- गौरव चौहान
अमरवाड़ा उपचुनाव और मंत्रिमंडल में विस्तार के बाद अब प्रदेश में मंत्रियों को जिलों का प्रभार देने की तैयारी शुरु कर दी गई है। मंत्रिमंडल के गठन के बाद से ही प्रदेश में प्रभारी मंत्री बनने का इंतजार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि अगले हफ्ते तक प्रभारी मंत्री तय कर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री सचिवालय इसको लेकर पहले ही तैयारी कर चुका है। बताया जा रहा है कि किस जिले का प्रभार किस मंत्री को दिया जाए, इसकों लेकर संगठन के साथ मुख्यमंत्री की चर्चा हो चुकी है। इसके बाद मंत्रियों से भी रायशुमारी की जा चुकी है। इसके बाद ही किस मंत्री को किस जिले का प्रभार दिया जाय, इसकी सूची तैयार कर ली गई है। इस सूची में अधिकांश मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभार दिया जाना है। प्रदेश के तीन नए जिले मैहर, मऊगंज और पांढुर्ना को भी पहली बार प्रभारी मंत्री मिलेंगे। प्रदेश में मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों की संख्या बढक़र 32 हो चुकी है। ऐसे में मुख्यमंत्री को छोडक़र बाकी 31 मंत्रियों को प्रभार के जिले दिया जाना है। इनमें दोनों उप मुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और राजेन्द्र शुक्ल भी शामिल है। कैबिनेट में हाल में ही रामनिवास रावत को भी शामिल किया गया है, इससे कैबिनेट मंत्रियों को संख्या बढक़र 21 हो गई है, वहीं 6 राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार और 4 राज्य मंत्री हैं। माना जा रहा है कि वरिष्ठ मंत्रियों को प्रदेश के चारों महानगरों वाले जिलों का जिम्मा सौंपा जाएगा। उन्हें वह जिले मिलना पहले से तय माना जा रहा है, जहां पर वे चुनाव के समय बनाए गए कलस्टर के बतौर प्रभारी काम कर चुके हैं। जिन बड़े चेहरों को महानगर वाले जिलों को प्रभार दिया जा सकता है, उसमें कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, राजेन्द्र शुक्ल और तुलसी सिलावट के नाम शामिल हैं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पहले की यह स्पष्ट कर चुके हैं कि प्रभारी मंत्री ही 15 अगस्त अपने-अपने जिलों में झंडा वंदन करेंगे। मध्य प्रदेश के जिन जिलों में भाजपा का कमजोर जनाधार रहा है उन जिलों का प्रभार वरिष्ठ मंत्रियों को दिया जाएगा। वे प्रभार के जिलों में सरकार और पार्टी दोनों के बीच तालमेल बनाते हुए कार्य करेंगे और प्रयास होगा कि अगले चुनाव में वहां पार्टी का जनाधार पूरी तरह से मजबूत कर लिया जाए।
पहले प्रभार फिर तबादला नीति….
मंत्रियों को प्रभार के जिले पहले बांटे जाएंगे, उसके बाद प्रदेश की तबादला नीति आएगी। इसकी वजह है तबादला नीति में जिला संवर्ग के पदों के तबादले के मामले में प्रभारी मंत्री की बड़ी भूमिका रहती है, बिना प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के तबादला सूची जारी नहीं हो सकती, ऐसे में सरकार ये सूची अगले सप्ताह जारी कर देगी। इसके अलावा प्रभारी मंत्री नहीं बनने की वजह से जिलों में स्थानीय स्तर पर कार्यकर्ताओं के काम नहीं हो पा रहे हैं।
आठ माह से लंबित है मामला
मंत्रियों को प्रभार के जिलों का आवंटन पिछले 8 माह से लंबित है, गणतंत्र दिवस या स्वतंत्रता दिवस समारोहों में आमतौर पर मंत्रियों को गृह या प्रभार के जिलों में झंडावंदन करने का मौका मिलता है, लेकिन पिछले 26 जनवरी को झंडावंदन से पहले मंत्रियों को प्रभार के जिले नहीं मिल सके थे, ऐसे में केवल झंडावंदन के लिए अलग से मंत्रियों के लिए जिले तय कर दिए गए थे। पहले ये माना जा रहा था कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रभार बांट दिए जाएंगे, लेकिन ये नहीं हो सका।
राज्य मंत्रियों को एक जिला का प्रभार
मिले संकेतों के मुताबिक कैबिनेट मंत्रियों को तो दो-दो जिलों का प्रभार दिया जाएगा, लेकिन राज्य मंत्रियों को एक एक जिले का ही प्रभार मिलेगा। बताया जा रहा है कि मंत्रियों ने गृह जिले का भी प्रभार मांगा है, ऐसे में कुछ मंत्रियों की ये मुराद भी पूरी हो सकती है, हालांकि इस बार प्रभार के आवंटन में मंत्री के गृह क्षेत्र और प्रभार के जिलों में ज्यादा दूरी नहीं हो, इसका भी ध्यान रखा जाएगा, जिससे कि उन्हें भ्रमण के दौरान अनावश्यक अधिक समय नहीं गंवाना पड़े।