मप्र में रोजाना हो रहा वन्य प्राणियों का शिकार

  • जंगल में प्रोफेशनल शिकारियों का जाल

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम
मप्र के जंगलों में शिकारियों का जाल इस कदर फैला हुआ है कि यहां रोजाना वन्य प्राणियों के शिकार हो रहे हैं। प्रदेश में प्रोफेशनल शिकारियों का नेटवर्क इतना मजबूत है कि राजधानी भोपाल का वन क्षेत्र हो या प्रदेश का कोई टाइगर रिजर्व शिकारी आसानी से शिकार कर लेते हैं। चिंता की बात यह है कि सुरक्षा के तमाम दावों के बावजूद मप्र के जंगल में वन्य प्राणियों के शिकार हो रहे हैं। अभी हाल ही में राजधानी से 40 किमी दूर काले हिरण का शिकार शॉट गन से किया गया था। चार महीने पहले आशापुरी के पास के जंगल में एक बाघ का शिकार गोली मारकर किया था, ये शिकारी पकड़े जा चुके हैं। दरअसल, प्रदेश के टाइगर रिजर्व और रिजर्व के बाहर प्रोफेशनल शिकारियों का नेटवर्क बन चुका है। टाइगर रिजर्व के भीतर तक शिकारी बाघ का शिकार कर रहे हैं। राजधानी के आसपास पिछले चार महीने में दो वन्य प्राणियों का गोली मारकर शिकार हो चुका है। वन अमला शिकारियों पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है। प्रदेश के जंगलों में पिछले पांच साल में लगभग 2 हजार वन्य प्राणियों का शिकार हो चुका है। साल 2019 से 2023 तक 1969 वन्य प्राणियों का शिकार हुआ था। इस साल अब तक 114 वन्यप्राणियों का शिकार हो चुका है। यह आंकड़े इस साल के कुछ महीनों के हैं। पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा वन्य प्राणियों का शिकार 2022 में हुआ था। साल 2022 में 600 वन्य प्राणियों का शिकार किया गया था। प्रदेश के जंगलों में हर साल 50 हजार से ज्यादा वन अपराध के मामले पकड़ में आते हैं। ये तो वे मामले में जो पकड़ में आते हैं, तो उनका प्रकरण बन जाता है। कई वन अपराधों की जानकारी तो वन विभाग के कर्मचारियों तक पहुंच नहीं पाती है। वन अपराध के मामले में अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, अतिक्रमण और शिकार के मामले होते हैं। वर्ष 2021- 22 में प्रदेश के जंगलों में 52 हजार से ज्यादा प्रकरण बने थे। इससे पहले 56932 प्रकरण दर्ज हुए थे।
बाघों के शिकार की घटनाएं सबसे ज्यादा
खास बात यह है कि टाइगर रिजर्व के भीतर बाघों के शिकार की घटनाएं सबसे ज्यादा बढ़ी हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, कान्हा, पेंच और सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में प्रोफेशनल शिकारियों का नेटवर्क है। इससे इन क्षेत्रों में शिकार की घटनाएं बढ़ रही हैं। वन विभाग की सख्ती से शिकारी पकड़े भी जा रहे हैं। इसके बाद भी शिकार की घटनाओं में कमी नहीं आई है। अब तो शिकारी राजधानी के आसपास भी सक्रिय हैं। पिछले चार महीने में राजधानी के पास जंगलों में दो वन्य प्राणियों का शिकार गोली मारकर किया जा चुका है।  इस साल प्रदेश के टाइगर रिजर्व और टाइगर रिजर्व के बाहर 37 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमे से कई टाइगर का शिकार भी हुआ है। 12 टाइगर की मौत तो अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है। चार साल में प्रदेश के जंगल में 155 टाइगर की जान गई है। पिछले साल 43 टाइगर की मौत हुई थी। प्रदेश में लगातार टाइगर की मौत के आंकड़े बढऩे से राष्ट्रीय बाघ प्राधिकरण ने भी जांच कराई है। प्रदेश में जहां  इस साल अभी तक 37 बाघों की मौत हुई है। वहीं 2023 में 43, 2022 में 34 और 2021 में 41 बाघों की मौत हुई है। प्रदेश में शिकार की घटनाओं को देखें तो इस साल अब तक 105 मामले सामने आए हैं। वहीं 2023 में 311, 2022 में 600, 2021 में 370, 2020 में 472 और 2019 में 216 शिकार के मामले सामने आए हैं।
5 माह में 114 वन्य प्राणियों का शिकार
मप्र में वन्य प्राणियों के शिकार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। वन विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश में 1 जनवरी 2024 से लेकर मई 2024 तक कुल 114 जंगली जानवरों का शिकार किया गया है। इन घटनाओं में सबसे ज्यादा 24 तेंदुए, 20 चीतल, 16 नीलगाय और 14 जंगली सुअरों का शिकार किया। इसके अलावा 3 काले हिरणों का भी शिकार किया गया है। बता दें कि काले हिरण का शिकार सीहोर, रायसेन और सागर जिले में हुआ। पन्ना, उमरिया, मंडला सतना शहडोल में सबसे ज्यादा घटनाएं शिकार की हुईं।

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