बच्चे को शराब बेचने वाले ठेकेदार पर मामला दर्ज, नशे में कर दी थी हत्या

ठेकेदार
  • प्रदेश में पहली बार हुई कार्रवाई

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के इतिहास में पहली बार राजधानी भोपाल में बच्चों को शराब बेचने वाले ठेकेदार के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। इसके साथ ही, सिगरेट बेचने वाले व्यक्ति के खिलाफ भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। इस मामले में किशोर न्याय (जेजे) बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने जांच करनले के बाद शराब ठेकेदार पर मामला दर्ज कर लिया है। जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रधान न्यायाधीश श्रुति जैन के मार्गदर्शन इस मामले की जांच की जा रही है। जेजे बोर्ड के सदस्य डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बताया कि छह सितंबर को बाग सेवनिया थाना क्षेत्र में चार किशोरों ने नशे की हालत में एक व्यक्ति की हत्या कर दी थी। किशोरों ने काउंसलिंग में बताया कि उन्होंने उस रोज शराब पी थी, इस दौरान उन्हें कुछ नहीं पता चला और हत्या कर दी। बच्चों ने बताया कि शराब के साथ ही उन्होंने सिगरेट भी पी थी। मामले में किशोर न्याय बोर्ड के हस्तक्षेप के बाद पुलिस ने शराब बेचने पर आरआरएल शराब दुकान के दुकानदार और सिगरेट बेचने वाले के खिलाफ जेजे एक्ट की धारा धारा 77 और 78 के तहत एफआईआर दर्ज की। बच्चों को उक्त दुकानदारों ने ही नशायुक्त वस्तुएं बेची थी।
बच्चे नशे की हालत में कर रहे अपराध
जेजे बोर्ड के सदस्य डॉ. कृपाशंकर चौबे ने बताया कि भोपाल जिले में बच्चों द्वारा मर्डर सहित कई गंभीर अपराध किए जा रहे हैं, यह सभी कृत्य वह बच्चे नशे की हालत में करते हैं। जेजे बोर्ड की प्रधान मजिस्ट्रेट श्रुति जैन और डॉ. चौबे ने ऐसे मामलों में कार्रवाई के लिए टीम गठित की है। जेजे बोर्ड पुलिस और आबकारी विभाग के समन्वय से बच्चों को नशा उपलब्ध कराने वालों पर अंकुश लगाने का काम कर रहा है।
यह है नियम
18 साल से कम उम्र वालों को शराब या तंबाकू बेचने पर धारा 76, 77 और किशोर न्याय (बालकों की देखरेख एवं संरक्षण) नियम 2016 के नियम 57 में सजा का प्रावधान किया गया है। व्यापारियों के लिए दुकान पर बोर्ड लगाकर सूचना देने का भी नियम है कि यहां 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को शराब या तंबाकू उत्पाद नहीं बेची जाती है। बिक्री करने पर विक्रेताओं पर आपराधिक केस और दोषी पाए जाने पर 7 साल तक सजा व एक लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान भी किया गया है।
इसलिए बच्चे कर रहे हैं अपराध
किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य डॉ. कृपा शंकर चौबे ने कहा कि बच्चे कोमल हृदय के होते हैं, इन्हें पता नहीं होता कि वे क्या करने जा रहे हैं? कोई बड़ा व्यक्ति इनको शराब और अन्य नशे की आदत लगा देता है और नशे की गिरफ्त में आकर वे अपराध के सहभागी बन जाते हैं। बच्चों द्वारा नशा करके अपराध करने की प्रवृत्ति में वृद्धि बढ़ रही है। किसी भी बच्चे को नशा का पदार्थ देना, बिकवाना,या पिलाना अपराध है। किशोर न्याय बोर्ड के संज्ञान में एक ऐसा ही मामला सामने आया। इसके बाद हमने लगातार इस मामले में कार्य किया और आबकारी विभाग और पुलिस के साथ मिलकर अवेयरनेस के साथ-साथ समाज को भी यह बताने का प्रयास किया है कि बच्चों को इस प्रकार की गतिविधि से दूर रखें। शराब ठेकेदार के प्रति जो एफआईआर हुई है, यह सराहनीय कदम है। मध्य प्रदेश में यह ऐसी पहली कार्रवाई है, जो ऐसे लोगों के प्रति हुई है, जिन्होंने बच्चों को नशा परोसा। हम उम्मीद करते हैं कि उनके प्रति कठोर कार्रवाई होगी। समाज में सकारात्म्क संदेश जा सकेगा।  
बच्चों को शराब, तंबाकू जैसी चीजें नहीं बेची जा सकती
एडिशनल डीसीपी महावीर सिंह मुजाल्दा ने बताया कि हमारे पास कुछ प्रमाण आए थे कि नाबालिगों को शराब बेची गई थी। जेजे एक्ट 77 में प्रावधान है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के शराब, तंबाकू जैसी चीजें नहीं बेची जा सकतीं। मैंने यह पहला मामला दर्ज कराया है। मैंने जहां-जहां कार्य किया है, वहां जहां जहां भी जेजे एक्ट का हनन  हुआ है, मामला दर्ज कराया है।

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