आरटीआई के तहत मिली जानकारी में हुआ खुलासा
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र में संचालित 108 संजीवनी एंबुलेंस में बड़े फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। आरोप लगाया गया है कि सेवा का संचालन करने वाली कंपनी गलत आंकड़ें दिखाकर फर्जीवाड़ा कर रही है। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी के अनुसार विदिशा जिले में जिन मरीजों को भर्ती किया गया, उनके नामों में एक जनवरी 2023 को मीना नाम की गर्भवती महिला रिकॉर्ड में दर्ज है। मीना नाम की महिलाओं के आगे सरनेम और डिटेल पूरा दर्ज नहीं किया गया है। ऐसे कई मामले हैं। सिर्फ विदिशा जिले में जेएईएस एम्बुलेंस द्वारा लगभग प्रतिदिन 160 से 200 व्यक्तियों के नाम दर्ज है, जिसमें 80 प्रतिशत से ज्यादा गभर्वती महिलाओं के पंजीयन दर्ज होना दर्शाया गया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिली जानकारी में 10 माह में अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक कुल 10 माह में करीब 325 करोड़ रुपए का भुगतान एनएचएम द्वारा जेएईएस को किया गया है, जो एक जांच का विषय है।
गौरतलब है कि साल 2021 में एनएचएम मप्र ने जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेज के साथ किए पर एंबुलेंस चलाने के लिए अनुबंध हुआ था। 14 अप्रैल 2022 से जेईएस ने एंबुलेंस की सुविधा मप्र में शुरु की। एनएचएम से हुए एग्रीमेंट के अनुसार जो वाहन जय अंबे कंपनी को दिए गए थे। उनमें लगभग 23 एएलएस गाडियां, लगभग 319 बीएलएस गाडियां, जननी एम्बुलेंस 60 टाईप बी के अतिरिक्ति (जेएईएस) द्वारा खरीद कर लगाई गई गाडिय़ा निम्नानुसार है, जिसमें लगभग 144 एएलएस गाडिय़ां, लगभग 516 बीएलएस गाड़िया, लगभग 990 टाईप बी जननी एम्बुलेंस के अतिरिक्त 104 हेल्प लाईन (15 सीटर) भी (जेएईएस) द्वारा गाडिय़ां संचालित की जा रही हैं। एनएचएम द्वारा निष्पादित अनुबंध के अनुसार, प्रति किमी के हिसाब भुगतान की जाने वाली राशि में सभी तरह के खर्चे व संसाधन शामिल है। जिसमें गाड़ियों का रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन, ड्यूटी टोल टैक्स, दवाइयां, मेडिकल इक्युमेंट सामग्री आदि भी शामिल हैं। इसके बावजूद जेएईएस द्वारा मप्र में संचालित की जा रही गाडिय़ों का मप्र के आरटीओ दफ्तर में रजिस्ट्रेशन कराने की अपेक्षा छत्तीसगढ़ आरटीओ में रजिस्ट्रेशन है और रोड टैक्स भी छग सरकार को भरा गया है, जबकि क्सिी अन्य राज्य के आरटीओ में पंजीकृत वाहन को दूसरे राज्य में संचालित किया जाता है, तो उस राज्य के आरटीओ कार्यालय में उनका पंजीयन होना चाहिए। जबकि मप्र में जेएइएस द्वारा अनुबंध तारीख से लेकर आज भी करीब 1950 एम्बुलेंस छत्तीसगढ़ नंबर प्लेट पर चलाई जा रही है जो कि जांच का विषय है।
छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड वाहन एमपी में दौड़ रहे
एनएचएम से हुए अनुबंध की शर्तों अनुसार (जेएईएस) द्वारा किसी भी प्रकार की जानकारी छिपाना या लिखित में सूचित कर अनुमति ना लेना अपने आप में भ्रष्ट आचरण की परिधि में आएगा। क्या अनुबंध अनुसार जेएईएस द्वारा एनएचएम को लिखित में सूचित कर अनुमति मांगी गई थी कि उनके द्वारा लगाए गए समस्त एम्बुलेंस का रजिस्ट्रेशन, रोड टैक्स आदि का छत्तीसगढ़ राज्य में भुगतान कर गाडिय़ां मध्यप्रदेश में संचालित की जा सकेगी। यदि ऐसा हुआ है तो मध्यप्रदेश राज्य को लगभग 30 से 40 करोड़ के राजस्व की हानि हुई है, क्योंकि (जेएईएस) द्वारा समस्त एम्बुलेंस छत्तीसगढ़ में पंजीयन कराकर छत्तीसगढ़ नंबर प्लेट के साथ मध्यप्रदेश में संचालित की जा रही हैं, जो अनुबंध अनुसार मध्यप्रदेश सरकार के साथ बड़ा आपराधिक कृत्य नजर आ रहा है। परिवहन विभाग के नियमों के मुताबिक एक राज्य का वाहन ट्रांसफर कराए बिना दूसरे राज्य में छह महीने से ज्यादा की अवधि तक नहीं चलाया जा सकता। जबकि, मध्यप्रदेश में जेएइएस द्वारा अनुबंध करने से लेकर आज तक लगभग 1950 एम्बुलेंस छत्तीसगढ़ नंबर प्लेट की चलाई जा रही है जो कि एक जांच का विषय है। इसको लेकर हमने परिवहन विभाग के प्रमुख अधिकारी को लिखित में शिकायत की गई थी जिसके बाद भी आज दिनांक तक किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं हुई। आज भी जेएईएस द्वारा छत्तीसगढ की नंबर प्लेट लगाकर मध्यप्रदेश में एम्बुलेंस चलाई जा रही है। क्या परिवहन विभाग ने (जेएईएस) को किसी भी प्रकार का नोटिस दिया या कार्यवाही की गई, यदि नहीं तो क्यों नहीं की गई?
10 महीने में 325 करोड़ का कंपनी को हुआ भुगतान
आरटीआई एक्टविस्ट पुनीत टंडन का कहना है कि सूचना के अधिकार से प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर वित्तीय वर्ष 2023-24 की प्राप्त जानकारी अनुसार 10 माह में अप्रैल 2023 से जनवरी 2024 तक कुल 10 माह में लगभग 325 करोड़ रूपयों का एनएचएम द्वारा जेएईएस को भुगतान किया गया है, जो कि अपने आप में एक जांच का विषय है। सूचना के अधिकार में मिली जानकारी के अनुसार साल 2023 के जून महीने में लगभग 1 करोड़ 60 लाख किलोमीटर की एम्बुलेंस की रनिंग दिखाई गई । जिनके एवज में एनएचएम द्वारा जेएइएस को 30 करोड़ 50 लाख का भुगतान किया गया। साल 2023 के अक्टूबर महीने में लगभग 1 करोड़ 73 लाख किलोमीटर एम्बुलेंस चलाई जाना बताई गई जिसके एवज में एनएचएम द्वारा जेएइएस को लगभग 35 करोड़ का भुगतान किया गया । साल 2023 के दिसंबर महीने में लगभग 1 करोड़ 96 लाख किलोमीटर एम्बुलेंस चलाई जाना बताई गई जिसके एवज में एनएचएम द्वारा जेएइएस को लगभग 38 करोड़ का भुगतान किया गया। जनवरी 2024 में लगभग 1 करोड़ 88 लाख किलोमीटर से अधिक एम्बुलेंस चलाने की जानकारी दी गई। जिसके एवज में एनएचएम द्वारा जेएइएस को लगभग 35 करोड़ 50 लाख से अधिक का भुगतान किया गया। लगभग 10 माह में 325 करोड़ रूपये का भुगतान एनएचएम द्वारा जेएइएस को किया गया है जो कि अपने आप में बड़ा भ्रष्टाचार होने के साथ एक जांच का विषय है।