बीजिंग हमारी परीक्षा ले रहा: जो बाइडन

जो बाइडन

वॉशिंगटन। अमेरिका और चीन के बीच के हालात कुछ सही नहीं नजर आ रहे है। दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को एक हॉट माइक पर क्वाड देशों के नेताओं से यह कहते हुए सुना गया कि चीन हमारी परीक्षा ले रहा है। इससे उभरते चीनी खतरे के प्रति अमेरिका की गंभीरता का पता चलता है। बाइडन की यह टिप्पणी शनिवार को क्वाड लीडर्स समिट के दौरान सामने आई। इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने नेताओं से कहा, ‘हमारा मानना है कि शी जिनफिंग घरेलू आर्थिक चुनौतियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं और चीन में अशांति को कम करना चाहते हैं।’

शिखर सम्मेलन स्थल से रिपोर्टर के बाहर निकलते समय उनकी शुरुआती टिप्पणी हॉट माइक पर कैद हो गई। बाइडन को यह कहते हुए सुना गया, ‘मेरे विचार से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग बीजिंग के हितों को आक्रामक तरीके से आगे बढ़ाने के लिए अपने लिए कुछ कूटनीतिक स्थान चाह रहे हैं। चीन लगातार आक्रामक व्यवहार कर रहा है। आर्थिक और प्रौद्योगिकी मुद्दों सहित कई मोर्चों पर हमारी परीक्षा ले रहा है।’उन्होंने कहा कि इसके साथ ही हमारा मानना है कि कड़ी प्रतिस्पर्धा के लिए कूटनीति की जरूरत होती है।

हालांकि, एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बाद में इस बात को तवज्जो नहीं देने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि मेरे पास इस बारे में विस्तार से बताने के लिए बहुत कुछ है। यह पहले कही गई बातों के अनुरूप है और मुझे नहीं लगता कि यह बहुत आश्चर्य की बात होगी कि हमारी अंदरूनी आवाज हमारी बाहरी आवाज से मेल खाती है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन एजेंडे में रहा होगा। यह एक हिंद-प्रशांत सम्मेलन है। यह एक हिंद-प्रशांत साझेदारी है। चीन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख देश है। लेकिन मुझे लगता है कि यह कहना भी उचित होगा कि एजेंडे में कई अन्य विषय भी थे।’

चीन दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर दोनों में क्षेत्रीय विवादों में उलझा हुआ है। वह पूरे दक्षिण चीन सागर पर संप्रभुता का दावा करता है। वियतनाम, मलेशिया, फिलीपींस, ब्रुनेई और ताइवान भी इसके खिलाफ दावे करते हैं। चार सदस्यीय क्वाड या चतुर्भुज सुरक्षा संवाद, एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने की वकालत करता है। चीन का दावा है कि समूह का उद्देश्य उसके उदय को रोकना है।

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