पंचायत एवं ग्रामीण विकास में घोटालेबाज सुरक्षित

  • भ्रष्टों के खिलाफ 12 साल बाद भी अभियोजन की मंजूरी नहीं…
  • गौरव चौहान
पंचायत एवं ग्रामीण विकास

प्रदेश में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों के लिए सबसे सुरक्षित है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि इस विभाग में घोटाला करने वालों के खिलाफ लोकायुक्त में केस तो दर्ज कर लिया जाता है, लेकिन अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी जाती है। आलम यह है कि 12 साल बाद भी कई मामलों में अभियोजन की मंजूरी का इंतजार है। इसका असर यह हो रहा है कि विभाग में अधिकारी-कर्मचारी बेखौफ होकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।
एक तरफ सरकार मप्र में भ्रष्टाचार पर जीरो टारलेंस की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ स्थिति यह है कि भ्रष्टाचारियों को बचाने में का प्रयास हो रहा है। पंचायत एवं ग्रामीण विकास में घोटाले करने वाले अफसरों तथा जनप्रतिनिधियों के खिलाफ लोकायुक्त में अपराध दर्ज होने के 12 साल बाद भी अभियोजन की मंजूरी नहीं दी जा रही है। ऐसे 18 लोगों के विरुद्ध घोटाले, भ्रष्टाचार के मामले 2012 से लेकर 2022 के बीच दर्ज किए गए है। ऐसे में सवाल उठता है कि मप्र में सरकार क्या भ्रष्ट अफसरों पर मेहरबान है। ये सवाल इसलिए क्योंकि, शासन लोकायुक्त को भ्रष्ट अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ जांच की मंजूरी नहीं दे रहा। कई बार पत्राचार के बावजूद विभाग अभियोजन की स्वीकृति में आनाकानी की जा रही है।
इनके खिलाफ अभियोजन का इंतजार
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों का किस तरह संरक्षण किया जा रहा है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बड़वाह के तत्कालीन जनपद सहायक यंत्री एलम सिंह तोमर के विरुद्ध लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते अपराध क्रमांक 204/12, 6 अक्टूबर 2012 में दर्ज किया था। इनके विरुद्ध भ्रनिअ की धाराओं के अलावा 409, 420, 467, 468 तथा 471 में मामला दर्ज किया गया था, लेकिन सरकार ने अभी तक अभियोजन की मंजूरी नहीं दी। वहीं ग्राम पंचायत हीरापुर नैनपुर की सरकार ममता पेंडों के खिलाफ 276/19 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया। जनपद निवाड़ी के तत्कालीन सीईओ हर्ष कुमार खरे के विरुद्ध अपराध क्रमांक 76/20 में भ्रनिअ के तहत प्रकरण 2018 में दर्ज किया गया। रायसेन जिले के जीरापुर में रोजगार सहायक गीता गुर्जर के खिलाफ 237/17 में मामला दर्ज है। इनके विरुद्ध भी भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। वहीं जनपद रनगवां के रोजगार सहायक राममनोहर मिश्रा के खिलाफ 58/21 में भ्रनिअ में अपराध दर्ज है। इसी तरह चांवरपाठा के जनपद सीईओ रविंद कुमार गुप्ता के विरुद्ध लोकायुक्त में अनिअ के तहत 12 मार्च 2021 को अपराध दर्ज किया गया। जनपद पंचायत मुरार के सहायक यंत्री रहे अनिल कुमार शुक्ला विरुद्ध लोकायुक्त ने अपराध क्रमांक 261/19 में भ्रनिअ के तहत मामला दर्ज किया है। गढ़ाकोटा के रोजगार सहायक आशीष कुर्सी के विरुद्ध 99/22 में अनिअ में प्रकरण दर्ज है। करेंरा तहसील के टोडा की ग्राम पंचायत सचिव सीमा यादव के खिलाफ 127/19 में अपराध दर्ज है। मंत्रौली के दादर ग्राम पंचायत सचिव रामप्रकाश द्विवेदी के खिलाफ 03/21 में गोहद जनपद पंचायत के उपयंत्री राजेंद्र कुमार जैन के विरुद्ध अपराध क्रमांक 11/21 में 7-भनिअ में प्रकरण दर्ज है। ग्राम पंचायत चंदोखर के सचिव वीरेंद्र सिंह कुशवाहा के खिलाफ 33/22 में 2022 में अपराध दर्ज किया गया है। ग्राम पंचायत राजा का तोर के सचिव संतोष शर्मा, ग्राम पंचायत पिपल्याघाटा के सहायक सचिव हेमराज मेवाडा, सिरींज के तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आरके श्रीवास्तव के विरुद्ध अपराध क्रमांक 20/10 में भ्रष्टाचार का मामला दर्ज है, जबकि सरकार ने इन्हें बैतूल जिले का कार्यपालन यंत्री बना रखा है। जनपद बाबई की ग्राम पंचायत फुर्तला के सचिव पुरुषोत्तम गौर, आवरी के सचिव पुरुषोत्तम गौर के खिलाफ दो पंचायतों में भ्रष्टाचार करने के मामले दर्ज है, वहीं ग्राम पंचायत लखलौटी के सचिव राजेंद्र प्रताप, सेमरा जिला उमरिया की तत्कालीन सरपंच मोरा द्विवेदों के विरुद्ध भी भ्रष्टाचार में मामला दर्ज है, लेकिन सरकार ने अभी तक लोकायुक्त को अभियोजन की मंजूरी नहीं दी है। ये मामले सरकार के पास 4 साल से पेंडिंग हैं।

Related Articles