- देशभर का सामान आसानी से भोपाल पहुंचेगा
विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। राजधानी भोपाल सेंट्रल इंडिया का राष्ट्रीय लॉजिस्टिक हब बनेगा। क्योंकि, भोपाल के आसपास 500 किलोमीटर रेडियस में लॉजिस्टिक हब के लिए खुली पर्याप्त भूमि उपलब्ध है। सरकार इस जमीन का इस्तेमाल अलग-अलग किस्म के उद्योग और इंडस्ट्री व्यापार के लॉजिस्टिक हब बनाने पर विचार कर रही है। जानकारी के अनुसार अयोध्या बाइपास और मिसरोद के आसपास मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक हब के लिए नेशनल हाइवे अथॉरिटी व मप्र इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन काम कर रहे हैं। इसके लिए करीब 2200 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। औद्योगिक क्षेत्र इससे लॉजिस्टिक हब से जुड़ेंगे, रेलवे और एयरपोर्ट की कनेक्टिविटी बाइपास से मिलेगी। देशभर का सामान आसानी से भोपाल पहुंचेगा। हाल में मंत्री जगदीश देवड़ा ने प्रदेश को लॉजिस्टिक हब के तौर पर विकसित करने की बात भी कही है। प्रस्ताव में लॉजिस्टिक हब को सफल बनाने के लिए बेहतर एयर कनेक्टिविटी और ट्रांसपोर्टेशन के आधुनिक संसाधन विकसित करने की बात भी कही गई है। सरकार का मानना है कि भोपाल में तेजी से बढ़ते प्रॉपर्टी बाजार और अन्य संभावनाओं के बीच लॉजिस्टिक हब प्रोजेक्ट सफल रहेगा। मध्य भारत के लॉजिस्टिक्स हब के रूप में विकसित होने की यहां पर्याप्त संभावनाएं हैं। यहां की आबो-हवा, अन्य शहरों के मुकाबले कम प्रदूषण, पर्याप्त पेयजल और भरपूर हरियाली के चलते यह स्थानीय के अलावा बाहरी लोगों का पसंदीदा शहर है।
2200 करोड़ रुपए का बजट
प्रदेश सहित देशभर के लिए भोपाल को लॉजिस्टिक हब के तौर पर विकसित करने के लिए करीब 2200 करोड़ रुपए का बजट तय किया है। भोपाल में लॉजिस्टिक पार्क की योजना के तहत लॉजिस्टिक हब के प्रमुख स्थानों अयोध्या बाईपास और मिसरोद क्षेत्र शामिल है। अयोध्या बाईपास यह क्षेत्र राष्ट्रीय राजमार्ग 46 और रेल मार्ग से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। नेशनल हाइवे 1100 करोड़ से यहां छह लेन बाइपास तैयार करवा रहा है। करीब 17 किमी लंबे इस बायपास से गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र, भोपाल रेलवे स्टेशन व एयरपोर्ट से कनेक्टिविटी होगी। अगले डेढ़ साल में ये तैयार किया जाएगा। मिसरोद क्षेत्र को एक संभावित लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। ये 11 मिल से बाइपास से जुड़ा है। ये बाइपास औबेदुल्लागंज के पास पश्चिमी बाइपास से मिलकर सीधे इंदौर रोड पर जुड़ेगा। 3000 करोड़ का ये प्रोजेक्ट बाइपास को एयरपोर्ट से लेकर रानी कमलापति, भोपाल स्टेशन, मिसरोद रेलवे स्टेशन से लेकर मंडीदीप स्टेशन तक जोड़ेगा। इसके आसपास बीडीए की दो 45 मीटर चौड़ी रोड और 300 एकड़ की नगर विकास स्कीम है। यहीं से मंडीदीप और अन्य औद्योगिक क्षेत्र का रास्ता जुड़ा जाता है।
मध्यप्रदेश राज्य नीति आयोग की कार्यशाला में राज्य लॉजिस्टिक्स क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने, नीति-निर्माण में सुधार के लिए विचार-विमर्श किया गया। इसमें लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम को सुदृढ़ बनाने पर भी चर्चा हुई। कार्यशाला में केंद्रीय और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, नीति विशेषज्ञ, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और विभिन्न हितधारकों ने भाग लिया।
मध्यप्रदेश देश के मध्य में स्थित होने के कारण लॉजिस्टिक्स के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। हालांकि, राज्य को लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में कुशल इनलैंड कंटेनर डिपो, वेयरहाउसिंग सुविधाओं, मल्टी-मॉडल परिवहन और एमएसएमई की आवश्यकताओं को पूरा करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इस नीति संवाद का उद्देश्य इन चुनौतियों का समाधान खोजना और आधुनिक, टिकाऊ और किफायती लॉजिस्टिक्स इकोसिस्टम विकसित करना था।
रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे
लॉजिस्टिक पार्क के लिए एनएच मल्टी-मॉडल ट्रांसपोर्टेशन सुविधा विकसित करेगा, जबकि मप्र उद्योग विकास निगम आधुनिक वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज विकसित करेगा। भोपाल की भौगोलिक स्थिति इसे मध्य भारत का एक रणनीतिक केंद्र बनाती है। यह सभी प्रमुख शहरों जैसे इंदौर, नागपुर, जबलपुर, और ग्वालियर से अच्छी तरह जुड़ा है। यहां स्मार्ट ट्रैकिंग, इन्वेंटरी मैनेजमेंट और स्वचालित प्रक्रियाएं डिजिटल तौर पर बेहतर बनाएगी। लॉजिस्टिक पार्क से माल परिवहन में लगने वाला समय और लागत कम होगी। रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। उद्यम एक्सपर्ट योगेश गोयल का कहना है कि मुंबई, दिल्ली, बैंगलुरू, नागपुर जैसे शहरों में लॉजिस्टिक पार्क विकसित हो रहे हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन से जुडऩे से शहर व आसपास के क्षेत्रों का तेजी से विकास होगा। लॉजिस्टिक पार्क का उद्देश्य मालवाहन, भंडारण, वितरण और ट्रांसपोर्टेशन को सुगम और कुशल बनाना है।