- जमीन बेचने का भी मिलेगा अधिकार
- विनोद उपाध्याय
मप्र में सड़कों के आसपास औद्योगिक क्षेत्र, टाउनशिप, लॉजिस्टिक हब, आवासीय टाउनशिप आदि की योजनाएं बनाने और जमीनों को अधिग्रहित कर बेचने का अधिकार मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एमपीआरडीसी) को देने की योजना बनाई जा रही है। इसके पीछे मकसद यह है कि प्रदेश में स्टेट हाईवे और अन्य सड़कों के किनारे संतुलित और व्यवस्थित विकास हो सके। इस परिकल्पना को साकार करने के लिए स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी बनाने की तैयारी हो रही है। सूत्रों का कहना है कि प्रदेश में पहली बार सड़कों का निर्माण करने वाली किसी एजेंसी को स्पेशल प्लानिंग अर्थरिटी बनाने की तैयारी है। मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन को यह दर्जा व अधिकार देने का प्रस्ताव है। ऐसा होने पर आरडीसी सड़क निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहित करने के साथ ही इनके आसपास प्लान किए औद्योगिक क्षेत्र, टाउनशिप, लॉजिस्टिक हब, आवासीय टाउनशिप आदि के लिए भी भू अर्जन कर सकेगा। इस जमीन को बेचकर यानि मनिटाइज कर सडक़ निर्माण की लागत को न्यूनतम किया जा सकेगा। बाकी लागत टोल टैक्स की वसूली कर निकाली जा सकेगी।
दरअसल, मप्र सड़क विकास निगम का गठन करीब 20 साल पहले किया गया था। मप्र राज्य सेतु निर्माण निगम लिमिटेड की जगह आरडीसी को सड़कों के निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था। मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के एमडी अविनाश लवानिया का कहना है कि स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी को लेकर विचार विमर्श किया गया है। यह शुरुआती स्थिति में है। इसकी फिजिबिलिटी, वित्तीय पहलुओं को देखा जाएगा। इसके बाद ही प्रस्ताव आगे बढ़ाया जाएगा।
ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स पर फोकस
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भारतमाला परियोजना के तहत देश भर में 25 ग्रीनफील्ड हाई स्पीड एक्सप्रेस वे का निर्माण करा रहा है। इसमें से चार मप्र से होकर गुजरेंगे। इसी तर्ज पर एमपीआरडीसी भी सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए ग्रीनफील्ड रोड के प्रोजेक्ट्स तैयार कर रहा है। यह सड़कें प्रदेश के नए क्षेत्रों को मुख्य मार्गों से जोड़ेंगी, जिससे अब तक विकास से अछूते रहे क्षेत्रों में इकोनॉमिक डेवलपमेंट की संभावनाओं में बढ़ोतरी होगी। अधिकारियों का मानना है कि ग्रीनफील्ड रोड के पास बहुत सारी भूमि सस्ती दरी पर उपलब्ध होती है। इन पर नए औद्योगिक क्षेत्र, मंडिया, लॉजिस्टिक हब्स, टाउनशिप आदि निर्मित किए जा सकते हैं। इस तरह की सडक़ों का एलाइनमेंट सीधा होने के कारण परिवहन लागत और समय की भी बचत होती है, सड़क दुर्घटनाओं की आशंका में भी कमी आती है।
सेल्फ फायनेंसिंग स्कीम
मप्र रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन अब तक राज्य सरकार से मिलने वाले बजट, पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप से बिल्ट-ऑपरेट-ट्रांसफर और एशियन डेवलपमेंट बैंक व न्यू डेवलपमेंट बैंक से लिए ऋण से राज्य, राष्ट्रीय व मुख्य जिला मार्गों का निर्माण कर रहा है। अब कॉर्पोरेशन सेल्फ फायनेंसिंग स्कीम (स्व वित्त पोषण) की रणनीति पर रोड के प्रोजेक्ट्स तैयार कर रहा है। इसे तब ही अमलीजामा पहनाया जा सकेगा जब आरडीसी को स्पेशल प्लानिंग अथॉरिटी बना कर सडक़ों के आसपास की योजनाएं बनाने व जमीन बेचने का अधिकार मिल सकेगा। इसकी घोषणा का प्रस्ताव विचाराधीन है। प्रदेश में करीब पांच साल पहले भोपाल, इंदौर के बीच सिक्स लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस वे की योजना बनाई गई थी। इसके समानांतर कॉमर्शियल कॉरीडोर व सैटेलाइट टाउनशिप विकसित की जाना थी। शुरुआती डीपीआर में प्रोजेक्ट पूरा करने में तीन साल का समय लगने की बात कही गई थी। साथ ही इस पर 2942 करोड़ रुपए से अधिक खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। ज्यादा खर्च की वजह से इस प्रोजेक्ट पर तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मंत्रियों में ही सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद यह प्रोजेक्ट ड्रॉप कर दिया गया।