गेंहू के लिए एफसीआई परेशान, नान ने कई जिलों में हाथ किए खड़े

गेंहू
  • लक्ष्य से कम खरीदी की वजह  से बनी यह स्थिति

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। लक्ष्य ये कम खरीदी होने की वजह से इस बार एफसीआई के सामने नई मुसीबत खड़ी हो गई है। दरअसल राज्य नागरिक आपूर्ति निगम (नान) ने प्रदेश के कई जिलों में गेंहू देने से इंकार कर दिया है। यह वे जिले हैं, जहां पर इस बार तय लक्ष्य ये बेहद कम सरकारी गेहूं की खरीदी हुई है। इसकी वजह से जिले में स्थानीय स्तर पर जरुरत के अलावा अतिरिक्त गेहूं ही नहीं बच रहा है। प्रदेश सरकार को हर जिले में पीडीएस के तहत दिए जाने वाले गेंहू की जरुरत स्थानीय स्तर पर जिले में होती है। दरअसल, इस बार किसानों ने सरकार को बेचने की जगह गेहूं को बाजार में अधिक बेंचा है, जिसकी वजह से प्रदेश में खरीदी लक्ष्य भी पूरा नहीं हो सका है। रबी सीजन की गेहूं खरीदी में 100 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य तय किया गया था, जो पिछले साल से करीब 40 फीसदी ज्यादा है। पिछले साल मध्य प्रदेश में एमएसपी पर 71 लाख मीट्रिक टन की गेहूं की खरीदी हुई थी। जबकि इस साल यह खरीदी महज 47.78 लाख टन ही रह गई है। अब नान द्वारा जिन जिलों में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को गेहूं देने से इंकार कर दिया गया है, उसके एवज में अब एएफसीआई को दूसरे जिलों में जाना होगा। नागरिक आपूर्ति निगम ने एफसीआई को स्टॉक कमी की स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि अगर इन जिलों में गेहूं उठाव करते हो तो अन्य जिलों से यहां पीडीएस में खाद्यान्न वितरण के लिए परिवहन की राशि आप को देनी होगी। इन जिलों में दूसरे जिलों से पीडीएस में गेहूं परिवहन करने में करीब दो से तीन करोड़ रुपए अतिरिक्त राशि खर्च होगी, इससे इन जिलों में एफसीआई के लिए गेहूं आवंटन पर बैन लगा दिया गया है। इनमें शिवपुरी, अशोक नगर, गुना, दतिया, श्योपुर, भिंड, नीमच, मंदसौर, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, खंडवा, बुरहानपुर, धार और मुरैना शामिल हैं। बताया जाता है कि प्रदेश में पीडीएस में पूरे वर्ष गेहूं वितरण के लिए 12 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत होती है।
अब महज 55 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक
प्रदेश में कुल 55 लाख मीट्रिक टन गेहूं का स्टॉक है। इस वर्ष 48 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हुई है। एफसीआई को इस स्टॉक को पांच से 6 माह के अंदर उठाना है। बताया जाता है कि पिछले पांच साल में यह सबसे कम गेहूं का स्टॉक इस वर्ष है। इसी में से एफसीआई को करीब 25 लाख मीट्रिक गेहूं यहां से दिया जा सकता है। बाकी के स्टॉक में करीब दो लाख मीट्रिक टन तक गेहूं खराब होना, घुन लगा होना और एफएक्यू में रिजेक्ट होने की संभावना है।
पीडीएस में इस तरह से होता है वितरण
सरकार पहले पीडीएस में 75 फीसदी चावल और 25 फीसदी गेहूं का वितरण करती थी। अब 60 फीसदी चावल और 40 फीसदी गेहूं का वितरण किया जा रहा है। आने वाले दो-चार माह के अंदर सरकार 50-50 फीसदी गेहूं और चावल वितरण पर विचार कर रही है।
 कई राज्यों से पिछड़े
इस बार  लगभग हर राज्य में गेहूं की सरकारी खरीदी में कमी आयी है। इस दौरान पंजाब में 124.26 लाख टन हरियाणा में 71.49 लाख टन, मध्य प्रदेश में 47.78 लाख टन राजस्थान में 9.66 लाख टन और उत्तर प्रदेश में 9.07 लाख टन गेहूं की खरीद की गई है। गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक रहना चाहिए, लेकिन मध्य प्रदेश के पास इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले सिर्फ 75 लाख टन गेहूं था। पटवारी ने कहा कि अपने यहां अभी तक पिछली बार से करीब 22.67 लाख टन कम खरीद हुई है और अब सब जानना चाहते हैं कि ऐसा क्यों हुआ। दरअसल, गेहूं के सरकारी भंडारों में हर वक्त तीन महीने का स्टॉक (138 लाख टन) होना चाहिए। मगर इस बार खरीद सत्र शुरू होने से पहले यह सिर्फ 75 लाख टन था। 2023 में यह 84 लाख टन, 2022 में 180 लाख टन और 2021 में 280 लाख टन स्टॉक था। यानी अभी यह 16 साल के सबसे न्यूनतम स्तर पर आ गया है।

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