नई दिल्ली। पीसीआई के अध्यक्ष देवेंद्र झाझड़िया ने कहा कि डोपिंग नियमों के उल्लंघन के कारण पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत का भारतीय दल से बाहर होना निराशाजनक है लेकिन इससे 28 अगस्त से शुरू होने वाले पैरालंपिक खेलों के लिए उनके 25 पदकों के लक्ष्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा। पेरिस पैरालंपिक का आयोजन 28 अगस्त से आठ सितंबर तक होगा। इसमें भारत के 84 खिलाड़ी 12 खेलों में पदक के लिए जोर लगाएंगे। टोक्यो खेलों के स्वर्ण पदक विजेता (पुरुष एकल एलएल तीन वर्ग) पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी प्रमोद भगत को बीडब्ल्यूएफ के डोपिंग निरोधक ‘वेयरअबारट’ ( ठिकाने का पता ) नियम के उल्लंघन के कारण 18 महीने के लिए निलंबित कर दिया है । पेरिस पैरालंपिक के लिए भारतीय दल के विदाई समारोह के इतर झाझड़िया ने भाषा को दिये इंटरव्यू में प्रमोद के बारे में पूछे जाने पर कहा कि इस तरह के मामले से निपटने की पूरी जिम्मेदारी खुद खिलाड़ी की होती है।
झाझड़िया ने कहा, ‘देखिए, इस में कोई शक नहीं की प्रमोद भगत हमारे स्टार एथलीट और टोक्यो पैरालंपिक में स्वर्ण पदक विजेता हैं, लेकिन मैंने 25 पदक का जो लक्ष्य बनाया है वह हमारे मौजूदा 84 खिलाड़ियों के दल से है। इसमें प्रमोद भगत शामिल नहीं है।’ बीडब्ल्यूएफ ने मंगलवार को जारी एक बयान में कहा था, ‘बैडमिंटन विश्व महासंघ इसकी पुष्टि करता है कि भारत के टोक्यो 2020 पैरालम्पिक चैम्पियन प्रमोद भगत को 18 महीने के लिए निलंबित किया गया है और वह पेरिस पैरालम्पिक नहीं खेलेंगे।’
‘एक मार्च 2024 को खेल पंचाट (सीएएस) डोपिंग निरोधक प्रभाग ने भगत को बीडब्ल्यूएफ के डोपिंग निरोधक नियम के उल्लंघन का दोषी पाया। वह एक साल में तीन बार अपना ठिकाना बताने में नाकाम रहे थे।’ 36 वर्ष के एसएल3 खिलाड़ी भगत ने सीएएस (खेल पंचाट) के अपील विभाग में इस फैसले को चुनौती दी थी जो पिछले महीने खारिज हो गई। झाझड़िया ने कहा, ‘प्रमोद की देश के लिए उपलब्धि काफी बड़ी है लेकिन खेल के जो नियम-कानून है उन्हें खिलाड़ी को किसी भी हालत में पूरा करना होता है। उनकी तरफ से कही ना कही कमी रही है।’ पैरालंपिक खेलों में दो स्वर्ण और एक रजत पदक जीतने वाले झाझड़िया ने कहा, ‘प्रमोद का भारतीय दल में नहीं होना एक झटका है, क्योकि उन्होंने देश को पैरालंपिक का शीर्ष पदक दिलाया था।’