संगठन की नसीहत से… पटरी पर आए विधायक

विधायक

विनोद उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम। बीते दिनों जिस तरह से भाजपा विधायकों द्वारा प्रदेश की कानून व्यवस्था और अफसरशाही को लेकर सार्वजनिक रुप से नाराजगी का प्रदर्शन किया गया , उससे सरकार के साथ ही संगठन की कार्यप्रणाली को लेकर गंभीर सवाल खड़े होने लगे थे। ऐसे मामलों को संगठन ने बेहद गंभीरता से लिया। यही वजह है कि बीते दिन संगठन ने ऐसे विधायकों को भोपाल बुलाकर नसीहत की ऐसी घुट्टी पिलाई कि उनके सुर ही पूरी तरह से बदल गए।
दरअसल, कानून-व्यवस्था पर खुलेआम नाराजगी जाहिर कर चुके भाजपा विधायकों को बीते रोज सत्ता और संगठन के सामने प्रदेश भाजपा कार्यालय में तलब किया गया था। यह बात अलग है कि सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहे मऊगंज विधायक प्रदीप पटेल पेशी पर नहीं पहुंचे, लेकिन उनके द्वारा सफाई दी गई कि जल्दी में उन्हें रिजर्वेशन नहीं मिल पाया जिसकी वजह से भोपाल नहीं पहुंच सके हैं। उधर, पुलिस में सुनवाई नहीं होने पर इस्तीफा लिखने वाले देवरी विधायक बृजबिहारी पटेरिया, और शराब माफिया-सट्टेबाजी से परेशान नरयावली विधायक प्रदीप लारिया की बंद कमरे में सीएम डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा ने सुनवाई की। दोनों को पार्टी लाइन में रहकर बात करने की नसीहत दी गई। इस बैठक के बाद प्रदेश अध्यक्ष वीडी ने कहा, भाजपा में सतत संवाद की पद्धति है। समय-समय पर चर्चा करते हैं। आज भी कुछ विधायकों से आवश्यक चर्चा हुई है।गौरतलब है कि मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल ने एसपी के पैरों में गिर कर खुद की सुरक्षा की मांग की थी। इसका वीडियो भी सामने आया था। उन्होंने कहा था कि यह जिला पूरी तरह से नशाखोरी की चपेट में है।
प्रदीप पटेल हो गए थे दंडवत
शराब और नशा माफिया के खिलाफ आंदोलन कर रहे मऊगंज से बीजेपी विधायक प्रदीप पटेल पार्टी नेतृत्व के बुलाने के बाद भी भोपाल नहीं आएं। अपनी कार्यशैली से पार्टी को मुसीबत में डालने की बात पर पटेल का कहना था कि मेरे क्षेत्र में किराना और जनरल स्टोर्स तक पर नशे का सामान मिल रहा है। ये बात उठा रहा हूं तो कुछ लोग माहौल बना रहे हैं कि मैं सेटिंग करने का प्रयास कर रहा हूं। कोई कहता है कि मैं पुलिस पर प्रेशर बना रहा हूं। आईजी साहब अपने आंकड़ों का तर्क देते हैं कि हमने इतने बड़े पैमाने पर कार्रवाई कर दी। इसका मतलब यही है कि ये कारोबार रुकने की बजाए और ज्यादा बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार भी चाहती है कि प्रदेश नशामुक्त हो।
मैं भी सरकार के उसी अभियान को आगे बढ़ा रहा हूं। इसमें सरकार के खिलाफ जाने वाली कौन सी बात है। दरअसल, पटेल बुधवार को मऊगंज के एएसपी अनुराग पांडे के सामने दंडवत हो गए थे। विधायक हाथ जोडक़र कहने लगे, एएसपी साहब, आप मुझे मरवा दीजिए। इसका वीडियो भी सामने आया। इसके बाद उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई। लेकिन, उन्होंने अतिरिक्त सुरक्षा लेने की बजाय पहले से मिले सुरक्षाकर्मी भी शासन को लौटा दिए। अब वे अपने क्षेत्र में बस-बाइक से ही सफर कर रहे हैं।
 पटेरिया ने यह दी सफाई
आधी रात को इस्तीफे का ऐलान करने वाले देवरी विधायक बृजबिहारी पटेरिया को 15 मिनट सत्ता और संगठन ने सुना। उन्होंने स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली से प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराया। बैठक के बाद उन्होंने सफाई दी की तो उन्होंने कि गुस्से में आकर इस्तीफा दे दिया था, अब सबकुछ ठीक है। मैंने संगठन के समक्ष अपनी बात रख दी है। उधर, सागर में शराब माफिया और सट्टेबाजी से परेशान होकर पुलिस के सामने समर्थकों के साथ शिकायत करने वाले नरयावली विधायक प्रदीप लारिया आधे घंटे तक बैठे रहे। पुलिस की लापरवाही का मुद्दा उठाया। समझाइश के बाद बाहर निकले लारिया ने कहा कि हमारी तो कोई नाराजगी ही नहीं  थी। अपने क्षेत्र की बातें रखीं। गौरतलब है कि मऊगंज के विधायक प्रदीप पटेल ने एसपी के पैरों में गिर कर खुद की सुरक्षा की मांग की थी। इसका वीडियो भी सामने आया था। उन्होंने कहा था कि यह जिला पूरी तरह से नशाखोरी की चपेट में है। प्रदेश कार्यालय में चुनाव समिति की बैठक के साथ ही नाराज विधायकों से भी पार्टी नेताओं ने वन टू वन चर्चा की।
सबसे पहले भार्गव हुए थे सक्रिय
जैसे ही विधायक पटेरिया का इस्तीफा वायरल होने की जानकारी पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव को लगी तो उन्होंने तत्काल उनसे फोन पर बातचीत की। भार्गव ने इस्तीफा स्पीकर को ना भेजने के लिए मनाया। गोपाल भार्गव ने तत्काल कलेक्टर और एसपी से बातचीत की। विधायक की सुनवाई न होने पर नाराजगी जताई। इस्तीफा वायरल होने के कारण पुलिस प्रशासन भी दबाव में आया। इसके बाद तत्काल एसपी, कलेक्टर ने एडिशनल एसपी लोकेश सिन्हा को केसली भेजा। मौके पर पहुंचे एएसपी ने मामले की गंभीरता समझी और विधायक की मांग के अनुसार एफआईआर दर्ज करवाई और केसली थाना के प्रभारी अजय बैगा को लाइन हाजिर करने का मौखिक आश्वासन दिया। इसके बाद  विधायक मान गए थे।

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