भाजपा व्यस्त+कांग्रेस पस्त= भितरघाती मस्त

भाजपा-कांग्रेस

गौरव चौहान/बिच्छू डॉट कॉम। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव में बंपर जीत के बाद भी भाजपा ने आराम के बजाय फिर मैदान संभाल लिया है। वहीं करारी हार के बाद पस्त पड़ी कांग्रेस रिलेक्स मूड में दिख रही है। इसका असर यह हो रहा है कि उपरोक्त दोनों चुनावों में अपनी-अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ भितरघात करने वाले मस्त हैं। दरअसल, भाजपा और कांग्रेस को विधानसभा चुनाव के दौरान अनुशासन समिति को मिली शिकायतों पर संगठन ने ज्यादा सख्त एक्शन न लेने का फैसला किया है। हालांकि अभी उन नेताओं को पार्टी में न लेने का फैसला हुआ है, जिन्होंने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ खुलकर बगावत कर चुनाव लड़ा था।
भाजपा और कांग्रेस के सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियां इस बार भितरघात पर पहले की तरह सख्त नजर नहीं आ रही हैं। दरअसल, दोनों दलों की मैदानी पकड़ का एक और परीक्षण आने वाले समय में होने वाले सहकारिता चुनाव में होगा। इसको देखते हुए दोनों पार्टियों ने भितरघातियों पर फिलहाल कार्रवाई करने से परहेज कर रखा है। 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे के बाद भाजपा ने सबसे पहले मतदान केंद्र स्तर की समीक्षा शुरू की। प्रदेश की सभी 29 सीटों पर भाजपा की जीत के बावजूद जिन मतदान केंद्रों पर पार्टी के उम्मीदवार हारे उनको इस समीक्षा में प्राथमिकता पर रखा गया है। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार कितने वोट कम मिले, इसका कारण क्या है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसमें सुधार कैसे हो सकता है जैसे मुद्दे इस समीक्षा में शामिल किए गए। उक्त मतदान केंद्र से जुड़े प्रमुख लोगों से पार्टी पदाधिकारी ने संवाद किया और सवाल जवाब किए गए। जिन बूथ पर पार्टी उम्मीदवार जीते वहां इस बात की समीक्षा हुई कि जितने अंतर से जीते मिलना थी उतने से मिली या नहीं। यदि नहीं मिली तो उसका क्या कारण रहा। यदि जीत का अंतर अपेक्षा से ज्यादा रहा तो उसके क्या-क्या कारण रहे। इस पर भी बूथ से संबंधित लोगों से चर्चा के बाद रिपोर्ट तैयार की गई।
जीत की खुशी में ढीली पड़ी अनुशासन की डोर
सूत्रों का कहना है कि विधानसभा और उसके बाद लोकसभा चुनाव में मिली बम्पर जीत के बाद भाजपा ने अपने भितरघातियों को माफ करने का मन बना लिया है। विधानसभा चुनाव के दौरान अनुशासन समिति को मिली शिकायतों पर संगठन ने ज्यादा सख्त एक्शन न लेने का फैसला किया है। हालांकि अभी उन नेताओं को पार्टी में न लेने का फैसला हुआ है, जिन्होंने पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ खुलकर बगावत कर चुनाव लड़ा था। विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 163 सीटों पर जीत दर्ज कर राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया था। यह जीत खुद भाजपा को हैरान कर देने वाली थी। इस जीत से उत्साहित होकर उसने लोकसभा चुनाव में मिशन-29 का लक्ष्य लिया और इन चुनावों में एकतरफा जीत दर्ज करते हुए कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया। विधानसभा चुनाव के दौरान हारे हुए प्रत्याशियों और उनके समर्थकों ने पाटी के कई नेताओं के खिलाफ थोकबंद शिकायतें की थीं। इसमें सबसे ज्यादा शिकायतें ग्वालियर, चंबल, विंध्य, महाकौशल और मालवा से आइ थीं। वहीं चनाव के दौरान भी पार्टी प्रत्याशियों ने कुछ नेताओं के खिलाफ शिकायतें की थीं। पार्टी ने इनमें से कई क्षेत्रों में एक्शन लेते हुए ऐसे नेता और कार्यकर्ताओं की ड्यूटी अन्य विधानसभा क्षेत्रों में लगा दी थी। जिन क्षेत्रों में उसे हार मिली वहां को लेकर शिकायतें ज्यादा थीं। इनमें कुछ प्रत्याशियों ने तो सीधे जिलाध्यक्ष और टिकट के दूसरे दावेदारों पर सीधे आरोप लगाते हुए कहा गया था कि पार्टी के ही कुछ नेताओं ने उन्हें हराने का षडयंत्र रचा तो कुछ नेताओं पर घर से न निकलने के आरोप भी लगाए गए थे। सूत्रों की मानें तो पार्टी ने इस संबंध में संबंधित नेता का भी पक्ष जाना है। अधिकांश शिकायतों में ज्यादा दम नहीं पाई गई। लिहाजा इन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसके अलावा कुछ शिकायतों को लेकर पार्टी ने दोनों पक्षों के बीच समन्वय बनाने का रास्ता निकाला है।
बंपर जीत के बाद भी आराम नहीं…
लोकसभा चुनाव में मप्र में बंपर जीत के बाद भी भाजपा ने आराम के बजाय फिर मैदान संभाल लिया है। दरअसल, निकट भविष्य में मप्र में सहकारी संस्थाओं के चुनाव होना हैं और इसमें ग्रामीण क्षेत्र के कार्यकर्ताओं की भूमिका बहुत अहम रहेगी। इन्हें सरकारी राजनीति के दांव-पेंच समझाने के मकसद से पार्टी ने अपने उन नेताओं को सक्रिय कर दिया है, जो सहकारिता की राजनीति में अच्छा खासा दखल रखते हैं। उधर, जुलाई के पहले हफ्ते में संभावित भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति एक दिन की होगी। पूर्व में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति दो दिनों की होती रही है पर पिछले कुछ समय से इसे एक दिन का कर दिया गया है। यही नहीं पूर्व में प्रदेश कार्यसमिति अलग अलग शहरों में होती थी पर अब पिछले एक साल से अधिक समय से इसे प्रदेश कार्यालय में आयोजित करना शुरू कर दिया है। कार्यसमिति में अगले तीन महीने की पार्टी की कार्ययोजना तैयार की जाएगी। कार्यसमिति में अमरवाड़ा के साथ बुधनी में होने वाले चुनाव पर भी बात की जाएगी। इसके अलावा सांसदों की अभिनंदन यात्रा का भी खाका तैयार किया जाएगा। कल दिल्ली में मध्यप्रदेश के सांसदों की सीएम और संगठन के आला नेताओं के साथ हुई बैठक में तय किया गया था कि प्रदेश के सभी लोकसभा क्षेत्रों में सांसद अभिनंदन यात्रा पर निकलेंगे। इस यात्रा के दौरान वे जनता का आभार तो व्यक्त करेंगे ही, इसके साथ ही क्षेत्र के विकास के लिए उनके सुझाव भी मांगेंगे। इसके आधार पर विजन डाक्यूमेंट तय किया जाएगा। संसद का सत्र तीन जुलाई तक है। इसके बाद ही प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की जाएगी।

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