एक अरब रुपए बह गए कान्ह नदी के गंदे पानी में

कान्ह नदी
  • अब दस अरब की लागत की दूसरी योजना तैयार

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के अफसर जो करें वह कम है। इसकी बानगी है कान्ह नदी, जिसके गंदे पानी को रोकने के नाम पर अफसरों ने उज्जैन में करीब आठ साल पहले लगभग एक अरब रुपए की योजना बनाकर खर्च कर दिए , लेकिन समस्या जस की तस आज भी बनी हुई है। न कान्ह नदी का गंदा पानी क्षिप्रा जैसी पवित्र नदी में जाने से रुका और न ही क्षिप्रा का जल आचमन लायक बन सका। अब एक बार फिर से अफसरों ने इसके नाम पर ही करीब दस अरब रुपए खर्च करने की दूसरी योजना तैयार की है।  इस योजना के पूरा होने में तीन साल लगेंगे, यानि की तब तक तो क्षिप्रा में कान्ह नदी का गंदा पानी मिलना तय है। खास  बात यह है कि कान्ह नदी देश के सबसे साफ शहर इंदौर का गंदा पानी लेकर उज्जैन में शिप्रा नदी में मिलती है।
दूरदर्शिता का अभाव
कान्ह नदी के गंदे पानी से शिप्रा का स्वच्छ जल भी प्रदूषित होता है। ये मिलन रोकने को प्रदेश सरकार ने वर्ष 2016 में 95 करोड़ रुपये खर्च कर कान्ह का रास्ता पाइपलाइन के माध्यम से बदलने का काम किया था। योजना स्वरूप नहान क्षेत्र (त्रिवेणी घाट से कालियादेह महल तक) को स्वच्छ रखने के लिए पिपल्याराघौ से कालियादेह महल के आगे तक भूमिगत पाइपलाइन बिछाई गई थी। योजना को बनाते समय दूरदर्शी दृष्टिकोण नहीं अपनाया गया, जिसका  नतीजा ये निकला कि परियोजना पूरी होने के बाद भी शिप्रा में पहले से मिल रहा गंदा पानी अब भी मिल रहा है। इधर, उज्जैन शहर में 438 करोड़ रुपये की भूमिगत सीवरेज पाइपलाइन परियोजना का काम भी समय-सीमा गुजरने के पांच साल बाद भी अधूरा है।
जन भावनाओं और स्वास्थ्य पर पड़ रहा असर
इन सब स्थितियों का असर जन भावना और स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। बहरहाल, अब 919 करोड़ रुपये की कान्ह डायवर्सन क्लोज डक्ट परियोजना का काम शुरू कराया है। योजना अंतर्गत त्रिवेणी घाट के समीप जमालपुरा गांव में स्टापडैम बनाकर कान्ह का पानी रोका जाएगा। यहां से कान्ह का पानी 30.15 किलोमीटर दूर गंभीर नदी पर बने बांध के डाउन स्ट्रीम क्षेत्र के सिंगवाड़ा गांव में प्रवाहित गंभीर नदी में छोड़ा जाएगा। इसके लिए 12 किलोमीटर हिस्से में 5.30 मीटर व्यास की टनल बनाई जाएगी।
अब तक हो चुके हैं एक हजार करोड़ खर्च
शिप्रा नदी को स्वच्छ एवं प्रवाहमान बनाने के लिए बीते एक दशक में प्रदेश सरकार एक हजार करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है, बावजूद शिप्रा नदी शुद्ध न हो सकी है। अगले तीन वर्ष में दो हजार करोड़ रुपये और खर्च करने की तैयारी है। दावा है कि ये काम होने पर शिप्रा में सीधे नालों का पानी मिलना बंद हो जाएगा और शिप्रा में वर्षभर शिप्रा का ही जल भरा रहा।
गंभीर नदी में मिलेगा कान्ह का पानी
18.5 मीटर लंबी डी आकर की आरसीसी बाक्सनुमा पाइपलाइन बिछाई जाएगी। प्रारंभिक और अंतिम छोर पर 140-140 मीटर की ओपन चैनल बनाई जाएगी। योजना के पूरा होने पर कान्ह का पानी गंभीर नदी में आकर मिलेगा। यह पानी सिंगवाड़ा से असलोदा, तुम्बावड़ा, सुर्जखेड़ी, गुधा, रूपाखेड़ी, कनार्वद, सवार्ना उन्हेल होकर बरखेडा मदन गांव में मेलेश्वर महादेव मंदिर के समीप शिप्रा नदी में जाकर मिलेगा। परियोजना, का निर्माण वर्ष 2052 के समय की इंदौर, सांवेर की आबादी और 40 क्यूमेक जल उद्द्वदित क्षमता को ध्यान में रखकर करना बताया जा रहा है।

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