- जल्द होगा नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम का ऐलान
- गौरव चौहान
मप्र में भाजपा अब जल्द ही अपना नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने वाली है। बस राज्य के दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने के बाद। बुधनी और विजयपुर में उपचुनाव हो रहा है, जिसके नतीजे 23 नवंबर को सामने आएंगे। इसके बाद भाजपा संगठन की चुनाव प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
भाजपा अपना नया प्रदेश अध्यक्ष सूबे की जातीय समीकरण को साधते हुए चुनेगी। पार्टी दो फॉर्मूले पर चुनाव करा सकती है। पहला फॉर्मूला यह है कि जातिगत समीकरण और दूसरा फॉर्मूला है क्षेत्रीय संतुलन। जानकारी के अनुसार मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष का फैसला दिसंबर के पहले सप्ताह में हो जाने की उम्मीद है। 23 नवंबर को दो विधानसभा सीट बुधनी एवं विजयपुर उपचुनाव के नतीजे भी घोषित हो जाएंगे। इसके अलावा संगठनात्मक चुनाव के तहत बूथ, मंडल एवं जिला अध्यक्ष के चुनाव भी संपन्न हो जाएगे। इसके बाद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव करवा सकती है। आम सहमति से अध्यक्ष चुनाव हो जाता है है तो उसके नाम की घोषणा हो जाएगी। इसके लिए जिन लोगों के नाम चल रहे है उनमें कुछ प्रदेश संगठन में पदाधिकारी तो कुछ सांसद एवं विधायक है। इसके लिए प्रदेश के दो एसटी सांसदों, दो वैश्य वर्ग से विधायक के अलावा चार सामान्य वर्ग के वरिष्ठ नेताओं एवं दो एससी वर्ग के नेताओं के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। भाजपा का अगला प्रदेश अध्यक्ष कौन होगा इसकी तस्वीर अभी भले ही साफ नहीं है, लेकिन दावेदारों के नाम सामने आ रहे हैं। जिन वरिष्ठ नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में शामिल माना जा रहा है, उसमें सामान्य वर्ग से उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल, पूर्व मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, विधायक रामेश्वर शर्मा, सांसद आलोक शर्मा के अलावा सिंधी समाज से वर्तमान प्रदेश कार्यालय प्रभारी महामंत्री एवं विधायक भगवानदास सबनानी एवं बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल, एसटी वर्ग से दो बार की सांसद हिमाद्री सिंह एवं राज्य सभा सदस्य डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी का नाम आगे है।
क्षेत्रीय और जातीय समीकरण
मप्र भाजपा अध्यक्ष के लिए पार्टी क्षेत्रीय और जातीय समीकरण को विशेष महत्व देगी। ऐसे में अध्यक्ष की रेस में चार ब्राह्मण वर्ग के नेताओं का नाम शामिल है। वर्तमान में प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल विष्य क्षेत्र के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। वह पांच बार के विधायक हैं। वह उन चुनिंदा नेताओं में शामिल हैं जो पहली बार विधायक बनते ही सरकार में मंत्री बनाए गए थे। शुक्ल 2003 से लगातार चुनाव जीत रहे है। प्रदेश सरकार में गृहमंत्री रहे डॉ. नरोत्तम मिश्रा 6 बार के विधायक रहे हैं। पाटर्टी आलाकमान के साथ अच्छे संबंधों एवं प्रदेश में पार्टी कार्यीकर्ताओं में पकड़ रखने वाले डॉ. मिश्रा का नाम काफी पहले से इस पद के लिए चर्चा में है। उन्हें पार्टी का संकटमोचक भी कहा जाता है। लोकसभा चुनाव के दौरान पाटी द्वारा न्यू ज्वाइनिंग टोली की कमान डॉ. मिश्रा के हाथ में थी। प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेताओं को भाजपा में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से तीन बार के विधायक रामेश्वर शर्मा की छवि कट्टर हिंदूवादी नेता हैं। हिंदूवादी छवि के बलते संघ की भी पसंद है। इसके साथ ही वह प्रोटेम स्पीकर के पद पर सबसे लंबे समय तक रहने का रिकार्ड भी अपने नाम करवा चुके हैं। वह पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके है। वह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के करीबी भी हैं। राजधानी भोपाल से महापौर रह चुके आलोक शर्मा वर्तमान में राजधानी से सांसद है। पार्टी ने उन्हें दो बार उत्तर विधानसभा से टिकट देकर मैदान में उतारा था, लेकिन दोनों बार उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी है। शर्मा पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं। वहीं सिंधी समाज से आने वाले भगवानदास सबनानी का नाम भी चर्चा में है। सबनानी वर्तमान में पार्टी के प्रदेश कार्यालय महामंत्री के साथ पहली बार के विधायक हैं। सरल, सहज छवि की वजह से पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के करीबी है। भाजपा द्वारा चलाए जा रहे सदस्यता अभियान के प्रदेश संयोजक है। प्रदेश में सदस्यता के मामले में डेढ़ करोड़ सदस्य बनाकर लक्ष्य को पीछे छोडऩे पर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हाल ही में उनका दिल्ली में सम्मान किया। वहीं सांसद डा. सुमेर सिंह सोलंकी भी अध्यक्ष की रेस में शामिल हैं। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी वर्तमान में राज्य सभा के सदस्य है आदिवासी वर्ग से आने वाले डॉ. सोलकी पूर्व में प्रोफेसर थे। उनकी छवि पड़े लिखे होने के साथ ही आदिवासी अंचलों में इस वर्ग के लोगों के लिए काम करने को लेकर है। संघ से जुड़े होने के नाते भी उनका नाम इस पद के लिए आगे आया है। शहडोल संसदीय सीट से दूसरी बार सांसद बनी हिमाद्री सिंह का नाम भी चर्चा में है। हिमादी की छवि पड़ी लिखी महिला के साथ ही आदिवासी वर्ग के लिए काम करने वाली नेता की रही है।
वीडी शर्मा के लिए संभावनाएं
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के नेतृत्व में भाजपा ने न केवल विधानसभा चुनाव में 163 सीटें जीतीं बल्कि लोकसभा चुनाव में भी 29 सीटें जीतने में कामयाब रही। ऐसे में उन्हें केंद्रीय संगठन में बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या फिर राष्ट्रीय महासचिव बनाया जा सकता है। इस बात की भी संभावना है कि वीडी शर्मा को इस पद पर रिपीट किया जाए। हालांकि, भाजपा में ऐसा पहले हुआ नहीं है कि लगातार दो टर्म किसी को अध्यक्ष बनाया गया हो। सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और नरेंद्र सिंह ये तीन ऐसे नेता रहे हैं, जिन्होंने दो बार प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाली है, मगर उनके दो टर्म के बीच कुछ सालों का अंतर रहा है। वर्मतान में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कार्यकाल जिस तरह का रहा है उससे इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि पार्टी हाईकमान उन्हें दूसरा मौका भी दे सकता है। यदि ऐसा न हुआ तो उनका कद बढ़ाया जा सकता है।