विवादों का समाधान युद्ध नहीं: एस जयशंकर

एस जयशंकर

रोम। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन और इस्राइल-गाजा संघर्ष को लेकर चिंता जाहिर की। इटली के रोम में मेड मेडिटेरेनियन डायलॉग कॉन्फ्रेंस में कहा कि इस वक्त दुनिया में दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं। लगातार बढ़ रहे संघर्ष से चिंताएं बढ़ रही हैं। मगर इस युग में विवादों का समाधान युद्ध से संभव नहीं हो सकता। इसलिए हमको संवाद और कूटनीति की ओर लौटना होगा। विदेश मंत्री ने कहा कि मैं आज दुनिया भर में चल रहे संघर्षों पर बात करुंगा। उन्होंने कहा कि हम सभी मानते हैं कि दुनिया गंभीर तनाव का सामना कर रही है। दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं। आपूर्ति श्रृंखला असुरक्षित है, कनेक्टिविटी विशेष रूप से समुद्री मार्ग बाधित हैं। जलवायु परिवर्तन हो रहा है। इसे पहले कोविड महामारी ने गहरे घाव छोड़े हैं। उन्होंने कहा कि यहां अब तक जो कुछ हुआ है और जो भी होने वाला उसे देखते हुए मध्य पूर्व की स्थिति बेहद चिंताजनक है।

एस जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकवाद और बंधक बनाने की निंदा करता है। सैन्य अभियानों में बड़े पैमाने पर नागरिकों की मौत अस्वीकार्य है। अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए हम सभी को युद्ध विराम का समर्थन करना चाहिए। जरूरी है कि फलस्तीन लोगों के भविष्य को लेकर पहल की जाए। भारत हमेशा से दोनों देशों के बीच समाधान कराने का पक्षधर रहा है। मगर बढ़ते संघर्ष से हमारी चिंताएं भी बढ़ रही हैं।

उन्होंने कहा कि हम लगातार उच्चतम स्तर पर संयम बरतने और संचार को बढ़ाने के लिए इस्राइल और ईरान दोनों के संपर्क में हैं। वहीं लेबनान में अदन की खाड़ी और उत्तरी अरब सागर में यूनिफिल के हिस्से के रूप में इटली की तरह ही भारतीय दल शामिल है। हमने वाणिज्यिक शिपिंग की सुरक्षा के लिए पिछले साल से भारतीय नौसैनिक जहाज तैनात किए हैं। विभिन्न पक्षों को शामिल करने की हमारी क्षमता को देखते हुए हम हमेशा किसी भी अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक प्रयास में सार्थक योगदान देने के लिए तैयार हैं।

विदेश मंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष को रोकना भी हमारे लिए जरूरी है। लगातार तीन साल से जारी इस संघर्ष से भूमध्य सागर सहित कई क्षेत्रों में गंभीर अस्थिरता पैदा हो सकती है। इसलिए स्पष्ट है कि युद्ध के मैदान से कोई समाधान नहीं निकलने वाला है। भारत का मानना है कि इस युग में विवादों का समाधान युद्ध से नहीं हो सकता। हमें संवाद और कूटनीति की ओर लौटना होगा, यह जितनी जल्दी हो सके उतना अच्छा है। इस साल जून से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उद्देश्य के लिए व्यक्तिगत रूप से रूस और यूक्रेन दोनों के नेताओं से संपर्क किया है। हमारे वरिष्ठ अधिकारी निरंतर संपर्क में हैं। हमारा दृढ़ विश्वास है कि जो लोग समान आधार खोजने की क्षमता रखते हैं उन्हें भी यह जिम्मेदारी उठानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि हम आज एक नए युग की दहलीज पर हैं। यह पुनः वैश्वीकरण, पुर्नसंतुलन और बहुध्रुवीयता का युग है। इसमें प्रतिभा की गतिशीलता और हरित विकास के साथ अधिक प्रौद्योगिकी-केंद्रित भविष्य भी है। इस दुनिया में अवसर उतने ही बंटने वाले नहीं हैं जितनी चिंताएं। भारत और भूमध्य सागर के बीच एक घनिष्ठ और मजबूत संबंध हम दोनों के लिए उपयोगी है।

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