विकास की पंचवर्षीय योजना तैयार

मोहन यादव

-डॉ. मोहन यादव का फुलप्रूफ प्लान

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र में विकास की पंचवर्षीय योजना बनाई है। इसका उदेश्य यह है कि पूरे प्रदेश में एक समान और एक साथ विकास होगा। इसके लिए उन्होंने मंत्रियों, विधायकों और सांसदों से कहा है कि वे 2028 तक के विकास का रोडमैप तैयार करें। ताकि उनके क्षेत्र में संतुलित विकास हो सके।

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)। चु
नावों से निपटने के बाद अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार का पूरा फोकस विकास पर है। इसलिए मुख्यमंत्री ने प्रदेशभर में एक समान विकास कराने के उद्देश्य संभागवार विधायकों के साथ बैठक कर विकास का खाका तैयार किया है। इसी के मद्देनजर मुख्यमंत्री ने विधायकों को निर्देश दिया है कि वे वर्ष 2028 तक की विकास योजना का रोडमैप तैयार करें। प्रत्येक विधायक को साला 15 करोड़ के मान से 60 करोड़ रूपए अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए खर्च के लिए मिलेंगे। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि प्रदेश के हर क्षेत्र में विकास कार्य के लिए चार साल का समय शेष है। सभी विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता के बीच पहुंच कर विकास कार्य व्यवस्थित तरीके से करें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भावना के अनुरूप सभी कार्यों का क्रियान्वयन हो। चार साल का रोडमैप बनाएं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि सरकार की योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने और जानकारी उपलब्ध कराने में विधायकों की भूमिका महत्वपूर्ण है। केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं संचालन की मानिटरिंग लगातार होती रहे। हितग्राहियों से सम्पर्क बना रहे। सभी योजनाओं में पात्र व्यक्तियों के नाम जोड़े जाएं, अपात्रों के नाम काटे जाएं। नगरीय निकाय और जनपद पंचायतों के अंतर्गत जनता से सीधे जुड़ी योजनाओं को अच्छी तरह से क्रियान्वित करें। जनता से जुड़े सभी अभियानों में बेहतर योगदान दें। सबका विकास होगा तो प्रदेश का विकास होगा। जनता की समस्याओं के निकराकरण के लिए लगातार शिविर लगाए जाएं। स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य हों।
गौरतलब है कि सीएम मोहन ने विधायकों को अपना हाईटेक ऑफिस तैयार करने के लिए 5 लाख रुपए देने की भी बात कही है। सीएम का कहना है कि विधायकों का ऑफिस सीधे मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा रहेगा। विधायकों को भोपाल तक बार-बार आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। आप लोगों के ऑफिस से मुख्यमंत्री कार्यालय तक अपनी बात आसानी से पहुंचाकर समाधान करा सकेंगे। मुख्यमंत्री का निर्देश है कि रोजगार आधारित कार्य को प्राथमिकता दें। जिला प्रशासन से मिलकर रोजगार उपलब्ध कराने वाले कार्यों को बढ़ाया जाए। ध्यान दिया जाए कि विधानसभा क्षेत्र में लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा मिले। विधायक अपने कार्यालयों का सुदृढ़ीकरण करें, इसके लिए 5 लाख रुपए की राशि उपलब्ध कराई जाएगी। विधायक अपने कार्यालय की व्यवस्थाओं को पारदर्शी बनाए। सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार बढ़ाया जाए। विधानसभा में किए गए अच्छे प्रयोगों का प्रचार प्रसार करने के लिए स्मारिका का प्रकाशन करवाएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौ-शालाओं के संचालन का उल्लेख करते हुए कहा है कि स्व- सहायता समूहों को भी गौ-शाला संचालन के लिए दे सकते हैं। इससे गौ-शालाओं का संचालन अच्छी तरह हो सकेगा। दुग्ध उत्पादन के लिए बोनस देने की योजना बनाई जाएगी। स्वस्थ पशु अपने घरों में रखें, लावारिस और अपाहिज गौ-वंश को गौ-शालाओं में रखा जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि एक जुलाई 2024 से पुलिस के कानूनों में जो बदलाव हुए हैं उनकी जानकारी आमजन को कार्यक्रम आयोजित कर दी जाए। बदली गई धाराओं से नागरिकों को अवगत कराया जाए। स्कूल चलें अभियान में स्कूलों का निरीक्षण हो। स्कूलों में पुस्तकें, गणवेश तथा अन्य सामग्री वितरित कराई जाए। रोडमेप बनाकर स्कूलों का उन्नयन कराएं। अनुसूचित जाति -जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रावास, स्कूल, आंगनवाड़ी, हास्पीटल में पौधे लगवाए जाएं। स्व-सहायता समूहों के साथ विधानसभा के कार्यक्रम आयोजित कराएं।

हितग्राहियों को मिले योजनाओं का लाभ
प्रदेश की मोहन यादव सरकार अगले साढ़े चार साल के लिए हर विधानसभा क्षेत्र का एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार कराएगी। इस विजन डॉक्यूमेंट में हरेक विधानसभा क्षेत्र में 100 करोड़ रुपए के विकास कार्यों को शामिल किया जाएगा। 60 करोड़ रुपए राज्य सरकार देगी, जबकि 40 करोड़ रुपए विधायक, सांसदों की क्षेत्र विकास निधियों से और सीएसआर, जनभागीदारी व रीडेंसिफिकेशन-रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स के जरिए जुटाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने सभी विधायकों से कहा कि वे अपने-अपने क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 4 साल का विजन डॉक्यूमेंट बनाएं। हर काम का लक्ष्य और समयसीमा तय करें। इसमें कलेक्टर, विभागीय अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की मदद लेंगे। विधायकों से मुख्यमंत्री ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ प्रत्येक हितग्राही को मिले इस पर विशेष ध्यान दिया जाए। राशन का आवंटन उचित मूल्य दुकानों में पहुंचाया जाए। आयुष्मान योजना का लाभ हितग्राहियों को ठीक ढंग से मिले, जिन अस्पतालों में आयुष्मान योजना की सुविधाएं हैं वहां उचित उपचार सुनिश्चित कराएं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आयोजनों में भारतीय तिथियों और संस्कृति पर आधारित कार्यक्रम हों। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का कहना है कि राज्य सरकार गौ-शालाओं के संचालन के लिए प्रति गाय 40 रुपये की राशि प्रतिदिन के मान से उपलब्ध कराएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्वालियर संभाग की सभी ग्रामों की पेयजल योजनाएं राज्य सरकार द्वारा स्वीकृत की जा चुकी हैं। कोई भी गांव छूटा नहीं है।
भोपाल जिले की सातों विधानसभा सीटों में अगले चार साल में कुल मिलाकर 700 करोड़ रुपए के विकास कार्य होंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने निर्देश दिए हैं कि वे अपने क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सफाई और बुनियादी ढांचे की जरूरत के हिसाब से प्लानिंग करें। विधायक कलेक्टरों की मदद से उद्योगों के लिए भूमि आरक्षित कराएं और औद्योगिक क्षेत्र घोषित करके उद्योग लगवाने के लिए प्रयास करें। प्रत्येक विधायक अपनी विधानसभा में कलेक्टर के सहयोग से उद्योगों के लिए भूमि आरक्षित कराएं और औद्योगिक क्षेत्र घोषित करके उद्योग लगवाए जाएं। कुटीर, लघु और वृहद उद्योग के लिए अनुकूल वातावरण निर्मित किया जाए। उन्होंने कहा है कि भारतीय संसद ने तीन नए ऐतिहासिक कानून क्रमश: भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 बनाकर न्याय प्रणाली में क्रांतिकारी परिवर्तन का कदम उठाया है। नए कानूनों का लगातार अध्ययन करें और उनकी जानकारी आमजन को कार्यक्रमों के माध्यम से दी जाए। आंगनबाड़ी, ऊषा-आशा कार्यकर्ताओं, पंचायत सचिवों और पंचायत के पदाधिकारियों इत्यादि को आयुष्मान योजना की पात्रता से जोड़ा गया है। इनका जिन अस्पतालों में आयुष्मान की सुविधाएं हैं वहां उचित उपचार किया जाए। दीनदयाल रसोई के माध्यम से गरीबों को भोजन दिया जा रहा है। सीएम ने सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए कि सभी बड़े अस्पतालों में भी दीन दयाल रसोई का काउंटर खोला जाए। जिससे बीमार के परिजनों को भोजन की व्यवस्था हो सके। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विकेंद्रीयकरण की तरफ कदम बढ़ा रही है। राज्य सरकार विधायकों के अधिकारों को और अधिक बढ़ा रही है। जिला प्रशासन को निर्देश दिए गए हैं कि विधायकों के साथ मिलकर जिलों का विकास करें।

विकास और सुशासन सरकार की प्राथमिकता
मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, विधायकों और अधिकारियों से कहा है कि विकास और सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कलेक्टर और एसपी से कहा है कि विधायकों द्वारा किए गए सवालों के जवाब लेने और विधायकों के जनहितैषी मामलों में सुनवाई करने के लिए कहा गया। मुख्यमंत्री ने कहा है कि विकास और सुशासन सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए विधायक और अफसर मिलकर इस दिशा में काम करें। उन्होंने कहा है कि डॉक्यूमेंट में शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, स्वच्छता, बुनियादी ढांचे और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सुधार करके क्षेत्र के नागरिकों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने पर फोकस किया जाए। एक जिला एक उत्पाद योजना से रोजगार के अवसर प्रदान करने को भी शामिल करें। गौरतलब है कि मप्र में तेजी से आर्थिक विकास हो रहा है। पिछले 20 वर्षों में राज्य में तेज गति से आर्थिक विकास देखने को मिला है। अब प्रदेश की डॉ. मोहन यादव सरकार पांच साल में विकास की गति दोगुना बढ़ाने पर जोर दे रही है। इसके लिए पांच वर्ष बाद यानी वर्ष 28-29 में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ करने का लक्ष्य तय किया गया है। यानी वर्तमान मप्र सरकार ने अगले पांच साल में अपने बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। हाल ही में विधानसभा में मप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2024-25 का बजट पेश होने के बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कई मौकों पर अगले पांच वर्षों में प्रदेश का बजट 7 लाख करोड़ रुपए वार्षिक तक ले जाने का ऐलान कर चुके हैं। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का कार्य चुनौतीपूर्ण है। सरकार जिस अनुपात में अपना बजट बढ़ाना चाहती है, उसी अनुपात में उसे अपने राजस्व में वृद्धि करनी होगी। यह संभव नहीं है कि सरकार का खर्च बढ़ जाए और उसकी आय में वृद्धि न हो। अगर आंकलन किया जाए तो पिछले 20 साल में मप्र की जीडीपी करीब 20 गुना बढ़ी है। 2003 में भाजपा सरकार बनने के समय राज्य की जीडीपी यानी 71,594 करोड़ रुपये थी, जो कि शिवराज सरकार के दौरान बढकऱ 13,22,821 करोड़ रुपए हो गई है। वहीं, वर्ष 2003 मे प्रदेश की आर्थिक विकास दर4.43 प्रतिशत हुआ करती थी, वर्ष 2023 में 16.43 प्रतिशत पर आ गई है। इसके साथ ही प्रति व्यक्ति आय जो वर्ष 2003 में मात्र 11,718 रुपये हुआ करती थी, वर्ष 2023 तक शिवराज सरकार में 1 लाख 40 हजार रुपए हो गई है। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि वर्ष 28-29 में प्रदेश का बजट सात लाख करोड़ करने का लक्ष्य पूरा हो सकता है।
2003 से अब तक यदि मप्र की आर्थिक रफ्तार पर नजर डालें, तो उसमें अमूलचूल परिवर्तन नजर आता है। मप्र का 2003 में बजट 23 हजार करोड़ रुपए था जो अब बढकऱ 3 लाख 14 हजार करोड़ रुपए हो गया है। जबकि 2024 में 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया गया। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि मप्र सरकार ने अगले पांच साल में अपने बजट का आकार बढ़ाकर दोगुना करने का जो लक्ष्य निर्धारित किया है, वह पूरा हो सकता है। आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि दृढ़ इच्छा शक्ति दिखाए बगैर सरकार के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा। अगर सरकार पांच साल में अपने बजट को दोगुना करने में सफल होती है, तो यह प्रदेश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। सरकार ने विधानसभा में 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मप्र को जीएसटी से 51,557 करोड़ तो 2024-25 61,026 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। राज्य उत्पाद शुल्क से 2023-24 में 13,845 करोड़, 2024-25 में 16,000 करोड़ स्टाम्प व पंजीकरण शुल्क से 2023-24 में 10,400 करोड़, 2024-25 में 12,500 करोड़, वाहन कर से 2024-25 में 2023-24 में 4,440 करोड़, 2024-25 में 5,500 करोड़, विद्युत कर व शुल्क से 2023-24 में 3,858 करोड़, 2024-25 में 5,000 करोड़, अन्य प्राप्तियां से 2023-24 में 2,400 करोड़ और 2024-25 में 2,071 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 3 जुलाई को विधानसभा में मप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2024-25 का 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। बजट की राशि पिछले साल से 16 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार का पिछला बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का था। बजट भले ही 3.65 लाख करोड़ का है, लेकिन विभागों को 2.20 लाख करोड़ में से ही राशि आवंटित की जाएगी। दरअसल, 3.65 लाख करोड़ रुपए के बजट में लेखानुदान की 1.45 लाख करोड रुपए की राशि भी शामिल है। सरकार ने मार्च में विधानसभा में 1.45 लाख करोड़ का अंतरिम बजट पेश किया था। इसमें चार महीने (अप्रैल से जुलाई तक) के लिए विभागों को खर्च के लिए राशि आवंटित की गई थी। इस तरह 3.65 लाख करोड़ की बजट राशि में से 1.45 करोड़ रुपए लेप्स हो जाएंगे। बची हुई 2.20 लाख करोड़ रुपए विभागों को 8 महीने के लिए आवंटित किए जाएंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही विभागों को बजट की राशि आवंटित की जाएगी। विभाग इस राशि का उपयोग अगस्त से मार्च, 2025 तक खर्च कर सकेंगे। आगामी पांच साल में सालाना बजट सात लाख करोड़ तक पहुंचाने के लिए सरकार को हर साल बजट में करीब 75 हजार करोड़ रुपए की वृद्धि करना होगी। इससे विभागों को और ज्यादा राशि आवंटित होने से विकास कार्यों के लिए भी ज्यादा राशि मिल सकेगी। आर्थिक विशेषज्ञ व भारत आर्थिक परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. देवेंद्र विश्वकर्मा का कहना है कि निश्चित ही मप्र को विकास के मार्ग पर तेजी से आगे ले जाने के लिए बजट में वृद्धि करना जरूरी है, लेकिन बजट की राशि बढ़ाने के लिए सरकार को उसी अनुपात में अपनी आय भी बढ़ानी होगी। चूंकि केंद्र सरकार का जीएसटी कलेक्शन बढ़ रहा है, इसलिए आने वाले वर्षों में प्रदेश को केंद्रीय करों में मिलने वाले हिस्से में वृद्धि की संभावना है, लेकिन यह राशि फिक्स होती है। सिर्फ इसके भरोसे मप्र सरकार बजट नहीं बढ़ा सकती। उन्होंने कहा कि सिर्फ टैक्स में वृद्धि राजस्व बढ़ाने का तरीका नहीं है। ऐसा सिस्टम डेवलप करना होगा कि टैक्स की ठीक से वसूली हो और हर पात्र व्यक्ति टैक्स देने से वंचित न रहे। सरकार को कम से कम टैक्स, अधिकतम कलेक्शन की पॉलिसी अपनानी होगी और प्राप्त होने वाले राजस्व का सही तरीके से उपयोग हो, इस पर गंभीरता से काम करना होगा। जीएसटी लागू होने के बाद प्रदेश सरकारों की आय के साधन कम हो गए है। मप्र सरकार को भी चुनिंदा मदों से ही राजस्व मिल रहा है। इनमें एसजीएसटी, आबकारी, खनिज, विद्युत टैक्स, पेट्रोल-डीजल पर वैट, स्टांम्प व पंजीकरण, वाहन कर आदि शामिल हैं, लेकिन इनमें भी कई तरह के लीकेज हैं, जिन्हें रोककर सरकार राजस्व में वृद्धि कर सकती है। उदाहरण के तौर पर अवैध खनन, अवैध शराब बिक्री आदि से सरकार को बड़ी आर्थिक हानि हो रही है। सरकार को इस पर सख्ती से रोक लगानी चाहिए। साथ ही विशेषज्ञों के साथ बैठकर ऐसा सिस्टम डेवलप करना चाहिए कि व्यापारी या उद्यमियों द्वारा की जा रही टैक्स की चोरी को रोका जा सके।

विभागों के खर्च पर रहेगा सरकारी पहरा
मप्र में सरकार इस बार बजट का उपयोग फूंक-फूंककर करेगी। विभागों को किश्तों में बजट दिया जाएगा और उनके खर्च की मॉनिटरिंग की जाएगी। गौरतलब है कि वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने 3 जुलाई को विधानसभा में मप्र सरकार का वित्तीय वर्ष 2024-25 का 3.65 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था। बजट की राशि पिछले साल से 16 प्रतिशत ज्यादा है। सरकार का पिछला बजट 3.14 लाख करोड़ रुपए का था। बजट भले ही 3.65 लाख करोड़ का है, लेकिन विभागों को 2.20 लाख करोड़ में से राशि आवंटित की जाएगी। दरअसल, 3.65 लाख करोड़ रुपए के बजट में लेखानुदान की 1.45 लाख करोड रुपए की राशि भी शामिल है। सरकार ने मार्च में विधानसभा में 1.45 लाख करोड़ का अंतरिम बजट पेश किया था। इसमें चार महीने (अप्रैल से जुलाई तक) के लिए विभागों को खर्च के लिए राशि आवंटित की गई थी। इस तरह 3.65 लाख करोड की बजट राशि में से 1.45 करोड रुपए लेप्स हो जाएंगे। बची हुई 2.20 लाख करोड़ रुपए विभागों को 8 महीने के लिए आवंटित किए जाएंगे। वित्त विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जल्द ही विभागों को बजट की राशि आवंटित की जाएगी। विभाग इस राशि का उपयोग अगस्त से मार्च, 2025 तक खर्च कर सकेंगे। राज्य का बजट पिछले बार की तुलना में भले ही 16 फीसदी अधिक है, लेकिन सरकारी महकमों को खर्च के लिए भरपूर रकम नहीं मिलेगी। गैर जरूरी खर्चों में कटौती के साथ सरकारी महकमों को जरूरत के मुताबिक ही रकम मिलेगी। सरकार को भरोसा है कि इस बार कमाई में इजाफा होगा। इसके लिए टेक्स लीकेज सुधारने के साथ सिस्टम को भी दुरुस्त किए जाने पर फोकस किया जा रहा है। विधानसभा के मानसून सत्र में 3.65 लाख करोड़ का बजट पारित हो चुका है। सरकार का टारगेट है कि पांच वर्ष में बजट का आकार दोगुना किया जाएगा। पूंजी निवेश बढ़ाने, सडक, सिंचाई एवं बिजली सुविधाओं को विस्तार करने के साथ ही स्वास्थ्य सुविधाएं एवं रोजगार पर भी फोकस किया गया है। हालांकि सरकार के खर्चों में इजाफा होना तय है, ऐसे में सरकार बजट मैनेजमेंट भी तैयार किया है। पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इस बार अधिक कमाई की उम्मीद है। इसमें सबसे ज्यादा कमाई सबसे ज्यादा आय जीएसटी, बिक्री कर, प्रवेश कर, विलसिता कर से होगी। इससे मिलने वाला टैक्स 61026 करोड़ रुपए का अनुमान है। पिछले वित्तीय वर्ष में 51557 करोड़ का अनुमान लगाया गया था। वित्तीय वर्ष 2023-24 में मप्र को जीएसटी से 51,557 करोड़ तो 2024-25 61,026 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ। राज्य उत्पाद शुल्कसे 2023-24 में 13,845 करोड़, 2024-25 में 16,000 करोड़ स्टाम्प व पंजीकरण शुल्क से 2023-24 में 10,400 करोड़, 2024-25 में 12,500 करोड़, वाहन कर से 2024-25 में 2023-24 में 4,440 करोड़, 2024-25 में 5,500 करोड़, विद्युत कर व शुल्क से 2023-24 में 3,858 करोड़, 2024-25 में 5,000 करोड़, अन्य प्राप्तियां से 2023-24 में 2,400 करोड़ और 2024-25 में 2,071 करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ।

प्रतिव्यक्ति आय में 4 गुना वृद्धि
मप्र आज विकास के पथ पर तेजी से बढ़ रहा है। इस पर विधानसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण में भी मुहर लगी है। राज्य सकल घरेलू उत्पाद 9.37 प्रतिशत बढ़ा है। वहीं प्रतिव्यक्ति आय में चार गुना वृद्धि हुई है। उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। अनुसूचित वर्गों, महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक सशक्तिकरण के साथ व्यापार को बढ़ावा मिला है। मप्र 3.56 करोड़ डिजिटल आयुष्मान कार्ड जारी करने वाला देश का पहला राज्य बना है। सौर उर्जा उत्पादन में मध्य प्रदेश देश में चौथे स्थान पर है। मप्र देश की पांच ट्रिनलियन अर्थव्यवस्था बनाने में भरपूर सहयोग देगा। साल 2023-24 के लिए, मप्र का मौजूदा कीमतों पर राज्य सकल घरेलू उत्पाद 13,63,327 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। यह राज्य की अर्थव्यवस्था के विस्तार दर्शाता है। इसमें उत्पादन, वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य दोनों की वृद्धि को शामिल किया गया है। पिछले वित्तीय वर्ष के राज्य सकल घरेलू उत्पाद 12,46,471 करोड़ रुपये से लगभग 9.37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मप्र विधानसभा में पास हुए आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि साल 2023-24 के लिए स्थिर कीमतों पर जीएसडीपी 6,60,363 करोड़ रुपये थी, जो पिछले वर्ष के 6,22,908 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह लगभग 6.01 प्रतिशत की वृद्धि है, जो दिखाती है कि मप्र सतत रूप से आर्थिक प्रगति कर रहा है।
राज्य में साक्ष्य परक एवं डाटा आधारित नीति निर्माण एवं विश्लेषण को अत्यधिक महत्व दिया जा रहा है। मप्र आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में यह प्रयास स्पष्ट दिखता है। इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण प्रदेश की निवेश, निर्यात, उद्योग, विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी, शिक्षा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में हुई प्रगति को दर्शाता है। साल 2011-12 से 2023-24 तक मप्र की प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है। मौजूदा कीमतों पर, प्रति व्यक्ति शुद्ध आय वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये से बढक़र वर्ष 2023-24 में 1,42,565 रुपये हो गई है। इसमें लगभग चार गुना की वृद्धि हुई है। मुद्रा स्फीति के समायोजन के बाद स्थिर (2011-12) कीमतों पर भी प्रति व्यक्ति शुद्ध आय ने उल्लेखनीय वृद्धि दिखाई, जो वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये से बढक़र 2023-24 में 66,441 रुपये हो गयी। यह वृद्धि मुद्रा स्फीति के प्रभावों से परे वास्तविक आर्थिक प्रगति दिखाती है। प्रचलित भावों पर वर्ष 2023-24 में प्राथमिक क्षेत्र का योगदान 45.53 प्रतिशत रहा, जो इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। द्वितीयक क्षेत्र का योगदान 18.47 प्रतिशत रहा है और तृतीयक क्षेत्र का प्रचलित भावों पर वर्ष 2023-24 में योगदान 36 प्रतिशत रहा है। स्थिर मूल्यों पर यह वर्ष 2023-24 में 39.64 प्रतिशत हुआ है, जो सेवा क्षेत्र में मजबूती को दर्शाता है। सेवा क्षेत्र में निरंतर निवेश और सुधार से तृतीयक क्षेत्र द्वारा राज्य की आर्थिक प्रगति में अधिक योगदान की संभावना है। प्रधानमंत्री जन धन योजना के माध्यम से प्रदेश में अब तक 4.29 करोड़ से अधिक लाभार्थियों को बैंकिंग की सुविधाओं से लाभान्वित किया है। सरकार बैंकिंग सेवाओं को सुलभ व कृषि, उद्योग एवं अन्य क्षेत्रों केलिए ऋण विस्तार के प्रयास कर रही है। फलस्वरूप वर्ष 2005-06 से वर्ष 2023-24 तक कृषि ऋण में 16.4 प्रतिशत सीएजीआर की वृद्धि और एमएसएमई क्षेत्र में 33.85 प्रतिशत सीएजीआर की वृद्धि हुई है। प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी में प्रदेश में 9.50 लाख आवास स्वीकृत हुए हैं। जिसमें से 7.50 लाख आवास पूरे हो चुके हैं। इसके अलावा 3.56 करोड़ लाभार्थियों को डिजिटल आयुष्मान कार्ड जारी करने वाला देश का पहला राज्य है! पीएम स्वनिधि योजना के प्रथम चरण में 8.30 लाख शहरी पथ विक्रेताओं को 827.85 करोड़ रुपए का ऋण वितरित कर राज्य ने देश में पहला स्थान पर है। वर्ष 2004 से 2024 के बीच में पारंपरिक ऊर्जा उत्पादन में 270.47 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। देश के कुल सौर उर्जा उत्पादन में मध्य प्रदेश 8.2 प्रतिशत का योगदान देता है और इस दृष्टि से देश में चौथे स्थान पर है।

कांग्रेस को जरा भी स्पेस नहीं देंगे
दरअसल, भाजपा और मोहन सरकार का लक्ष्य है कि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आए हैं, उसे और बेहतर किया जाए। इसके लिए कांग्रेस को जरा भी स्पेस नहीं देने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार भाजपा के रणनीतिकार मानते हैं कि प्रदेश में ग्वालियर चंबल अंचल और विंध्य, बघेलखंड ही ऐसा क्षेत्र है जहां संगठन को लगातार फोकस करना पड़ेगा, क्योंकि जातिवादी राजनीति सबसे अधिक इन्हीं दो अंचलों में है। उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे होने के कारण विंध्य, बघेलखंड, ग्वालियर और चंबल अंचल की राजनीति पर उत्तर प्रदेश की घटनाओं और समीकरणों का प्रभाव पड़ता है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का सबसे कम मार्जिन ग्वालियर चंबल अंचल की मुरैना, ग्वालियर और विंध्य की सतना सीट पर था। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए संगठन नई कार्य योजना पर काम कर रहा है। इस संबंध में पिछले दिनों भोपाल में लगातार बैठकों का दौर चला है। इन बैठकों में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश, क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जमवाल, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद सहित अनेक संगठन पुरुषों ने लगातार विचार विमर्श और मंथन किया है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा मध्य प्रदेश में कांग्रेस को जरा भी स्पेस नहीं देना चाहती। इसी कार्य योजना के चलते कांग्रेस के दिग्गज नेता रामनिवास रावत को पूर्व कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। रामनिवास रावत यदि भाजपा में नहीं आते तो भिंड, मुरैना और गुना तीनों सीटों पर भाजपा के चुनाव परिणामों पर असर पड़ सकता था। रामनिवास रावत को कैबिनेट मंत्री बनने से यह भी स्पष्ट हुआ कि ग्वालियर चंबल अंचल में ज्योतिरादित्य सिंधिया का वर्चस्व आने वाले दिनों में और बढऩे वाला है। इसी तरह विंध्य और बघेलखंड पर भी भाजपा अलग से काम करेगी। यहां उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को कमान दी गई है। इस मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मध्य क्षेत्र का नेतृत्व भी लगातार मॉनिटरिंग करेगा। मध्य प्रदेश में हारे हुए बूथों की भाजपा अब समीक्षा कर मजबूत पकड़ बनाने में जुटेगी। इसके लिए नए सिरे से रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। भाजपा भले ही लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ जीती हो लेकिन विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में हारे हुए बूथ अब भी पार्टी के लिए चुनौती है। भाजपा केंद्र में भी पूर्ण बहुमत के साथ सरकार नहीं बना पाई है। ऐसे में इससे सबक लेते हुए भाजपा अब हारे हुए 20 प्रतिशत बूथों पर जीत सुनिश्चित करने के लिए पसीना बहाएगी। इसके लिए आगामी दिनों में मतदान केंद्रवार विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। इन आयोजनों में विधायक और सांसद को अनिवार्य रूप से शामिल होने के निर्देश दिए गए हैं।
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के बारे में कहा जाता है कि उन्हें भाजपा की रणनीति के आधार पर राजनीति करने में महारत हासिल है। जीतू पटवारी जानते हैं कि भाजपा और संघ परिवार के संगठन किस तरह काम करते हैं। सूत्रों के अनुसार जीतू पटवारी भी इसी तर्ज पर कांग्रेस के संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। विधानसभा व लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस मध्य प्रदेश में नए सिरे से पार्टी को खड़ा करने और जनाधार वापसी के लिए मजबूत रणनीति बनाने के लिए गंभीरता से मंथन कर रही है। वह अभी से 2028 के विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू करने की रणनीति बना रही है।भोपाल में दो दिन चली मंथन-बैठक में प्रदेश प्रभारी जितेन्द्र सिंह ने अभी से चुनाव मोड में तैयारी करने के संकेत दे दिए। अब इस बात पर भी विचार हो रहा है कि अभी से प्रदेश स्तर पर चुनाव प्रबंध समिति बना दी जाए। पार्टी का दूसरा सर्वाधिक ध्यान भाजपा की तरह बूथों को मजबूत करने पर है।

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