- हिरासत में बंदी की मौत और हिंसा का मामला
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। प्रदेश के थानों में हिरासत में लगातार बंदियों के साथ हो रही मारपीट और मौतों के मामलों को लेकर पुलिस पर गंभीर आरोप लग रहे हैं, जिसकी वजह से पुलिस महकमे की फजीहत हो रही हैं। लगातार हो रहे ऐसे मामालों में सीएम डॉ. मोहन यादव ने डीजीपी सहित आला अधिकारियों से नाराजगी जताते हुए कहा कि आला अधिकारी सुनिश्चित कर लें कि इन घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। तब जाकर पीएचक्यू की सीआईडी शाखा ने प्रदेश के सभी आईजी जोन, पुलिस आयुक्त एवं जिला पुलिस अधीक्षकों को पुलिस कस्टडी में होने वाली हिंसा की रोकथाम के संबंध में गाइड लाइन जारी कर की। जिसमें कहा गया है कि जिला पुलिस अधीक्षकों को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है कि यदि उनके अधीनस्थ किसी थाने में पुलिस अभिरक्षा में हिंसा होती है तो यह माना जाएगा कि कहीं न कहीं उनके स्तर पर मॉनिटरिंग में भी लापरवाही रही है। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलिस कस्टडी में लिए गए व्यक्ति को थाना स्टाफ द्वारा किसी भी प्रकार से प्रताडि़त न किया जाए। साथ ही ताकीद किया है कि अब हिरासत में बंदी के साथ कोई हिंसा हुई तो सीधे एसपी और आईजी तक जिम्मेदार होंगे। हवालात में लगे सीसीटीवी कैमरे की नियमित मॉनीटरिंग के लिए प्रत्येक थाने में एएसआई स्तर के पुलिस अधिकारी को नियुक्त किया जाए एवं यह भी सुनिश्चित किया जाए कि कैमरे प्रत्येक समय चालू अवस्था में रहे। सुनिश्चित करें कि सीसीटीवी कैमरा इतनी ऊंचाई पर हो कि उसके साथ किसी प्रकार की छेड़ छाड़ न की जा सके। सुनिश्चित करें कि कैमरा का एंगल ऐसा हो कि पूरे हवालात को कवर कर सके। यह भी सुनिश्चित करें कि हवालात के सीसीटीवी का फीड मोहर्रिर को प्रत्यक्ष रूप से दिख सके।
कस्टडी में हिंसा रोकने गाइडलाइन जारी
सीआईडी के एडीजी पवन कुमार श्रीवास्तव ने जो दिशा निर्देश दिए हैं, उसमें कहा गया है कि जोनल पुलिस महानिरीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक इस विषय में विशेष बैठकें आयोजित कर थाना प्रमारियों को इस विषय में संवेदनशील बनाएं। थाने में हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध कराया जाना सुनिश्चित किया जाए। यदि किसी थाने की हवालात के लिए पर्याप्त बल उपलब्ध नहीं है तो उस हवालात में उस बंदी को न रखें, अन्य किसी बंदीगृह जहां पर्याप्त बल उपलब्ध है, उसमें रखा जाए। हर समय आरक्षक, प्रधान आरक्षक बंदी की सुरक्षा में तैनात रहें।
बीमार या घायल को थाने न लाया जाए
आरोपी को अभिरक्षा में लेते समय एवं हवालात में प्रवेश कराते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि उसके पास ऐसी कोई वस्तु न हो, जिससे वह अपने शरीर को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचा सके। बीमार, अत्यधिक नशे में पाये गये व्यक्तियों एवं अन्य घायल व्यक्तियों को थाने पर न रखा जाए, उन्हें शीघ्र चिकित्सा के लिए अस्पताल में भर्ती कराया जाए। अभिरक्षा में लिाए गए प्रत्येक व्यक्ति का चिकित्सा परीक्षण तत्काल कराया जाए।