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- विकास कार्यों पर खर्च की जाएगी राशि
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में विकास कार्यों को गति देने के लिए मप्र सरकार ने एक बार फिर कर्ज लिया है। मप्र की मोहन यादव सरकार ने इस बार 5 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया है। यह ऋण ई ऑक्शन के जरिए स्टाक गिरवी रखकर लिया गया है। लोन की यह राशि दो अलग-अलग कर्ज के रूप में ली गई है, जो 2500-2500 करोड़ रुपए की है। आज सरकार के खाते में लोन की यह रकम पहुंच जाएगी। मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार अब तक 20 हजार करोड़ रुपये का कर्ज ले चुकी है। अब नया कर्ज मिलाकर यह राशि बढक़र 25 हजार करोड़ रुपये हो गई है।
जानकारी के मुताबिक मोहन सरकार की 20 साल के लिए 2500 करोड़ और 14 साल के लिए 2500 करोड़ कर्ज लिया है। पिछले 11 महीने में सरकार 40 हजार 500 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है है। मप्र की जनता पर 3 लाख 90 हजार करोड़ का कर्ज का बोझ हो चुका है। राज्य सरकार आरबीआई के माध्यम से यह कर्ज उठाया है। इसके लिए सरकारी बांड या स्टॉक को गिरवी रखकर धनराशि जुटाई गई है। सरकार के कर्ज लेने पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि हम जो कर्ज लेते हैं वो विकास के लिए लेते हैं। हम उसे चुकाते भी हैं। कर्ज लेना एक सामान्य प्रक्रिया है। इस दौरान मंत्री देवड़ा ने कांग्रेस पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार जब कर्ज लेती थी, तो उसका उपयोग अधिकारियों-कर्मचारियों वेतन देने के लिए करती थी। कांग्रेस कर्ज लेकर घी पीती थी। उन्होंने कहा कि प्रदेश विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है। इसके लिए बजट की जरूरत पड़ती है। हम अपने कर्ज का गलत इस्तेमाल नहीं करते।
चालू वित्तीय वर्ष में 20 हजार करोड़ का कर्ज
बता दें कि मोहन सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के शुरुआती चार महीने में कोई लोन नहीं लिया था। सरकार ने 1 अगस्त को इस वित्तीय वर्ष का पहला 5000 करोड़ रुपए का लेने की औपचारिकताएं शुरू की थीं। 22 अगस्त को उसने 5000 करोड़ रुपए का दूसरा कर्ज लेने की प्रक्रिया शुरू की। इसके एक महीने बाद सितंबर में 5000 करोड़ रुपए का तीसरा कर्ज और 8 अक्टूबर को चौथी बार 5 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया। यानी मध्य प्रदेश सरकार चालू वित्तीय वर्ष में 20 हजार करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है। वहीं मप्र सरकार पर 31 मार्च, 2024 की स्थिति में 3 लाख 75 हजार करोड़ रुपए का कर्ज था।
प्रत्येक व्यक्ति 50 हजार से अधिक का कर्जदार
प्रदेश पर अब 3 लाख 90 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो गया है। इसके साथ मप्र का प्रत्येक व्यक्ति 50 हजार रुपये से अधिक का कर्जदार होगा। स्थिति यह है कि मध्य प्रदेश का कुल बजट 3.65 लाख करोड़ रुपये का है, लेकिन इससे अधिक मप्र सरकार पर कर्ज है। बता दें कि राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के प्रविधान के अनुसार, सरकार राज्य सकल घरेलू उत्पाद का तीन प्रतिशत तक ऋण ले सकती है।
11 महीने में 40,500 करोड़ का कर्ज
सरकार के वित्तीय रिकॉर्ड पर नजर डालें तो यह इस साल का नया बड़ा कर्ज है। पिछले 11 महीनों में, राज्य सरकार ने 40,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है। यह धनराशि राज्य की विकास योजनाओं और अन्य खर्चों के लिए इस्तेमाल की गई है। मप्र की जनता पर कर्ज का भार लगातार बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में राज्य पर कुल कर्ज 3 लाख 90 करोड़ रुपए तक पहुंच चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह राज्य की वित्तीय स्थिरता के लिए एक गंभीर मुद्दा है।
कांग्रेस ने साधा सरकार पर निशाना
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि सरकार के कर्ज लेने का आम जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा। किसानों को फसल का दाम नहीं मिल रहा, युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा। प्रदेश की आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं है। कर्ज के पैसे से भ्रष्टाचार हो रहा है। नेताओं के बीच पैसे की बंदरबांट हो रही है। सरकार को इस ओर गंभीरता से विचार करना चाहिए। आज युवाओं को रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है।