देश की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची है: खरगे

 खरगे

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि भाजपा की ‘जनविरोधी’ नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था को तबाह कर रही हैं। खरगे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देते हुए कहा कि वह विपक्ष के खिलाफ ‘झूठ’ बोलने के बजाय भविष्य की अपनी चुनावी रैलियों में देश के असल मुद्दों पर बोलें। खरगे ने कहा कि फर्जी बयानबाजी, जनकल्याण के असल मुद्दों की जगह नहीं ले सकती।

मल्लिकार्जुन खरगे ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि ‘आम नागरिकों से उनका सारा पैसा लूटकर आपने जो आर्थिक उथल-पुथल मचाई है, उस पर एक नजर डालिए! यहां तक कि त्योहारों का उल्लास भी भारत की अर्थव्यवस्था को उत्साहित नहीं कर सका। अर्थव्यवस्था कम खपत, उच्च मुद्रास्फीति, बढ़ती असमानता, निवेश में कमी और वेतन में ठहराव की कमी से जूझ रही है।’ खरगे ने आरोप लगाया कि उद्योग जगत के दिग्गज भी कह रहे हैं कि देश का मध्यम वर्ग सिमट रहा है क्योंकि मोदी सरकार कमरतोड़ महंगाई और लोगों की बचत खत्म करके गरीब और मध्यम वर्ग को बड़ा झटका दे रही है।

मल्लिकार्जुन खरगे ने लिखा कि ‘पांच निर्विवाद तथ्य है- खाद्य महंगाई 9.2 प्रतिशत पहुंच गई है। सब्जियों की मुद्रास्फीति (महंगाई) अगस्त में 10.7 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर सितंबर 2024 में 14 महीने के उच्चतम स्तर 36 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह एक तथ्य है कि एफएमसीजी क्षेत्र में मांग में भारी गिरावट देखी गई है, बिक्री में वृद्धि एक साल में 10.1 प्रतिशत से घटकर सिर्फ 2.8 प्रतिशत रह गई है। यह आपके अपने वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में यह कहा गया है।’

मल्लिकार्जुन खरगे ने दावा किया कि एफएंडबी क्षेत्र में तेजी, जो पहले दोहरे अंकों में हुआ करती थी, अब घटकर 1.5-2 प्रतिशत रह गई है। एफएमसीजी कंपनियों ने मार्जिन में कमी आई है और अगर कंपनियों के लिए कच्चे माल की लागत ज्यादा हो जाती है तो इससे कीमतों में वृद्धि होगी। कांग्रेस प्रमुख ने दावा किया कि घरेलू बचत 50 साल के निचले स्तर पर आ गई है। सितंबर में यात्री वाहनों की बिक्री में 19 प्रतिशत की गिरावट आई है और अक्तूबर में अधिकांश बिक्री स्थिर रही। खरगे ने दावा किया कि ‘वित्त मंत्रालय ने कहा है कि ऑटोमोबाइल बिक्री में 2.3 प्रतिशत की गिरावट आई है। दोपहिया वाहनों की बिक्री अभी भी 2018 के आंकड़ों को पार नहीं कर पाई है। भाजपा की जनविरोधी नीतियां भारत की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं!’

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