न त्योहार किसी की बपौती, न सरकारी योजना, फायदा सभी को मिले

फायदा
  • रघुनंदन शर्मा के बयान पर काजी अनस बोले-

    भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। दुनिया भर में इकलौता देश हिंदुस्तान है, जहां त्योहारों की खुशियां सभी मिल जुलकर मनाते हैं। दिवाली की रौशनी में रहीम भी नहाया दिखाई देता है। इसी तरह ईद की मिठास लिए बिना राम भी खुद को नहीं रोक पाता। ऐसे में सरकारी योजनाओं को लेकर धर्म आधारित बंटवारा किया जाना न सिर्फ संकीर्ण मानसिकता का परिचायक कहा जाएगा, बल्कि इससे देश की गौरवशाली परंपरा को भी नुकसान होगा। ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष काजी सैयद अनस अली नदवी ने भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा के उस बयान पर कटाक्ष किया है, जिसमें शर्मा ने लाडली बहना योजना के तहत दी जाने वाली राशि सिर्फ एक समुदाय विशेष को दिए जाने की बात कही है। काजी अनस ने कहा कि प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव पूरे सूबे की अवाम को एक नजरिए से देखते हुए सभी को योजना का लाभ समान रूप से दे रहे हैं। उनकी स्वच्छ मानसिकता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि ईद के त्यौहार पर भी योजना की राशि समय पूर्व ही बहनों के खातों में ट्रांसफर कर दी गई थी। इस दौरान इस बात का भेदभाव नहीं किया गया था कि ईद का पर्व मनाने वालों को ही इसका फायदा दिया जाए।
    सरकार सबकी, योजना पर सभी का अधिकार
    ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड अध्यक्ष का कहना है कि प्रदेश सरकार ने लाड़ली बहना या इसके समांतर किसी योजना के लिए धर्म आधारित बंटवारा नहीं किया गया है। सरकार को चुनने में जिस तरह सभी धर्म, वर्ग, जाति, समुदाय का सहयोग होता है, उसी तरह सरकार से मिलने वाली सुविधाओं पर भी सभी का सामान अधिकार है।
    इसलिए उठी बात
    सीएम मोहन यादव इस बार अगस्त में लाड़ली बहनों को दोहरी खुशी देने जा रहे हैं। रक्षाबंधन के तोहफे के रूप में जहां लाड़ली बहनों को 250 रुपये मिलेंगे। इसके साथ ही लाडली बहना योजना के नियमित 1250 रुपये भी 10 अगस्त को बहनों के खाते में आएंगे।
    रघुनंदन की आपत्ति
    इस निर्णय पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद रघुनंदन शर्मा ने आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि जो महिलाएं रक्षाबंधन त्योहार को मानती हैं, उनके खाते में ही पैसे जाने चाहिए।
    रक्षा बंधन सभी बहनों का पर्व
    काजी अनस ने कहा कि रक्षा बंधन पर्व किसी धर्म विशेष का नहीं, बल्कि यह सभी बहन और भाइयों का पर्व है। हमारे देश में बड़ी तादाद में वे लोग भी इस त्योहार में आस्था रखते हैं, जो सनातन धर्म के अनुयाई नहीं हैं। यहां रहने वाले मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध धर्म के लोग भी भारतीय त्योहारों में अपनी आस्था रखते हैं।

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