मानव अधिकार आयोग की सिफारिशों को शासन नहीं देता तवज्जो

मानव अधिकार आयोग
  • न्याय की आस में चक्कर लगा रहे लोग…

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। मप्र मानव अधिकार आयोग की सुस्त कार्यप्रणाली के कारण मानव अधिकार हनन से जुड़े 4,706 मामले लंबित पड़े हैं। कई मामले तो सालों पुराने हैं। यही नहीं आयोग द्वारा की गई अनुशंसाओं का भी पालन नहीं हो रहा है।  इससे आयोग में शिकायत करने वाले लोग परेशान हैं। आयोग में पिछले 21 माह से अध्यक्ष का पद खाली है। आयोग के पूर्व अध्यक्ष जस्टिस जेके जैन का अक्टूबर 2022 का कार्यकाल समाप्त हो गया था। आयोग में एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं, जिसमें जज मनोहर ममतानी और एडीजी राजीव टंडन हैं। वर्तमान में आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति सिर्फ तीन वर्ष के लिए होती है। कार्यवाहक अध्यक्ष जज मनोहर ममतानी को सरकार ने दूसरी बार सदस्य नियुक्त किया है।
जानकारी के अनुसार, राजधानी के कमला नगर थाने में कथित आत्महत्या करने वाले गोलू सारथी के परिवार को 14 महीने से मामले में लापरवाह और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई का इंतजार है। मप्र मानव अधिकार आयोग ने जुलाई 2022 में कमला नगर थाने के पुलिस कर्मियों और प्रभारी पर कार्रवाई और गोलू के परिवार को पांच लाख रुपए देने की अनुशंसाएं की थी। इस अनुशंसा से सरकार को भी अवगत करा दिया गया था, लेकिन अभी तक पालन नहीं हो पाया है। यह केवल गोलू के मामले में आयोग की अनुशंसा पर कार्रवाई और पालन का मामला नहीं है, बल्कि प्रदेश में इस तरह की 260 से अधिक अनुशंसाएं पिछले डेढ़ साल से शासन में लंबित हैं। इन अनुशंसाओं ने 20 ऐसे प्रकरण हैं, जिनमें विचाराधीन कैदी ने फांसी लगाई या फिर पुलिस अभिरक्षा में थाने के बंदीगृह में लोगों ने फांसी लगाई आदि हैं। दमोह के जगत लोधी का कहना है कि पुलिस द्वारा मेरे साथ मारपीट के मामले में आयोग ने संज्ञान लिया था। आयोग ने पुलिस के खिलाफ कार्रवाई और क्षतिपूर्ति के रूप में कुछ राशि रुपए देने की अनुशंसा भी थी, लेकिन अभी कुछ नहीं हुआ है।
आयोग की अनुशंसाएं भी अधर में
वर्तमान में आयोग के पास 4700 से अधिक शिकायतें लंबित हैं। इनके संबंध में आयोग माध्यम से जिलों से जांच रिपोर्ट बुलाई गई है। इसके अलावा रिपोर्ट का परीक्षण किया जा रहा है या आयोग के बेंच के सामने सुनवाई की स्थिति में ये आवेदन हैं। आयोग की 260 से अधिक अनुशंसाएं शासन के पास पेंडिंग हैं। हाईकोर्ट की युगलपीठ ने राज्य मानव अधिकार आयोग को पेंडिंग मामलों की जानकारी देने को कहा था। हाईकोर्ट ने मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष पद खाली होने पर सरकार से हलफनामा मांगा था। सरकार ने बताया था कि 31 अगस्त तक नियुक्ति कर दी जाएगी।  मानव अधिकार आयोग के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस मनोहर ममतानी का कहना है कि लंबित अनुशंसाओं के पालन नहीं होने के मामलों का रिव्यू किया जा रहा है। सरकार को इसका पालन करना आवश्यक है। अनुशंसाओं के अमल में थोड़ा समय लगता है। जानकारी के अनुसार मानव अधिकार आयोग में हर दिन करीब 60 अधिक लोगों के आवेदन मानव अधिकार हनन से संबंधित आते हैं। इसमें आयोग की टीम परीक्षण करती है कि आवेदन स्वीकार करने योग्य है या नहीं। इसके बाद मामले का जांच प्रतिवेदन और रिपोर्ट कलेक्टर और एसपी से मंगाई जाती है।

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