भक्तों की सुरक्षा की प्रार्थना करते हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करने पर इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु पर कार्रवाई की गई थी। उनको देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार कर लिया था। इसके खिलाफ हिंदू समुदाय के लोग ढाका की सड़कों पर उतर पड़े थे और जाम लगा दिया था। भारत ने की इसकी निंदा की थी। इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख चारु चंद्र दास ब्रह्मचारी ने गुरुवार को कहा था कि इस्कॉन को बदनाम करने के लिए झूठी कहानियां फैलाई जा रही हैं। हमारा मिशन मानवता की सेवा करना और सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर को बचाना है। इसके साथ ही उन्होंने सरकार और समाज से आग्रह किया कि वे कट्टरपंथियों के एजेंडे को समझें और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएं।