बुधनी उपचुनाव की सजने लगी राजनीतिक बिसात

  • गौरव चौहान
बुधनी उपचुनाव

मप्र में भाजपा और कांग्रेस ने छिंदवाड़ा जिले की अमरवाड़ा विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव पर अपना फोकस तो किया ही है, वहीं बुधनी विधानसभा सीट के लिए चौसर बिछानी शुरू कर दी है। विधानसभा ने यह सीट रिक्त घोषित करते हुए इसकी जानकारी चुनाव आयोग को भेज दी है। आयोग अब जल्द ही इस सीट पर उपचुनाव की तारीख का ऐलान कर सकता है। केंद्रीय मंत्री बन जाने से खाली हुई पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की बुधनी सीट पर पार्टियों ने जोर आजमाइश करने की तैयारी शुरू कर दी है। इस प्रतिष्ठापूर्ण सीट को जीतने के लिए भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने संभावित नाम भी उछालना शुरू कर दिए। भाजपा की तरफ से दावेदारों की कतार है तो कांग्रेस की ओर से पूर्व मंत्री राजकुमार पटेल का नाम सामने आया है। संभावना जताई जा रही है कि कांग्रेस पटेल पर दांव लगा सकती है।
लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश से पूरी तरह सूपड़ा साफ किए बैठी कांग्रेस अब विधानसभा की इक्का-दुक्का सीटों की बूंदों से गागर भरने के मूड में दिखाई दे रही है। लगातार भाजपा के कब्जे में रही सीहोर जिले की बुधनी सीट पर अब उपचुनाव होना है। जहां भाजपा अपनी इस परंपरागत सीट को बरकरार रखने के प्रयास में जुट गई है। वहीं, कांग्रेस ने भी यहां फतेह के झंडे गाड़ने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। उम्मीद की जा रही है कि भाजपा इस सीट पर शिवराज के बेटे कार्तिकेय को उम्मीदवार बना सकती है। वहीं, कांग्रेस ने भी अपने संभावित उम्मीदवारों के नाम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। पूर्व मंत्री जयवर्धन सिंह अपने बयानों में लगातार राजकुमार पटेल की तारीफ कर रहे हैं, जिसके चलते इस बात की संभावनाएं बढ़ गई हैं कि बुधनी सीट से पटेल के नाम की लॉटरी खुल सकती है। गौरतलब है कि पटेल क्षेत्रीय निवासी भी हैं और इस विधानसभा में उनके समाजजन बहुतायत में मौजूद हैं।
कांग्रेस अपनाएगी भाजपा मंत्र
सूत्रों का कहना है कि लगातार हार से आहत अब कांग्रेस जीत के लिए प्रयासों में जुटी हुई है। इसके लिए वह भाजपा के बूथ मैनेजमेंट मंत्र को अपनाने की तैयारी कर रही है। कहा जा रहा है कि बुधनी सीट जीतने के लिए वह इसी सूत्र पर काम करने वाली है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के पास पर्याप्त सीटें आई थीं, जिनके आधार पर उसने प्रदेश सरकार बनाई है। ऐसे में एक दो सीटें बढ़ने या कम होने से उसके वजूद पर कोई असर नहीं पडऩा है। ऐसे ही हालात कांग्रेस के साथ भी हैं। उसके खाते में मौजूद सीटों में एक दो विधायकों के बढ़ जाने से उसके वर्चस्व में कोई बदलाव नहीं आने वाला है। उपचुनाव की यह सीटें महज दोनों पार्टियों को आत्म संतोष देने का काम ही करने वाली हैं। कांग्रेस इस सीट पर पूर्व विधायक राजकुमार पटेल को मैदान में उतार सकती है। वहीं भाजपा से आधा दर्जन दावेदार सक्रिय हैं पर फैसला केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की मर्जी से ही होगा। बुधनी सीट को शिवराज सिंह चौहान ने भाजपा के गढ़ के रूप में तब्दील कर दिया था। वे यहां से पांच बार विधायक रहे और उन्होंने हर चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी से लंबे अंतर से जीता।
वहीं शिवराज के सांसद रहने के दौरान राजकुमार पटेल और फिर उनके भाई देवकुमार पटेल इस सीट से विधायक रह चुके हैं पर पिछले दो दशक से अधिक समय से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। शिवराज के रहते इस सीट पर जीत की उम्मीद छोड़ चुकी कांग्रेस को उनके संसद पहुंचने के बाद एक बार फिर जीत की उम्मीद की आस जगी है। पार्टी नेताओं ने बुधनी को लेकर मंथन भी किया है। अधिकांश नेताओं का मानना है कि राजकुमार पटेल इस सीट से सबसे बेहतर प्रत्याशी हो सकते हैं। वे इसी इलाके के रहने वाले हैं और सामाजिक समीकरण भी उनके पक्ष में हैं। पटेल भी किरार समाज से आते हैं। वहीं भाजपा में कई नेता टिकट के लिए प्रदेश के संगठन नेताओं से लेकर दिल्ली तक चक्कर काट रहे हैं। इस क्षेत्र से सबसे पहला नाम तो शिवराज सिंह चौहान के पुत्र कार्तिकेय सिंह चौहान का है पर वे परिवारवाद के दायरे में आ रहे हैं। यही वजह है कई नेता यहां से अपनी उम्मीदवारी जता रहे हैं। विदिशा से सांसद रहे रमाकांत भार्गव, गुरू प्रसाद शर्मा, राजेन्द्र सिंह, रवीश चौहान समेत कई नेता इस लाइन में हैं। राजेन्द्र सिंह ने 2005 में शिवराज के सीएम बनने के बाद उनके लिए यह सीट छोड़ी थी और उपचुनाव में शिवराज विजयी हुए थे। वहीं रमाकांत भार्गव विदिशा से सांसद थे इस बार पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था। सूत्रों की माने तो भाजपा ने यहां से फिलवक्त किसी नाम पर विचार नहीं किया है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक इस सीट पर उसी व्यक्ति को मैदान में उतारा जाएगा जिसका नाम शिवराज सिंह चौहान सुझाएंगे। उपचुनाव मुरैना की विजयपुर और सागर की बीना सीट पर भी तय माना जा रहा है। विजयपुर से रामनिवास रावत ने और बीना से निर्मला सप्रे ने कांग्रेस छोड़ी है ,पर इन दोनों विधायकों ने फिलहाल विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है, लिहाजा उन पर उपचुनाव में अभी समय है।
राज्यसभा चुनाव को लेकर भी सरगर्मी शुरू
केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के गुना लोकसभा से चुनाव जीतने के बाद खाली हुई राज्यसभा की एकमात्र सीट को लेकर भी दावेदार सक्रिय हैं। इस सीट पर चुनाव को लेकर कभी भी अधिसूचना जारी हो सकती है। संभव है कि बजट सत्र के दौरान ही इस सीट पर चुनाव हो जाए। विधायकों की संख्या के माने से यह सीट भाजपा के खाते में जाना तय है ,पर उम्मीदवारी को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है।  हालांकि, प्रदेश सरकार में वन मंत्री नागर सिंह चौहान की पत्नी अनीता सिंह चौहान को टिकट देकर पार्टी इस धारणा को तोड़ चुकी है। जहां तक शिवराज सिंह का सवाल है, वे हमेशा से पार्टी लाइन पर चलने वाले नेता रहे हैं और बुधनी से उम्मीदवार के सवाल पर उनका कहना है कि यह पार्टी को तय करना है।

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