निगम-मंडलों पर… फिलहाल ब्रेक

  • राजनीतिक पुनर्वास के लिए अभी करना होगा और इंतजार
  • विनोद उपाध्याय
निगम-मंडलों

मप्र में लंबे समय से राजनीतिक पुर्नवास का इंतजार कर रहे नेताओं को एक बार फिर निराशा हाथ लगी है। इस निराशा की वजह यह है कि भाजपा ने फिलहाल निगम-मंडलों की नियुक्तियों को होल्ड कर दिया है। संभवत: संगठन चुनाव के बाद ही अब निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और विकास प्राधिकरणों में नेताओं की ताजपोशी होगी। सूत्रों का कहना है कि पार्टी की कोशिश है की संगठन चुनाव के बाद जो तस्वीर सामने आएगी, उसके अनुसार नेताओं का राजनीतिक पुर्नवास किया जाए। ताकि अधिक से अधिक नेताओं को संगठन और सरकार में एडजस्ट किया जा सके।
गौरतलब है कि प्रदेश में लंबे समय से निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और विकास प्राधिकरणों में ताजपोशी का इंतजार कर रहे है। तकरीबन 8 माह बाद नेताओं को उम्मीद जगी थी कि उन्हें निगम-मंडलों में नियुक्ति मिल जाएगी। लेकिन जिस तरह का संकेत मिल रहा है, उसके अनुसार भाजपा नेताओं को अभी और इंतजार करना होगा। भाजपा अब संगठन चुनाव के बाद ही इस मामले में आगे बढ़ेगी। केन्द्रीय नेतृत्व संगठन चुनावों की प्रक्रिया जल्द जारी कर सकता है। इसकी तैयारियां अब अंतिम चरण में है।
विधि विभाग की नियुक्तियों को लेकर नाराजगी
मप्र में विधि विभाग द्वारा प्रदेश में कई अतिरिक्त महाधिवक्ता, उपमहाधिवक्ता, शासकीय अधिवक्ता के साथ ही उप शासकीय अधिवक्ता की नियुक्ति को लेकर भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में नाराजगी सामने आई है।  विधि विभाग द्वारा पिछले दिनों महाधिवक्ता कार्यालय जबलपुर एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय इंदौर, ग्वालियर एवं नई दिल्ली कार्यालय में अतिरिक्त महाधिवक्ता एवं उपमहाधिवक्ता के साथ ही शासकीय अधिवक्ता एवं उप शासकीय अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है। जिसको लेकर भाजपा समर्थित कई अधिवक्ताओं और नेताओं में असंतोष की बात सामने आ रही है। ग्वालियर के अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी का नाम महाधिवक्ता बनाए जाने को लेकर आगे बल रहा था, उन्हें एक केन्द्रीय मंत्री का समर्थक माना जाता है। उनकी इस पद पर नियुक्ति न होना सियासी गलियारों में चर्चा का बिषय बनी हुई है। वहीं भाजपा के विधि प्रकोष्ठ से एकमात्र दिलीप अवस्थी को ग्वालियर के अतिरिक्त महाधिवक्ता कार्यालय में शासकीय अधिवक्ता बनाया गया है। इसी तरह इंदौर के अतिरिक्त महाधिवक्ता रहे मनोज द्विवेदी को भी नियुक्त नहीं किया गया है। इससे इंदौर के भाजपा समर्थित अधिवक्ताओं में नाराजगी है। भाजपा विधि प्रकोष्ठ से किसी भी पदाधिकारी को विधि विभाग के इन शासकीय पदों पर नियुक्ति न मिलने से पदाधिकारियों में नाराजगी है। इसका असर पिछले दिनों कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा के बयान के बाद देखने को मिला, जब प्रकोष्ठ द्वारा इसको लेकर कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई। इसके पूर्व किसी भी मामले को लेकर प्रकोष्ठ के पदाधिकारी अपनी शिकायत संबधित अधिकारियों के पास दर्ज कराते रहे हैं।
नेताओं को करना होगा तीन माह इंतजार
प्रदेश में निगम मंडलों में नियुक्ति के लिए लॉबिग कर रहे नेताओं को अभी तीन माह इंतजार करना होगा। इसके लिए पार्टी के संगठनात्मक चुनाव को लेकर चल रही कवायद आड़े आ रही है। पार्टी ने अभी सदस्यता अभियान की घोषणा भी नहीं की है। इसके बाद संगठनात्मक चुनाव होंगे, और इस प्रक्रिया में करीब तीन से चार माह का समय लगना है। माना जा रहा है कि जिन नेताओं को संगठन चुनाव में जिले और प्रदेश स्तर पर पदाधिकारी बनाया जाएगा, उन्हें निगम-मंडल में जगह नहीं मिलेगी। वह नेता जो विधानसभा और लोकसभा में टिकट के दावेदार थे लेकिन पार्टी ने उन्हें भविष्य में कोई बड़ी जिम्मेदारी देने का कहकर उस समय शांत कर दिया था, उनके नामों की पार्टी ने सूची बनाई है, इन पर विचार किया जा रहा है। इसमें कई ऐसे नेता भी है जो दूसरे दल से भाजपा में आए थे। ऐसे नेता अब अपनी ताजपोशी को लेकर काफी चिंतित है। कुछ नेता जो संगठन में पदाधिकारी है। अब निगम मंडल में अपनी नियुक्ति की लेकर आशावित है। उन्हें भी अभी जो नेता नहीं मिल इंतजार करना होगा।
नियुक्ति चाहने वालों की लंबी कतार
प्रदेश में खाली पड़े निगम-मंडल, बोर्ड, आयोग और विकास प्राधिकरणों में नियुक्ति चाहने वाले नेताओं की लंबी कतार है। जो पिछली सरकार में मंत्री थे, लेकिन इस बार उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी है, वह भी निगम मंडलों में अपनी नियुक्ति चाहते हैं, जिससे क्षेत्र में उनका प्रभाव बना रहें। हालांकि विधायकों को निगम मंडलों में जगह मिले इसकी संभावना कम ही है। हालांकि शिवराज सरकार में दो विधायकों को निगम मंडल की जिम्मेवारी दी गई थी। भाजपा में कांग्रेस से आए कई नेता जिनमें पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, इंदौर के पूर्व विधायक संजय शुक्ला, पाटन के पूर्व विधायक नीलेश अवस्थी, अभी हाल ही में अमरवाडा विधानसभा से भाजपा के टिकट पर जीत कर आप कमलेश शाह, लोकसभा चुनाव के समय भाजपा में आए छिंदवाड़ा में कमलनाथ के सबसे खास माने जाने वाले दीपक सक्सेना के अलावा कई ऐसे नेता हैं, जो लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा में आए थे। उन्हें अभी और इंतजार करना होगा।

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