मोहन सरकार और अधिक कसेगी नक्सलियों पर शिकांजा

मोहन सरकार

केन्द्र से लेकर दो नई बटालियनों को तैनात करने की तैयारी

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ से आकर प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जैसे जिलों को  सुरक्षित पनाहगार बनाने वाले नक्सलियों पर अब प्रदेश की डां मोहन सरकार और अधिक शिकंजा कसने जा रही है। यही वजह है कि अब प्रदेश सरकार ने केन्द्र से सीआरपीएफ की दो बटालियन देने की मांग की है। दरअसल, प्रदेश सरकार को लगातार खुफिया एजेंसियों से नक्सलियों को लेकर गई तरह की जानकारियां मिल रही हैं। इसके बाद से उन पर अंकुश लगाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई जा रही है। केन्द्र से मिलने के बाद इन सीआरपीएफ की दोनों बटालियनों को नक्सल प्रभावित बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिले में तैनात किए जाने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, खुफिया विभाग से मिली सूचना की मानें तो मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला, डिंडौरी में नक्सलियों के नए कैडर तैयार हो रहे हैं। इस नए कैडर को दलम-2 के नाम से तैयार किया जा रहा है।  इससे नक्सल नेटवर्क को और मजबूत होने का अनुमान लगाया है। इसे देखते हुए ही अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती की आवश्यकता जताई है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश की पुलिस द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान के तहत कई बड़े नक्सलियों को ढेर किया जा चुका है। इसी साल जुलाई में बालाघाट में पुलिस और नक्सली के बीच हुए एनकाउंटर में 14 लाख का इनामी नक्सली उकास सोहन को पुलिस ने मार गिराया था।
किया जाएगा सडक़ों का निर्माण
गौरतलब है मोहन सरकार ने प्रदेश में नक्सल गतिविधियों को देखते हुए सीआरपीएफ की बटालियन के साथ घोर नक्सल प्रभावित जिले बालाघाट, मंडला और डिंडौरी जिलों में 220 नई सडक़ निर्माण की भी मांग की है। सरकार द्वारा प्रस्तावित 220 नई सडक़ नक्सली मूवमेंट एरिया में आरसी (रिजिड कंकरीट पेवमेंट) से बनेंगी। इससे सडक़ें मजबूत होंगे और जल्द खराब भी नहीं होंगी। इससे सुरक्षा बलों को आवाजाही में आसान होगी।
प्रदेश सरकार का संकल्प पूरी तरह से नक्सलवाद समाप्ती का
पिछले पांच सालों में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पुलिस कैंप की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई है, जहां पहले तीन जिलों में 20 पुलिस कैंप थे, वहीं अब इनकी संख्या बढक़र 43 हो गई है, जिसमें अकेले बालाघाट में 18 कैंप शामिल हैं। हालांकि, नक्सलियों की सक्रिय संख्या में कमी आई है, अब सिर्फ 75 नक्सली ही सक्रिय हैं। गौरतलब है नई दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक में सीएम मोहन यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में कहा था कि राज्य नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।  सीएम ने  कहा था कि पिछले दो वर्षों में उठाए गए कदम पिछले तीन दशकों में देखे गए किसी भी कदम से अधिक प्रभावी रहे हैं। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के साथ मिलकर राज्य संयुक्त अभियान चला रहे हैं ताकि नक्सलवाद का उन्मूलन किया जा सके।  
प्रदेश में लगातार मारे जा रहे है नक्सली
इसी साल जुलाई में मारे गए 14 लाख के इनामी नक्सली उकास के पहले बालाघाट जिले में 1 अप्रैल को भी सुरक्षाबलों ने दो नक्सलियों को मार गिराया था। यह नक्सली देर रात पुलिस और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में मारे गए थे।  इस दौरान उनके पास से हथियार भी मिले थे। मारे गए नक्सलियों की पहचान संजीता उर्फ क्रांति और रघु उर्फ शेर सिंह के रूप में की गई थी। पुलिस ने नक्सलियों के शव के पास एक एके-47 सहित एक अन्य राइफल और रोजाना इस्तेमाल किए जाने वाले सामान भी बरामद किया था। इन दोनों पर क्रमश: 29 लाख और 14 लाख का इनाम घोषित था। इससे पहले पिछले साल दिसंबर 2023 में भी बालाघाट में एक नक्सली मारा गया था। बीते 5 वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा विभिन्न मुठभेड़ों में 20 हार्डकोर नक्सलियों को मारा गया है, जिन पर घोषित संयुक्त इनाम 3.31 करोड़ रूपये था। इसी दौरान मुठभेड़ों में 6 नक्सली गिरफ्तार भी किए गए, जिन पर घोषित संयुक्त इनाम  85 लाख रुपये था। विगत 8 माह में 3 मुठभेड़ में 4 नक्सली मारे गए हैं तथा एक महिला नक्सली गिरफ्तार हुई है।
इन क्षेत्रों में सरकार का फोकस
हिंसक घटनाओं की सघन जांच और अभियोजन, राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय किया जा रहा है। राज्यों की इंटेलिजेंस क्षमता निर्माण जैसे सुरक्षा मुद्दों पर सरकार का विशेष फोकस है। उग्रवाद प्रभावित जिलों में सडक़ संपर्क बढ़ाने, मोबाइल टावरों के उन्नयन, वित्तीय समावेशन और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं।
 प्रदेश के 3 जिले सर्वाधिक नक्सल प्रभावित
प्रदेश में नक्सल गतिविधियां 1990 में बालाघाट जिले में शुरु हुर्इं थीं। प्रदेश के 3 जिले बालाघाट, मंडला तथा डिंडोरी नक्सल प्रभावित हैं, जिनमें बालाघाट अति नक्सल प्रभावित है। मंडला तथा डिंडोरी में नक्सल गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। नक्सलियों द्वारा बालाघाट में पहली बड़ी हिंसक वारदात वर्ष 1991 में लांजी थाना क्षेत्र में की थी, जिसमें पुलिस वाहन को माइंस ब्लास्ट से क्षति हुई थी। घटना में 09 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे।

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