- करेगी शुगर को भी कंट्रोल
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा जारी की गईं विभिन्न फसलों की 109 नई किस्मों में दो तरह की गेंहू की किस्में भी शामिल हैं। अहम बात यह है कि यह दोनों ही किस्म मप्र में ईजाद की गई हैं। जो कई तरह से फायदेमंद हैं। इन किस्मों को ईजाद किया है इंदौर के भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय स्टेशन के प्रमुख और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेबी सिंह ने। उनका दावा है कि सिंचाई के लिए कम पानी मिलने पर भी गेहूं का उत्पादन प्रभावित नहीं होगा। यही नहीं इसके उत्पादन पर कम या ज्यादा तापमान से भी बुरा असर नहीं पड़ेगा। इसकी खास बात यह है कि इसमें से एक किस्म के गेंहू के खाने से शुगर कंट्रोल होगा। यह किस्म पास्ता के अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड वाली है।
एचआइ 1665 (पूसा गेहूं शरबती)
उच्च उपज देने वाली शरबती गेहूं की किस्म में एचआइ 1605 (पूसा उजाला) की तुलना में महत्त्वपूर्ण उपज का लाभ है। यह गेहूं की रोटी की किस्म है। इसमें कम ग्लूटेन इंडेक्स (44) है, जो मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा के स्तर को रोकने का बेहतर विकल्प है। प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सिंह के मुताबिक, इस गेहूं की रोटी की गुणवत्ता उच्च है। आयरन, जिंक व प्रोटीन है। आमतौर पर शुगर के मरीज को गेहूं खाने से रोका जाता है, लेकिन यह विशेष वैरायटी शुगर को कंट्रोल रखती है। यह किस्म एक पानी की सिंचाई में भी अच्छी उपज देती है। कहा जाता है कि तापमान बढ़ा तो उपज घटी, लेकिन इस किस्म पर असर नहीं है। ये 110 दिनों में पककर तैयार होनी वाली किस्म है, जो प्रति हेक्टेयर 33 क्विंटल तक उत्पादन दे सकती है। इसके दाने में जिंक की मात्रा 40.0 प्रतिशत तक है, जो एक बॉयोफोर्टिफाइड किस्म है।
एचआइ 8840 (पूसा गेहूं गौरव)
ड्यूरम कठिया गेहूं की किस्म एक उच्च उपज देने वाली ड्यूरम गेहूं की किस्म है। रोटी के साथ ही यह बाफले, पास्ता और दलिया के लिए विशेष किस्म है। प्रधान वैज्ञानिक के मुताबिक, यह गेहूं की किस्म अंतरराष्ट्रीय स्टैंडर्ड के पास्ता के लिए है। दावा किया गया है कि यह गेहूं भी कम सिंचाई होने की स्थिति में भी बेहतर उपज देने में सक्षम है। ज्यादा पानी होने पर उपज और बढ़ती है। इस गेहूं की रोटी नरम बनती है और पास्ता स्पेशल तरीके का बनता है। कुल मिलाकर दोनों किस्में किसानों के लिए फायदे का सौदा हैं। यह किस्म सीमित सिंचाई की स्थितियों में औसतन 30.2 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्रदान करने में सक्षम है, जबकि बढ़ी हुई जल उपलब्धता में यह उपज 39.9 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच सकती है। इसे विशेष रूप से काले और भूरे रस्ट जैसे प्रमुख रोगों के प्रति प्रतिरोधी बनाया गया है। पूसा गेहूं गौरव में आवश्यक पोषक तत्वों की मात्रा अधिक है। इस किस्म में अनाज जिंक (41.1 पीपीएम), अनाज आयरन (38.5 पीपीएम), और प्रोटीन (912 प्रतिशत ) की उच्च मात्रा पाई जाती है। यह न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है, बल्कि उपभोक्ताओं के लिए पोषण की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।