मप्र में निवेश और रोजगार की बहार

सरकार मप्र

निवेशकों ने जताया भरोसा…हम बनेंगे सरताज

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और उनकी सरकार मप्र को देश का सरताज बनाने की दिशा में काम कर रही है। उनकी इस मंशा को निवेशकों का साथ मिला है। जबलपुर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में निवेशकों ने मप्र में भरोसा जताया है। आने वाले सालों में मप्र में निवेश और राजगार की बहार आएगी।

विनोद कुमार उपाध्याय/बिच्छू डॉट कॉम
भोपाल (डीएनएन)।
मप्र में बेरोजगारी को जड़ से मिटाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेशभर में एक सामान विकास और औद्योगिक विस्तार की रणनीति बनाई है उससे मप्र अब औद्योगिक विकास के क्षेत्र में नई छलांग लगाने को तैयार है। जल्द ही मप्र में सेना के लिए टैंक बनने शुरू हो जाएंगे। अशोक लीलैंड और आर्मर्ड व्हीकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बीच करार पर हस्ताक्षर हुए हैं। रक्षा उपकरण बनाने के क्षेत्र में 600 करोड़ रुपये का निवेश प्रदेश में होगा। इसके साथ ही पन्ना में बनने वाले हीरों को प्रदेश में ही तराशने की व्यवस्था होगी। यानी गुजरात के सूरत को सीधे-सीधे मप्र चुनौती देने वाला है। जबलपुर में 20 जुलाई को रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के दौरान 67 औद्योगिक इकाईयों का लोकार्पण और भूमिपूजन हुआ। इन नई औद्योगिक इकाइयों से 12 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। इन इकाइयों को भूमि आवंटन के आशय पत्र भी सौंपे गए। देश-विदेश की इंडस्ट्रीज ने मप्र सरकार को 17 हजार करोड़ रुपए के इंवेस्टमेंट के प्रस्ताव दिए हैं। कॉन्क्लेव में 5 देशों और 9 राज्यों के 3500 से ज्यादा इंवेस्टर्स शामिल हुए। इसमें डिफेंस, टेक्सटाइल, फार्मा, टूरिज्म, फूड, टैंक निर्माण आदि सेक्टर में नए उद्योग शुरू करने पर चर्चा हुई। जबलपुर में रेडीमेड और टेक्सटाइल स्किल सेंटर बनाया जाएगा।
यूपी और तमिलनाडु के बाद देश के तीसरे डिफेंस कॉरिडोर जबलपुर, कटनी और इटारसी को लेकर काम किया जा रहा है। अदाणी समूह अभी शिवपुरी के आसपास 10 हजार करोड़ का निवेश करने वाला है। जमीन देख ली गई है। यह गोला-बारूद उत्पादन से जुड़ी यूनिट होगी। डिफेंस में निवेश करने के लिए 50 एकड़ तक जमीन 75 प्रतिशत डिस्काउंट पर दी जाएगी।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का कहना है कि टेक्सटाइल क्षेत्र में अति-आधुनिक स्किल सेंटर की शुरूआत की जाएगी, जिससे विशेष रूप से बहनों को रोजगार प्राप्त होगा। इस वर्ष का दूसरा इंडस्ट्री कॉन्क्लेव जबलपुर में आयोजित हुआ। पांच देशों के साथ-साथ देश के कई प्रमुख उद्योगपतियों ने कॉन्क्लेव में भाग लिया। इससे पहले मार्च में उज्जैन में रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का आयोजन हुआ था। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने प्रदेश की 29 औद्योगिक इकाइयों का लोकार्पण और 38 औद्योगिक इकाइयों का भूमिपूजन किया। कुल 67 इकाइयों की शुरुआत की। इन परियोजनाओं में 1,500 करोड़ रुपए का निवेश होगा। करीब 4,500 लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश की 265 इकाइयों को 340 एकड़ भूमि के आवंटन के लिए आशय पत्र जारी किए गए। 1,800 करोड़ रुपये का निवेश होगा। 12,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। प्रदेश में 16 औद्योगिक पार्क के माध्यम से कुल 517 लघु, मध्यम और सूक्ष्म उद्योगों द्वारा पौने छह हजार करोड़ का निवेश हुआ है। इससे 20 हजार लोगों को रोजगार मिला है। कॉन्क्लेव में मप्र की विशेषताओं पर केंद्रित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। जबलपुर की रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में चार हजार से ज्यादा निवेशक जुटे। उद्यमियों से वन-टू-वन चर्चा भी हुई। कॉन्क्लेव में पांच सेक्टर्स पर फोकस किया गया। ये हैं- एग्रो, माइंस, डिफेंस, टूरिज्म और गारमेंट्स। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि खनिज के क्षेत्र में ओडिशा के बाद मप्र दूसरे स्थान पर है। खदानों की नीलामी में मध्य प्रदेश की पारदर्शी प्रक्रिया देश में अग्रणी है। भारत सरकार ने पुरस्कार भी दिया है। प्रदेश के पन्ना जिले में हीरा उत्पादन होता है। अब हीरों को तराशने का कार्य भी प्रदेश में किया जाएगा।
उद्योगपतियों ने की सराहना
मप्र सरकार के रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव को देश और विदेश के उद्योगपतियों ने सराहा। कॉन्क्लेव में हीडलबर्ग सीमेंट के सीईओ जॉयदीप मुखर्जी, प्रतिभा सिंटेक्स के एमडी श्रेयस्कर चौधरी, वीई कमर्शियल व्हीकल के एमडी विनोद अग्रवाल और एसआरएफ लिमिटेड के सीएमडी आशीष भारतम ने प्रदेश में निवेश के अनुभव साझा किए। मुखर्जी ने कहा कि उन्हें लीडरशिप पर भरोसा है। चौधरी ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की कथनी और करने में अंतर नहीं है। वॉल्वो आयशर के विनोद अग्रवाल ने कहा कि उन्हें मध्य प्रदेश में 35 हजार से अधिक लोगों को रोजगार देकर खुशी हुई है। मध्य प्रदेश भारत का दिल है और अब सरताज भी बनेगा। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अग्रवाल से आग्रह किया कि वे मध्य प्रदेश में रिसर्च सेंटर भी प्रारंभ करें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में उद्योगपतियों से मप्र में निवेश करने का आमंत्रण दिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सिर्फ पांच मेडिकल कॉलेज होते थे। अब यह संख्या 25 होने वाली है। प्रदेश में फार्मा सेक्टर की 275 यूनिट काम कर रही हैं। अकेले पीथमपुर में ही 60 इकाइयां हैं। प्रदेश से 160 से अधिक देशों को फार्मा प्रोडक्ट भेजे जाते हैं। फूड प्रोसेसिंग में हम 150 प्रतिशत प्रोत्साहन देने को तैयार हैं। उद्योगों को पानी और बिजली की आपूर्ति की कोई कमी नहीं है। आठ मेगा फूड पार्क संचालित हो रहे हैं। दो और मेगा फूड पार्क आ रहे हैं। रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में अडानी पावर, नेटलिंक, वैद्यनाथ ग्रुप, दावत फूड्स, वॉल्वो आयशर, एवीएनएल, एनसीएल, स्वराज शूटिंग, लोहिया एनर्जी, आदिशक्ति राइस मिल, फिनिक्स पोल्ट्री, इंफोविजन दुबई और दलित चैम्बर ऑफ कॉमर्स (डिकी ) सहित अनेक उद्योग संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे। प्रमुख सचिव राघवेंद्र कुमार सिंह सभी निवेशकों को 7-8 फरवरी 2025 को भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर सम्मिट में सहभागिता के लिए आमंत्रित किया। बैद्यनाथ ग्रुप, आईटीसी, वॉल्वो आयशर, बेस्ट कॉर्प, एसआरएफ और दावत ग्रुप जैसे प्रमुख उद्योगों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे। ताइवान, मलेशिया, यूके, फिजी, कोस्टा रिका और इंडोनेशिया जैसे देशों के प्रतिनिधि भी कॉन्क्लेव में शामिल हुए।
कॉन्क्लेव ने 700 से अधिक बायर-सेलर मीट के लिए एक प्लेटफॉर्म का काम किया। इससे व्यवसायों और संभावित निवेशकों में सीधी बातचीत की सुविधा मिली। मुख्यमंत्री और प्रमुख उद्योगपतियों के बीच लगभग 30 वन-टू-वन बैठकें हुईं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जबलपुर में रेडीमेड और टेक्सटाइल स्किल सेंटर बनाया जाएगा। यहां इस सेक्टर में निवेश की बहुत संभावनाएं हैं। डॉ. मोहन जबलपुर रीजनल इंडस्ट्रीज कॉन्क्लेव में पहुंचे हैं। उन्होंने छिंदवाड़ा के विकास के लिए 15 नई यूनिट का वर्चुअल लोकार्पण भी किया। इस कॉन्क्लेव में 5 देशों और 9 राज्यों के 3500 से ज्यादा इंवेस्टर्स आए हैं। सीएम डॉ. मोहन ने कहा, ढाई सौ साल तक लूट का शिकार बनने के बाद 75 सालों में हमने अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने का काम किया है। एमपी में माइनिंग की नीलामी ने देश में अलग स्थान हासिल किया है। जिस तरह साफ-सुथरी और पारदर्शी व्यवस्था के माध्यम से नीलामी का काम किया गया है, वह मिसाल बना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि एमपी में टूरिज्म, माइनिंग और अन्य सेक्टर के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में रोजगार की अवसर पैदा किए गए हैं। सीएम ने कहा, एमपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ चलने को तत्पर है। हम मोदी के नेतृत्व में पांचवीं अर्थव्यवस्था बने हैं।
खुल रहे समृद्धि के द्वार
मप्र में औद्योगिक निवेश की गति को और तेज करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव की श्रृंखलाएं आयोजित करने की शुरूआत की गई है। इस श्रृंखला 20 जुलाई को जबलपुर में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव आयोजित की गई। इसके बाद सितंबर में ग्वालियर और अक्टूबर में रीवा में रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन प्रस्तावित है। इसी दिशा में एक कदम और आगे बढ़ते हुए प्रदेश के बाहर तमिलनाडु के कोयंबटूर में 25 जुलाई को, कर्नाटक के बेंगलुरु में अगस्त में, दिल्ली में सितंबर और इंदौर में सितंबर में ही प्रस्तावित है। मप्र का निवेश परिदृश्य सकारात्मक रूप से बदल रहा है। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क बन रहा है। यह 222.77 करोड़ रूपये की लागत से 360 एकड़ में विकसित हो रहा है। इसी प्रकार धार में पीएम मित्रा-पीएम मेगा इंटीग्रेटेड टैक्सटाइल एंड एपेरेल पार्क भी आकार ले रहा है। इसकी लागत 1000 करोड़ रुपए है और यह 1563 एकड़ में फैला है। नर्मदापुरम में 227 एकड़ में मैन्यूफैक्चरिंग जोन फार पावर एंड रिन्यूएबल एनर्जी इक्विपमेंट भी अपना स्वरूप ले रहा है। इस पर 464.65 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसके अलावा मुरैना में मेगा लेदर फुटवियर एसेससरीज क्लस्टर डेवलपमेंट पार्क 161 एकड़ में बन रहा है जिसकी लागत 222.81 करोड़ रुपए आएगी। इस प्रकार इन चारों परियोजनाओं पर 1910.23 करोड़ रुपए की लागत आएगी। राज्य सरकार प्रदेश को औद्योगिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में सुनियोजित प्रयास कर रही है। मप्र में निर्माण क्षेत्र में सुधार आने के साथ ही प्रदेश से विदेशी निर्यात की अपार संभावनाएं बनी है। अब विदेश व्यापार नीति के अनुसार मप्र ने निर्यात पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से छोटे और मध्यम उद्यम, किसान और किसान उत्पादक संगठनों, कलाकारों के हस्तशिल्प प्रोडक्ट और उद्यमियों के स्टार्टअप को सहयोग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने मप्र से निर्यात की संभावनाओं का आंकलन कर ऐसे उत्पादों की निर्यात सूची बनाई गई है, जिनकी विदेशी बाजार में मांग है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव की पहल पर सभी जिलों में निर्यात सुविधा प्रकोष्ठ बन गए हैं। इससे छोटे और मझौले स्तर के उत्पादकों में निर्यात के प्रति जागरूकता आई है। मप्र व्यापार संगठन परिषद और निर्यात प्रकोष्ठों ने मिलकर कई कार्यक्रम आयोजित किये हैं जिससे निवेश की संभावनाओं का आंकलन करने में सरकार को मदद मिली। नीमच, हरदा, अशोकनगर, नरसिंहपुर, शहडोल, बालाघाट, बैतूल और धार में जिला निर्यात संवर्धन कार्यक्रम आयोजित किये गये। प्रदेश भारत के कुल व्यापारिक निर्यात में योगदान बढाऩे की दिशा में प्रयासरत हैं। वित्तीय वर्ष 2023-24 में दवा उत्पाद, कपास, परमाणु रिएक्टर, बॉयलर, मशीन, कपड़ा, जैविक रसायन, एल्युमिनियम, धातु, अनाज, विद्युत मशीनरी उपकरण, प्लास्टिक जैसे प्रोडक्ट का निर्यात हुआ है। सबसे ज्यादा दवा उत्पादों का निर्यात हुआ। इनका निर्यात मूल्य 13,158 करोड़ रूपये है। लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह का कहना है कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सोच प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर लेकर जाने की है। प्रदेश में विकास की असीम संभावनाएं हैं। निवेशक तभी आगे आता है जब उस क्षेत्र में निवेश करने की संभावना नजर आती है। जबलपुर की जलवायु, माहौल, लोगों की श्रम-शक्ति एवं उनकी सकारात्मक सोच उद्योगों के विकास के लिए मुफीद है। यह फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाये जाने के लिए उपयुक्त है क्योंकि यहां सब्जियोंं का उत्पादन अधिक होता है, जिसमें हरी मटर की मांग समूचे देश और विदेश में है। पर्यटन की दृष्टि से अमरकंटक, कान्हा, पेंच नेशनल पार्क और खजुराहो मुख्य आकर्षण का केंद्र है। यह सभी मुख्य पर्यटन स्थल जबलपुर से नज़दीक है, जिससे यहां होटल इंडस्ट्री के विकास के उचित अवसर मिलते हैं। भेड़ाघाट एवं संगमरमर की वादियों फिल्म उद्योग के लिए अनुकूल स्थान है। जबलपुर में 4 डिफेंस फैक्ट्री हैं। इस सेक्टर में निजी क्षेत्र का निवेश भी आ रहा है। जबलपुर रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट की सुविधा होने से कनेक्टिविटी आसान है। यहां प्रदेश का सबसे बड़ा फ्लाइओवर, देश का पहला जियोलॉजिकल पार्क एवं देश की दूसरी सबसे बड़ी 118 किलोमीटर की रिंग रोड बन रही है।
दोगुना निर्यात का लक्ष्य
अगले तीन सालों में मप्र का निर्यात दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। इंदौर सबसे ज्यादा निर्यात करने वाला जिला है, जिसने 20,256 करोड़ रुपए का निर्यात किया। इसके बाद धार, रायसेन और सीहोर जिलों से ज्यादा निर्यात हुआ। धार से 10,973 करोड़, रायसेन से 7561 करोड़ रुपए, सीहोर से 4,045 करोड़ रुपए मूल्य का निर्यात हुआ। मोहन सरकार ने औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है। बड़े निवेशकों और कंपनियों को आकर्षित करने के लिए 100 करोड़ रुपए और उससे अधिक निवेश की इच्छा रखने वाले निवेशकों के लिये राज्य में एक कस्टमाइज पैकेज का प्रावधान भी है। निवेश प्रक्रिया और अनुमोदन को सरल बनाने के लिए एकल खिडक़ी प्रणाली काम कर रही है। वर्तमान में इस पोर्टल पर 12 विभाग सूचीबद्ध है और 46 सेवाएं उपलब्ध है। औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2024-25 के बजट में आकर्षक प्रावधान किए हैं। निवेश प्रोत्साहन योजना के लिए 2000 रुपए का बजट प्रावधान किया है। औद्योगीकरण विकास के लिए 490 करोड़ रुपए, भू-अर्जन, सर्वे और सर्विस चार्ज के लिए 177 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए निवेश संवर्धन सुविधा प्रदान करने के लिए 699 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इन सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को प्रोत्साहन देने के लिए 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना के संचालन के लिए 125 करोड़ रुपए का प्रावधान है। भविष्य में उदयोगों के संवर्धन में गति आयेगी। एमएसएमई मंत्री चैतन्य काश्यप का कहना है कि रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव एक ऐसी शुरुआत है जो मप्र को देश में अलग स्थान प्रदान करेगी। महाकाल की नगरी उज्जैन से इसकी शुरुआत हुई जो आज महाकौशल में पहुंची है। यह कॉन्क्लेव क्षेत्र के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगी। इसका उद्देश्य किसी क्षेत्र विशेष तक ही सीमित न करते हुये प्रदेश के सभी क्षेत्रों का विकास सामूहिक रूप से करना है। साथ ही स्थानीय उद्योगपतियों को विकास के नये अवसर प्रदान करना है, जिससे प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजग़ार सृजन हो। मंत्री काश्यप ने बताया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में मेक इन इंडिया कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है इसके अंतर्गत डिफेंस सेक्टर पर विशेष फोकस किया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुसार प्रदेश में उद्योगों की श्रृंखला स्थापित करने की इस सोच से प्रदेश में औद्योगीकरण को बढ़ावा मिलेगा। एमएसएमई सेक्टर का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। प्रदेश के 16 जिलों में भी नई उद्योग इकाई लगाने की योजना प्रस्तावित है।
रीजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव की शुरूआत उज्जैन से हुई थी। इसमें एग्रो ऑयल एंड गैस कंपनी ने 75 हजार करोड़ रुपए निवेश की घोषणा की थी। जेके सीमेंट ने 4000 करोड़, वोल्वो ने 1500 करोड़, एशियन पेंट्स ने 2000 करोड़, एचईजी ने 1800 करोड़, हिंदुस्तान इंजीनियर इंडस्ट्रीज ने 1500 करोड़, एलएनटी माइंड ट्री ने 800 करोड़, पेंशन ग्रुप में 400 करोड़ और ओरिएंटल पेपर मिलने 980 करोड़ रूपये निवेश करने की सहमति दी। इन एक लाख करोड़ रूपये के निवेश प्रस्तावों के पूरा होने से लगभग 1 लाख से ज्यादा रोजगार का निर्माण होगा। इसी प्रकार मुंबई इंडस्ट्री कान्क्लेव में प्रदेश में 75 हजार करोड़ रुपए का निवेश आएगा और एक लाख से ज्यादा रोजगार का सृजन होगा। गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट ने 450 करोड़ रुपए, रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप ने 50 हजार करोड़ रुपए, ग्रासिम इंडस्ट्री ने 4000 करोड़ रुपए, जेएसडब्ल्यू लिमिटेड ने 17000 करोड़ रुपए, जोत डाटा सर्विस ने 500 करोड़ और एलएनटी ने 2000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव दिया। पर्यटन के क्षेत्र में महिंद्रा हॉलिडे ने 750 करोड़ रुपए और ओबेरॉय होटल समूह ने 400 करोड़ रुपए निवेश का वादा किया है। रीजनल स्तर पर ऐसे प्रयासों से क्षेत्र एवं आसपास के निवेशकों को प्रोत्साहन मिलेगा। साथ ही सभी क्षेत्रों का समान रूप से विकास करने पर फोकस है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में यह अनूठा प्रयास है। इन प्रयासों से मध्यदेश में औदयोगिक निवेश की गति तेज हो गई है। कनेक्टि विटी, उदयोग-मित्र नीतियों और उदयोग-अनुकूल अधोसंरचनाओं से मप्र निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।
पीपीपी मोड से चलेंगे टूरिज्म के होटल
जबलपुर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के दौरान सत्कार क्षेत्र में बड़ी निवेश घोषणाएं हुई हैं। ताज ग्रुप ने इंदौर और ग्वालियर में होटल खोलने की घोषणा की है। इंदौर में ग्रुप ताज और विवांता होटल खोलेगी। ग्वालियर में भी विवांता होटल खुलने वाला है। इसके साथ-साथ मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम पीपीपी के तहत मध्य प्रदेश के कुछ होटलों का संचालन करेगा। हेरिटेज होटल के लिए जल्द ही पन्ना टाइगर रिजर्व के पास लक्ष्मीपुर पैलेस, मांडू के पास मलकाम कोठी, भोपाल में जगदीशपुर का गोंड महल और टीकमगढ़ में मोहनगढ़ का किले के लिए टेंडर बुलाए जाएंगे। इसके साथ ही होटल लेक व्यू भोपाल, टेंट सिटी, कारवां टूरिज्म, पंचमढ़ी और भोपाल में गोल्फ कोर्स का संचालन, रोपवे का संचालन पीपीपी मोड पर होगा। पर्यटन और संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र सिंह लोधी ने सेक्टोरल सेशन में कहा कि पिछले साल 11 करोड़ से अधिक पर्यटक मध्य प्रदेश आए हैं। उज्जैन के महाकाल लोक में पांच करोड़ से अधिक पर्यटक पहुंचे हैं। प्रदेश में श्री राम पथ गमन निर्माण के लिए चित्रकूट सहित भगवान श्री राम के वन गमन से संबंधित 23 स्थानों को चिह्नित कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है। प्रदेश में 12 राष्ट्रीय उद्यान, 25 अभयारण्य, सात टाइगर रिजर्व, 14 यूनेस्को विश्व विरासत स्थल (11 टेंटेटिव और तीन परमानेंट साइट) और दो ज्योतिर्लिंग का होना प्रदेश को प्राकृतिक, सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक रूप से समृद्ध बनाता है।
जबलपुर में आयोजित रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में ताज ग्रुप ऑफ होटल्स के विशाल शर्मा ने कहा कि पिछले दो महीने में वह प्रदेश के 40 प्रतिशत से अधिक पर्यटन स्थलों पर भ्रमण कर चुके हैं। यह उनके जीवन का अविस्मरणीय पल बन चुका है। प्रदेश की सुंदरता और पर्यटन गतिविधियों से प्रभावित होकर ताज ग्रुप ने ग्वालियर में विवांता और इंदौर में ताज और विवांता के होटल खोलने का निर्णय लिया है। आने वाले समय में प्रदेश के अन्य स्थलों पर भी होटल खोले जाएंगे। पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने मध्य प्रदेश पर्यटन नीति 2019 की विशेषताओं के बारे में बात की। उन्होंने बताया कि निवेशकों की सुविधा के लिए अलग से विंग बनाया गया है। ई-टेंडरिंग की पारदर्शी प्रक्रिया से भूमि का आवंटन किया जाता है। 100 करोड़ से अधिक निवेश करने वाले अल्ट्रा मेगा प्रोजेक्ट्स को सरकारी भूमि का सीधे आवंटन किया जाता है। पर्यटन नीति में होटल, रिजॉर्ट, कैंपिंग साइट, हेरिटेज होटल, क्रूस टूरिज्म, फिल्म स्टूडियो, कारवां टूरिज्म सहित 18 प्रोजेक्ट्स को शामिल किए गए हैं। शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में फिल्मांकन को प्रोत्साहित करने और फिल्म क्षेत्र में अधोसंरचना को बढ़ावा देने के लिए फिल्म पर्यटन नीति से विशेष प्रयास किए हैं। फीचर फिल्म पर दो करोड़ रुपये तक, वेब सीरीज और टीवी सीरीयल पर एक करोड़ रुपये तक, मध्य प्रदेश पर निर्मित डॉक्यूमेंट्री पर 40 लाख रुपये तक, सिनेमा हॉल बनाने पर एक करोड़ रुपये तक, फिल्म संबंधित अधोसंरचना के विकास के लिए 90 करोड़ रुपये तक का वित्तीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है। एलिप्सिस एंटरटेनमेंट के प्रोड्यूसर और मैनेजिंग पार्टनर तनुज गर्ग ने कहा कि मैं तो फिल्म निर्माण के लिए मध्यप्रदेश आया था और यहीं का होकर रह गया। मध्य प्रदेश फिल्मांकन के लिए सर्वाधिक अनुकूल राज्य है। यहां प्राकृतिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल अनायास की फिल्मकारों को आकर्षित करते हैं। तथास्तु ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल अग्रवाल और विजन महल के डायरेक्टर संदीप विजन ने शासन की नीतियों को सराहा। पेंच जंगल कैंप के मैनेजिंग डायरेक्टर गजेन्द्र सिंह राठौर ने कहा कि प्रदेश में क्रूज टूरिज्म, हॉट एयर बैलूनिंग, वाटर एडवेंचर एक्टिविटीज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
खुलेगा नौकरियों का पिटारा
जानकारों का कहना है कि प्रदेश में अब रोजगार की बहार आएगी। दरअसल मप्र में बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। एमपी रोजगार पोर्टल पर कुल 25 लाख 82 हजार 759 आवेदक पंजीकृत है। इनमें पुरुष आवेदकों की संख्या 15.90 लाख और महिला आवेदकों की संख्या 9.92 लाख है। भोपाल में 1.12 लाख पुरुष आवेदक और 59 हजार से ज्यादा महिला आवेदक पंजीकृत हैं। प्रदेश में संचालित मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में कारगर साबित नहीं हुई है। मप्र में योजना के अंतर्गत कुल 9.26 लाख अभ्यर्थी पंजीकृत है। इनमें से 20 हजार 118 अभ्यर्थी प्रशिक्षणरत हैं। योजना में पंजीकृत संस्थाओं की संख्या 23 हजार 51 है। इसलिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने विभिन्न सरकारी विभागों में 2 लाख पदों पर भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, उन्होंने राजस्व विभाग में संविदा पटवारी और संविदा राजस्व निरीक्षक की नियुक्ति को भी मंजूरी दी है। इससे मप्र में रोजगार की बहार आएगी। मुख्यमंत्री ने बताया कि हाल ही में एक जुलाई को लागू किए गए तीन नए कानूनों की जानकारी आम जनता को देने के लिए थाना स्तर तक गोष्ठियां और सेमिनार आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश में 7,500 पुलिसकर्मियों की भर्ती होगी और रिक्त 2 लाख पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया आरंभ होगी। लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये भर्तियां समय पर हो जाएंगी। अगर ऐसा होता है तो सरकार पर सालाना 2000 करोड़ रूपए का भार पड़ेगा। दरअसल, तत्कालीन सीएम शिवराज ने दो चरणों में डेढ़ लाख सरकारी पदों पर भर्ती का ऐलान किया था। उन्होंने पहली बार 15 अगस्त, 2022 को घोषणा की कि एक साल के भीतर एक लाख सरकारी रिक्त पदों पर भर्ती होगी। इन पदों पर भर्ती प्रक्रिया चल ही रही थी कि शिवराज सिंह ने 31 जुलाई, 2023 को 50 हजार रिक्त पदों पर और भर्ती की घोषणा कर दी। उनकी घोषणा को करीब दो साल होने को हैं, लेकिन सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी सिर्फ 67 हजार पदों पर भर्ती की जा सकी है। ये भर्तियां राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से की गई थीं।
जानकारी के मुताबिक प्रदेश में सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती मप्र राज्य लोक सेवा आयोग और कर्मचारी चयन मंडल के माध्यम से की जाती है। सबसे पहले जीएडी की ओर से विभिन्न विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई जाती है। विभागवार रिक्त पदों के संकलन करने के बाद कानूनी पहलुओं का अध्ययन किया जाता है। इसके बाद एमपीपीएससी और कर्मचारी चयन मंडल को भर्ती का विज्ञापन निकालने के लिए प्रस्ताव भेजे जाते हैं। भर्ती परीक्षा के बाद परिणाम जारी किया जाता है। फिर अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए जाते हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने दो लाख पदों पर भर्ती की घोषणा करते हुए युवाओं को जानकारी और प्रशिक्षण देकर आवेदन प्रक्रिया में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किए जाने की बात कही है। इस तरह आने वाले चार साल में विभागों द्वारा 2 लाख 83 हजार रिक्त पदों पर भर्तियां की जाएंगी। यानी सरकार के सामने हर साल 70 हजार से ज्यादा रिक्त पदों पर भर्ती की चुनौती होगी। यदि सरकार हर साल 70 हजार रिक्त पदों पर भर्ती करती है। तो उसे कर्मचारियों को वेतन, भत्तों के भुगतान के लिए बड़ी राशि की व्यवस्था करना होगी। 70 हजार कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर सालाना करीब 2000 करोड़ रुपए खर्च होगे। कर्मचारियों की वरिष्ठता बढऩे के साथ ही उनके वेतन, भत्तों पर होने वाला खर्च भी बढ़ता जाएगा। वर्तमान में सरकार सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्तों पर हर महीने 7000 करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करती है। जीएडी के अधिकारियों का कहना है कि तत्कालीन सीएम शिवराज की घोषणा के बाद विभिन्न विभागों से रिक्त पदों की जानकारी मंगाई गई थी। विभिन्न विभागों ने करीब एक लाख पांच हजार रिक्त पदों की जानकारी जीएडी को भेजी थी। इनमें से 67 हजार पदों पर भर्ती की जा चुकी है। स्कूल शिक्षा और जनजातीय कार्य विभाग में सबसे ज्यादा रिक्त पदों पर भर्ती की गई। मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि गुरुवार को मुख्यमंत्री डॉ. यादव की रिक्त पदों पर भर्ती की घोषणा के साथ ही सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी हरकत में आ गए हैं। शुक्रवार को इस संबंध में जीएडी के उच्च अधिकारियों के बीच चर्चा हुई। जल्द ही जीएडी सभी विभागों से रिक्त पदों की जानकारी संकलित करेगा। इसके बाद नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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