उपचुनाव में कांग्रेस का… ‘आदिवासी’ दांव!

  • विजयपुर पर कब्जा बरकरार रखने की कवायद
  • गौरव चौहान
कांग्रेस

छिंदवाड़ा के अमरवाड़ा विधानसभा उपचुनाव में मिली मामूली वोटों से हार के बाद कांग्रेस बुधनी और विजयपुर उपचुनाव की पहले से तैयारियां तेज कर दी हैं। मप्र कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी बूथ मैनेजमेंट पर विशेष फोकस कर रहे हैं। दोनों ही विधानसभाओं के बूथ मैनेजमेंट की जिम्मेदारी कांग्रेस पार्टी विधायकों को देंगी। कांग्रेस पार्टी की तरफ से तय किया गया है कि 30-30 विधायकों की टोली बनाई जाएगी। जिनका मुख्य काम बूथ प्रबंधन का होगा। वहीं 2023 में विजयपुर विधानसभा सीट जीतने वाली कांग्रेस उपचुनाव में भी यहां जीत का गणित बना रही है। इसके लिए पार्टी  ‘आदिवासी’ दांव लगाने की तैयारी कर रही है। यानी पार्टी का फोकस आदिवासी वोट बैंक पर है और संभवत: पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी पर दांव लगा सकती है।
भाजपा और कांग्रेस की रणनीति को देखते हुए एक बात तो तय है कि श्योपुर जिले में विजयपुर विधानसभा में होने वाला उपचुनाव बेहद रोचक होने की संभावना है। यहां से वर्ष 2023 में कांग्रेस की टिकट पर विधायक बने रामनिवास रावत के त्यागपत्र देने और भाजपा में शामिल के कारण उपचुनाव हो रहा है। रावत को भाजपा ने मोहन कैबिनेट में मंत्री भी बनाया है। रावत ही उपचुनाव में भाजपा के प्रत्याशी होंगे। यही वजह है कि कांग्रेस यहां आदिवासी प्रत्याशी देना चाहती है ताकि आदिवासी बहुल वोटों का उसे लाभ मिल सके। सीताराम ने ही वर्ष 2018 में भाजपा की टिकट पर रामनिवास रावत को हराया था, लेकिन भाजपा ने वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में सीताराम आदिवासी की टिकट काटकर बाबूलाल मेवरा को दे दी थी। कांग्रेस एक अन्य आदिवासी प्रत्याशी के नाम पर भी विचार कर रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में विजयपुर से निर्दलीय प्रत्याशी रहे मुकेश मलहोत्रा ने 44,128 वोट लिए थे। कांग्रेस का गणित आदिवासी वोटों को एकजुट रखकर भाजपा को मात देना है।
जयवर्धन की परीक्षा
कांग्रेस विजयपुर उपचुनाव में भाजपा की घेराबंदी की तैयारी कर रही है। पार्टी ने इसके लिए पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह को प्रभारी बनाया है। जयवर्धन कहते हैं कि फिलहाल प्रत्याशी के मुद्दे पर निर्णय नहीं किया है। इस माह प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी के नेतृत्व में जनसभा करेंगे। दरअसल, इस चुनाव में जयवर्धन की असली परीक्षा है। गौरतलब है कि ग्वालियर- चंबल की राजनीति हमेशा से ही दिलचस्प रही है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सरकार बनी तो भी कांग्रेस के कारण बनी थी। वर्ष 2020 में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार गिरी तो भी उसमें ग्वालियर- चंबल क्षेत्र का ही महत्वपूर्ण योगदान था। इसी क्षेत्र के अधिकांश कांग्रेस विधायकों ने त्यागपत्र देकर मध्य प्रदेश की राजनीति में बड़ा परिवर्तन लाया था। प्रदेश में 28 उपचुनाव हुए तो भी यही क्षेत्र था, जिसने भाजपा की शिवराज सरकार को बहुमत में लाया। अब एकबार फिर यहा उपचुनाव होने जा रहा है। प्रदेश मंत्री भाजपा रजनीश अग्रवाल का कहना है कि कांग्रेस के पास चुनाव लड़वाने लायक कोई दमदार प्रत्याशी नहीं है इसलिए भाजपा नेताओं के बारे में बात कर रही है। सीताराम आदिवासी भाजपा के निष्ठावान नेता हैं, वे भाजपा में हैं और भाजपा में ही रहेंगे।
अपने ही बिगाड़ सकते हैं भाजपा का खेल
भाजपा को विजयपुर में बड़ी दिक्कत आने की संभावना है। हालांकि इस उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी रामनिवास रावत को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। यहां भाजपा के दो-दो पूर्व विधायक हैं। दोनों ने ही चुनाव लडऩे की इच्छा से पार्टी को अवगत करा दिया है। सीताराम आदिवासी के बगावती सूरों से भाजपा वाकिफ भी है। वहीं बाबूलाल मेवरा भी रावत की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं। यदि यही हाल रहा तो उपचुनाव में भाजपा की मुश्किलें और भी बढ़ जाएंगी। यहां रावत से पिछला चुनाव हारने वाले पूर्व विधायक बाबूलाल मेवरा का कहना है कि मैं पार्टी की स्थापना के समय से ही काम कर रहा हूं। पार्टी वरिष्ठता को ध्यान में रखकर टिकट देगी। रावत से आठ महीने पूर्व 18 हजार वोटोंं से चुनाव हारे मेवरा का कहना है कि वह पिछला चुनाव अपनों के भितरघात के कारण हारे थे। वहीं पूर्व विधायक सीताराम आदिवासी ने बगावती तेवर अपना लिए हैं। सीताराम का कहना है कि मेरे समाज के मत इस क्षेत्र में ज्यादा हैं, लिहाजा मुझे ही टिकट मिलना चाहिए। यही नहीं उन्होंने इस बात के संकेत भी दिए कि अगर उन्हें टिकट नहीं मिला तो वह कांग्रेस का भी दामन थाम सकते हैं। चंबल इलाके में जातिगत आधार राजनीति में काफी महत्व रखता है। मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट में कुल आठ विधानसभा आती हैं, जिनमें से पांच विधानसभाओं श्योपुर, जौरा, मुरैना और अंबाह में कांग्रेस के विधायक हैं, पांचवी सीट विजयपुर (रिक्त) भी पिछले चुनाव में कांग्रेस ने ही जीती थी। ईधर, भाजपा के पास तीन विधानसभा सबलगढ़, सुमावली और दिमनी विधानसभा हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में इसके उलट परिणाम आए हैं। आठ में से पांच विधानसभा श्योपुर, विजयपुर, अंबाह, दिमनी और सुमावली में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली है। इन पांच विधानसभाओं में से जीत का सबसे बड़ा अंतर विजयपुर विधानसभा में 35612 वोट का रहा। इसी पर भाजपा की उम्मीद टिकी हुई है।

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