खाद बीज की कमी का फायदा उठा रहे हैं नक्काल

खाद बीज

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश में खाद बीज के संकट का फायदा नक्कालों द्वारा उठाया जा रहा है। इससे किसानों को दो तरह से नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें खुले बाजार में जहां इसके लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है तो वहीं उन्हें खाद व बीज भी नकली मिल रहा है। प्रदेश में यह हाल तब बने हुए जब खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोयाबीन उपार्जन, खाद उपलब्धता और वितरण की समीक्षा बैठक में करीब सवा माह पहले निर्देश दिया था कि बीज-खाद की कालाबाजारी और नकली उर्वरक खपाने पर रासुका के तहत कार्रवाई की जाए। लेकिन उसके बावजूद मप्र में नकली खाद-बीज का गोरखधंधे पर रोक नहीं लग पा रही है।
बता दें कि डीएपी आधार खाद है, जिसे बीज की स्वस्थ अंकुरण और जड़ों के विकास के लिए खेत में डाला जाता है। इसमें 18 प्रतिशत नाइट्रोजन और 46 प्रतिशत फास्फोरस की मात्रा होती है। प्रति एकड़ 50 किलोग्राम डीएपी खाद का उपयोग किया जाता है। मप्र में खाद की किल्लत किसी से छिपी नहीं है। अब इसका फायदा ठग उठा रहे हैं। ग्वालियर में मुनाफाखोरों ने एक किसान को ना सिर्फ ऊंचे दाम पर खाद की बोरी बेची, बल्कि नकली खाद पकड़ा दिया। यह आरोप ग्वालियर कलेक्टर के सामने पहुंचे किसान ने लगाया है। गुस्साया किसान  नकली खाद की बोरी लेकर जनसुनवाई में पहुंचा और कलेक्टर के सामने बोरी रख दी। मामला जानने के बाद कलेक्टर रुचिका चौहान ने जांच के आदेश दिए हैं। किसान ने शिकायत की कि भितरवार खाद वितरण केंद्र पर उसे 1350 रुपए की खाद की बोरी 1700 रुपए में दी गई है। इसके साथ ही जबरन एनपीए खाद की बोतल थमा दी, जिसमें भी गड़बड़ी मिली है।
नकली कीटनाशक किसानों की मुसीबत
आजकल खेती किसानी की ओर लोगों का रुझान लगातार बढ़ता ही जा रहा है, पढ़ा लिखा वर्ग भी अब खेती किसानी की ओर आ रहा है, तो वहीं ग्रामीण किसान भी खेती किसानी में आधुनिक हो रहे हैं। हाइब्रिड बीज का दौर चल रहा है, तरह-तरह के रासायनिक खाद भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं, लगातार फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में फसल को ज्यादा नुकसान न हो, इसके लिए तरह-तरह के कीटनाशकों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन किसानों के लिए नकली खाद नकली बीज के बाद अब नकली कीटनाशक एक बड़ी मुसीबत बन गए हैं।
घंटों लाइन लगने पर भी नहीं मिल रही खाद
डीएपी खाद की कमी से परेशान किसान सुबह तीन बजे से खाद वितरण केंद्रों के सामने खड़े होकर जबलपुर के पनागर तहसील के खाद वितरण केंद्र की एक तस्वीर सामने आई है, जहां किसानों ने लाइन में खड़े होने की जगह अपनी बही और आधार कार्ड रखकर लंबी-लंबी लाइन बनाई हुई है। भारतीय किसान संघ का आरोप है कि बीज निगम के माध्यम से किसानों को रियायती दर पर वितरित किए जाने वाले बीजों में भी जमकर घालमेल हो रहा है। आज जब बीज की आवश्यकता है, तो शासन द्वारा किसानों को वितरण नहीं किया जा रहा है।
नमक से बन रही खाद
मप्र छग में किसानों के सामने नया संकट आ खड़ा हुआ है। उन्हें पता ही नहीं है कि पैदावार बढ़ाने के लिए वो जिस खाद का उपयोग कर रहे हैं, वह न केवल नकली बल्कि उनकी जमीन को बंजर भी कर रहा है। उनकी लहलहाती धान की फसल खाद डालने के बाद जब पीली पडऩे लगी तब उन्हें कान खड़े हुए। छत्तीसगढ़ के बस्तर इलाके के भोलेभाले आदिवासी किसानों को बड़े पैमाने पर ठगा जा रहा है। ये ठगी हो रही खाद के नाम पर। जानकारी के अनुसार मप्र छग के आदिवासी किसानों ने धान की फसल के लिए बाजार से पोटाश खाद खरीदा। इसके 50 किलो के बैग की बाजार में कीमत 1300 रूपए है।

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