- स्कूलों में ट्रैफिक मैनेजमेंट कोर्स लागू करने का मामला
भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सडक़ दुर्घटनाओं को कम करने और प्रदेश में यातायात सुधार के लिए स्कूली बच्चों को ट्रेफिक मैनेजमेंट का पाठ कोर्स में शामिल करने के लिए पीटीआरआई बीते तीन माह से लगातार काम कर रहा था। यह पूरी कवायद पूरी होने के बाद जब तैयार कोर्स को पढ़ाई के अनुकूल बनाने और उसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग को भेजा तो निराशा ही हाथ लगी है। दरअसल, इसे शिक्षा विभाग द्वारा गठित समिति ने इस सत्र में शामिल ही नहीं किया है। इसकी वजह से यह कोर्स अब दो विभागों में उलझ गया है। पीटीआरआई ने इस कोर्स को 5वीं से लेकर 8वीं तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए तैयार करवाया था। इसे पाठ्यक्रम में एक विषय के तौर पर लागू करने का उद्देश्य यह था कि बच्चे यातायात के नियमों के बारे में जागरूक हो सकें और उसका पालन भी करें।
पुलिस मुख्यालय से भी मिल चुकी था अप्रुवल
पीटीआरआई के अधिकारियों का मानना है कि स्कूली बच्चे यातायात व्यवस्था को एक विषय के रूप में पढ़ेंगे तो उसके बारे में ज्यादा जागरूक रहेंगे। इसके बाद वे अपने परिवार और समाज को भी इस संबंध में जागरूक कर सकेंगे। अभी यातायात व्यवस्था की दिशा में समाज की जो मानसिकता है उसमें बदलाव आएगा। पुलिस ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने सबसे पहले इस प्रस्ताव के पुलिस मुख्यालय से एप्रूवल लिया। इसके बाद इसे एमपी बो बोर्ड और शिक्षा विभाग को भेजा गया।
पहले ही छप चुकी हैं किताबें
पाठ्य पुस्तक निगम के अंतर्गत पाठ्य पुस्तक गठित समिति ही स्कूली शिक्षा में किसी भी विषय के तैयार कर पाठ्यक्रम के तौर पर लागू करती है। समिति के अध्यक्ष प्रकाश बरतूनिया है। उनका कहना है कि यातायात विषय के स्कूली शिक्षा में शामिल करने को लेकर विशेषज्ञों की मीटिंग हो चुकी है। दुविधा यह है कि वर्तमान में इस सत्र के लिए पुस्तकें प्रिंट हो चुकी हैं और वितरण के लिए भी जा चुकी है। इस सत्र में यातायात विषय को लागू कर पाना मुश्किल है। अगले सत्र में जरूर इसे लागू किया जा सकता है।
चालान के डर से लगाते हैं हेलमेट
यातायात से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अभी लोग इस डर से हेलमेट लगाते है कि उनको यातायात पुलिस चैकिंग में पकड़ेगी और चालान बन जाएगा। इसी मानसिकता को खत्म करने के लिए स्कूली बच्चों को यातायात के बारे में शुरुआत से ही जागरूक करना एक बड़ा कारण रहा है। यातायात दुर्घटनाओं में अधिकांशत: युवाओं की जान जा रही है। इसके पीछे यातायात नियमों के प्रति गंभीर न होना और लापरवाही पूर्वक वाहन चलाना भी एक बड़ा कारण है।