कम रकबा वाले 7 जिलों को 90 प्रतिशत बजट आवंटित
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देने के लिए गठित उद्यानिकी विभाग का विवादों से नाता कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दरअसल, विभाग के अफसर लगातार ऐसी करतूतें करते रहते हैं, जिससे विभाग की बदनामी तो होती ही है, साथ ही किसानों को भी नुकसान होता है। ताजा मामला माइक्रो इरीगेशन योजना के तहत जिलों को बजट आवंटन का है। अफसरों ने जिलों को बजट आवंटन में गड़बड़ी करते हुए उन सात जिलों को माइक्रो इरीगेशन योजना का 90 फीसदी बजट आवंटित कर दिया है जहां उद्यानिकी फसलों की खेती का रकबा कम है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री तक पहुंच गई है। जानकारी के अनुसार प्रदेश के 45 जिलों में उद्यानिकी फसलों की सर्वाधिक खेती होती है। इन जिलों के कारण ही मप्र उद्यानिकी में देश में अपना स्थान बनाए हुए हैं। लेकिन विडंबना यह देखने को मिल रही है कि उद्यानिकी महकमे की माइक्रो इरीगेशन योजना में अजब-गजब बजट आवंटन किया गया है।
प्रदेश के जिन 45 जिलों में उद्यानिकी रकबा 80 प्रतिशत तक है, उनको महज 10 प्रतिशत और जिन 7 जिलों में 20 प्रतिशत ही उद्यानिकी रकबा है, वहां 90 प्रतिशत बजट आवंटित कर दिया गया। उदाहरण के तौर पर सिर्फ दो ब्लॉक वाले भोपाल जिले को 4.25 करोड़ रुपए से ज्यादा बजट दे दिया गया है जबकि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन के 6 ब्लॉकों के नाम पर सिर्फ 6 लाख रुपए ही आवंटित किए गए हैं। उज्जैन का उद्यानिकी रकबा भोपाल से दस गुना ज्यादा है, लेकिन बजट 8 गुना कम दिया गया। इसकी शिकायत सीएम तक पहुंच चुकी है।
दलाल और अफसर की मिलीभगत
संचालनालय उद्यानिकी के बजट आवंटन के सामान्य मद में लक्ष्य के विरुद्ध बजट राशि 10.41 करोड़ रुपए 52 जिलों के लिए स्वीकृत हुए। इसमें से भोपाल, सीहोर, देवास, राजगढ़, बड़वानी, रायसेन और नर्मदापुरम को 8.96 करोड़ रुपए दिए गए। बजट आवंटन में गड़बड़ी की शिकायत मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंच गई है। इसमें भोपाल स्थित कुछ कंपनियों के इशारे पर ग्वालियर के एक दलाल और उद्यानिकी महकमे में डेपुटेशन पर जमे एक अपर संचालक ने तय किया है। इसके बाद महकमे में हड़कंप मचा है। बजट आवंटन वर्ष 2023-24 एवं 2024-25 में माइक्रो इरिगेशन (ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर) योजना पीडीएमसी (पर ड्रॉप मोर क्रॉप) के लिए उद्यानिकी विभाग को जारी करना था। इसमें 7 जिलों में सामान्य मद को 90 प्रतिशत राशि और बाकी के 45 जिलों में मात्र 10 प्रतिशत राशि दी गई है। सूत्रों के अनुसार बजट के दुरुपयोग और गलत भुगतान संबंधी शिकायत उद्यानिकी मंत्री के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी महेश यादव के नाम से आई, जिसमें 10 ड्रिप व मिनी स्प्रिंकलर कंपनियों द्वारा योजना में फर्जीवाड़ा करना बताया गया। मजे की बात यह कि इस शिकायत में कोई भी प्रमाणिक साक्ष्य और तथ्य ना होने के बावजूद उद्यानिकी मंत्री के ओएसडी यादव ने सर्विस प्रोटोकॉल को दरकिनार करके सीधे निर्देशात्मक पत्र आईएएस शशि भूषण सिंह संचालक उद्यानिकी विभाग को 11 सितंबर 2024 को लिखा। इसमें भुगतान रोकने और बजट आवंटन ठीक करने के निर्देश थे। इसके बाद तमाम पुरानी प्रक्रिया को निरस्त करते हुए ठीक 2 दिन बाद 13 सितंबर 2024 को बजट का आवंटन नए सिरे से जारी हो गया। उद्यानिकी मंत्री के ओएसडी महेश यादव का कहना है कि शिकायती पत्र आया था तो संचालक उद्यानिकी को परीक्षण के लिए लिखा था। हम तो जांच के लिए ऐसे ही लिखते हैं ,अब इसके बाद क्या हुआ, पता हीं। वहीं उद्यानिकी विभाग के प्रमुख सचिव अनुपम राजन का कहना है कि भोपाल जिले के लिए 4 करोड़ और उज्जैन जिले के लिए 6 लाख रुपए के आवंटन का परीक्षण करवाएंगे। साथ ही क्लास-2 ओएसडी द्वारा आईएएस संचालक उद्यानिकी को लिखे गए निर्देशात्मक/ आदेशात्मक पत्र को भी दिखवाते हैं।