मंत्री जी दे रहे हैं बिजली बचाने का संदेश, खुद से की शुरुआत

बिजली

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी मंत्री इंदर सिंह परमार ने बिजली बचाने के लिए एक नई मुहिम छेड़ दी है। मंत्री परमार अपने भोपाल ऑफिस और क्षेत्रीय कार्यालय सुजालपुर में दोपहर डेढ़ से ढाई बजे तक पूर्ण रूपेण बिजली पंखा, ऐसी और बिजली से चलने वाले सभी उपकरणों को बंद कर देते हैं और प्राकृतिक उजाले में काम करते हैं। मंत्री परमार की इस मुहिम को लेकर अमर उजाला की टीम ने उनसे बात की है। मंत्री परमार ने कहा है कि उनका उद्देश्य बिजली बचाने के साथ-साथ प्रकृति को भी बचाना है। उन्होंने कहा हमारे यहां बहुत सारे लोग आते हैं इससे उनको प्रेरणा मिलेगी।
धरती बचाने हर व्यक्ति करे कुछ प्रयास
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि यह केवल बिजली बचाने का नहीं धरती बचाने का प्रयास है। हर व्यक्ति को अपने व्यक्तिगत जीवन में इसके लिए कुछ प्रयास करना चाहिए ताकि इस मुहिम को आगे बढ़ाया जा सके। ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण तापमान तेजी से बढ़ रहा है। मेरे बंगले में हर दिन एक घंटा बिजली बंद रखना, पर्यावरण संरक्षण के लिए एक प्रयास है। मंत्री परमार के मुहिम में एक घंटा रोज बिजली बंद करने से एक साल में 15 दिन की बिजली बचाई जा सकती है। इसी तरह 5 साल में 75 दिन (ढाई महीना) बिजली बचाई जा सकती है।
इसलिए शुरू की यह पहल
मंत्री इंदर सिंह परमार के विशेष सहायक सत्शुभ्र मिश्र ने बताया कि एक बार अर्थ ऑवर डे के दौरान बंगले में एक घंटा बिजली बंद रखी गई थी। यह देखकर मंत्री जी ने सवाल किया था कि एक दिन में एक घंटे से क्या होगा? उसके बाद हर दिन बंगले में एक घंटे बिजली बंद की जाने लगी। कई महीनों से यह प्रक्रिया अब दिनचर्या में शामिल हो चुकी है। अगर मंत्री के हर दिन एक घंटे बिजली बचाई जाने के नवाचार की बात करें तो ऐसे में एक साल में 15 दिन की बिजली बचाई जा सकती है। इसी तरह 5 साल में 75 दिन (ढाई महीना) बिजली बचाई जा सकती है।
सभी के घरों में सोलर लगाने की कोशिश
मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा है कि बंगले में सोलर पैनल भी लगाए गए हैं। सरकार प्रयास कर रही है कि सभी के घरों में सोलर पैनल लगें ताकि जितनी बिजली खर्च हो उतनी घर में ही बन सके। इससे पर्यावण को सुरक्षित किया जा सकता है। यह बहुत बड़ा काम नहीं है, लेकिन सभी को इस प्रयास में आगे आना चाहिए। मेरे दोनों ऑफिस में हर दिन एक घंटे बिजली बंद रखने से बिजली का संरक्षण हो रहा है। साथ ही इस दौरान काम चलते रहते हैं। यदि उस समय आवश्यक उजाले की जरूरत हो तो उसके लिए खिड़कियों के पर्दे खोल दिए जाते हैं।

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