निराशाजनक है बड़े खेलों को हटाया जाना: पीटी उषा

पीटी उषा

नई दिल्ली। भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) की अध्यक्ष पीटी उषा का मानना है कि 2026 ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेलों के कार्यक्रम से कुश्ती, हॉकी और बैडमिंटन जैसे पदक दिलाने वाले खेलों को बाहर करना देश के लिए ‘निराशाजनक’ है लेकिन लागत कम करने का दृष्टिकोण यह सुनिश्चित करेगा कि भविष्य में इस प्रतियोगिता को मेजबान मिलते रहें। खेलों के 23वें सत्र का आयोजन 23 जुलाई से दो अगस्त तक आयोजित किया जाएगा जिससे स्कॉटलैंड की राजधानी की 12 साल बाद मेजबान के रूप में वापसी होगी। अधिकांश राष्ट्रीय खेल महासंघों ने हॉकी, बैडमिंटन, कुश्ती, क्रिकेट, निशानेबाजी, टेबल टेनिस और स्क्वाश को खेलों से बाहर करने के ग्लासगो के फैसले की आलोचना की है और इस कदम के बाद खेलों की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठाए हैं, लेकिन उषा ने कहा कि इसके कारणों को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उषा ने बुधवार को कहा, ‘2026 राष्ट्रमंडल खेलों के लिए खेलों के कार्यक्रम में कटौती निराशाजनक है लेकिन मुझे यकीन है कि आप समझेंगे कि 2026 के खेल राष्ट्रमंडल खेलों के भविष्य के लिए एक पुल का काम करेंगे।’

हालांकि, भारत बहुत सारे पदक से वंचित हो जाएगा लेकिन उषा ने आठ मील के दायरे में चार स्थानों पर आयोजित होने वाले 10 खेलों के संक्षिप्त कार्यक्रम के कारण कम लागत और कम पर्यावरणीय प्रभाव के विचार का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘इस दृष्टिकोण का उद्देश्य लागत कम करना, पर्यावरणीय प्रभाव कम करना और सामाजिक लाभ बढ़ाना है। ऐसा प्रगतिशील और टिकाऊ मॉडल बहुत रोमांचक है क्योंकि यह भविष्य में अधिक देशों को खेलों की मेजबानी करने में सक्षम करेगा।’ भारत की महानतम एथलीटों में से एक ने कहा, ‘सीमित समय-सीमा और वित्तीय बाधाओं को देखते हुए, सीजीएफ (राष्ट्रमंडल खेल महासंघ) का ध्यान वित्तीय रूप से जिम्मेदार तरीके से उच्च-गुणवत्ता वाले खेलों को आयोजित करने पर रहा है जिसमें जोखिम को कम करने और खिलाड़ियों और खेलों को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया है।’ उषा ने कहा कि 1998 तक राष्ट्रमंडल खेलों में 10 खेलों का आयोजन होता था और भविष्य में जब प्रतियोगिता की मेजबानी का एक स्थिर मॉडल तैयार हो जाएगा तो इसमें स्वयं विस्तार हो सकता है।

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