- आठ सालों से मारा जा रहा है हक
- विनोद उपाध्याय
मध्यप्रदेश ऐसा राज्य बन चुका है, जिसमें बीते आठ सालों से गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को आईएएस बनाने का मौका ही नहीं दिया जा रहा है। इसके पीछे की वजह है राप्रसे के अफसरों का दवाब। इस बार भी जो प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है, उसमें भी गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों को शामिल नहीं किया गया है। प्रदेश में आईएएस संवर्ग में नियुक्ति के लिए उपलब्ध सभी 7 पद राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दिए जा रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव भेजने के लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अनुमोदन प्राप्त करने फाइल भेजी है। उधर, राज्य पुलिस सेवा के 4 अधिकारियों को आईपीएस संवर्ग में नियुक्ति मिलेगी। इसका प्रस्ताव भी पुलिस मुख्यालय द्वारा तैयार कर लिया गया है। प्रदेश में वर्ष 2016 में अंतिम बार 4 गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को आईएएस संवर्ग में नियुक्ति का अवसर मिला था। इसके लिए संघ लोक सेवा आयोग की समिति द्वारा साक्षात्कार लिया गया था, लेकिन इसके बाद से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों की पर्याप्त उपलब्धता को आधार बनाकर गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को अवसर नहीं दिया जा रहा है, जबकि सरकार चाहे तो उपलब्ध पदों में से 15 प्रतिशत तक पद गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को दिए जा सकते हैं, लेकिन यह प्रावधान बाध्यकारी नहीं है। इसका ही उपयोग करके सामान्य प्रशासन विभाग 2016 से गैर प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का मौका नहीं दे रहा है। कमलनाथ के मुख्यमंत्रित्व वाली कांग्रेस की प्रदेश सरकार में सामान्य प्रशासन मंत्री रहते डॉ. गोविंद सिंह ने इसकी फाइल आगे बढ़ाई थी। तत्कालीन मुख्य सचिव सुधि रंजन मोहंती भी इससे सहमत थे, लेकिन अन्य अधिकारियों की असहमति के कारण मामला अटक गया था। अब एक बार फिर से वही स्थिति बन गई है।
चुनाव के कारण पिछड़ी प्रक्रिया
सूत्रों का कहना है कि अब तक विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक कराने के लिए संघ लोक सेवा आयोग को प्रस्ताव चला जाना चाहिए था, लेकिन लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के कारण प्रक्रिया पिछड़ गई। मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेजा है, जिसे अनुमोदन के बाद केंद्र सरकार के माध्यम से आयोग को भेज दिया जाएगा। 7 पदों के लिए 2006 और 2007 बैच के 21 अधिकारियों के नाम उनके सेवा अभिलेखों के साथ प्रस्तावित किए जाएंगे। हालांकि, कम पद होने के कारण 2007 बैच के अधिकारियों को अवसर मिलने की संभावना कम है।
2015 में चार अफसरों को मिला था आईएएस
कई सालों के अंतराल के बाद 2015 में जब चार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों संजय गुप्ता, डॉ मंजू शर्मा, डॉ. श्रीकांत पांडे और शमीम उद्दीन को आईएएस अवॉर्ड हुआ था, तक कहा गया था कि अब हर साल नॉन डिप्टी कलेक्टर्स का भी आईएएस अवार्ड होगा। लेकिन मामला वहीं अटक गया है। प्रदेश के गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को बीते 10 साल से प्रमोट नहीं किया जा रहा है। इस कारण करीब 200 से अधिक अधिकारी आईएएस बनने का सपना लिए ही रिटायर हो गए। साथ ही 100 से ज्यादा अधिकारी इस कतार में हैं। दरअसल, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के मापदंडों के मुताबिक आईएएस संवर्ग के 439 में से 22 पदों पर इन अधिकारियों को प्रमोट किया जाना चाहिए।
दूसरे राज्यों में हर साल हो रही पदोन्नति
प्रदेश में आईएएस संवर्ग के 439 पद हैं। इनमें से 66 फीसदी यानि 293 पद सीधी भर्ती से और 146 पद प्रमोशन से भरे जाते हैं। इनमें से 15 फीसदी यानि 22 पदों पर गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को प्रमोट किया जाना चाहिए। लेकिन मप्र में सभी पदों पर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को ही प्रमोशन दिया जा रहा है। जबकि मप्र के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान, छत्तीसगढ़ में अधिकारियों को प्रमोशन मिल रहा है। जबकि, डिप्टी कलेक्टरों के समान इन्हें भी इस अवार्ड से नवाजने का नियम है। जनवरी, 2024 में भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने मप्र शासन को पत्र लिखा था, उसके बाद भी राज्य से प्रस्ताव दिल्ली प्रेषित नहीं किया गया है। आईएएस अवार्ड देने का जो नियम है, उसके अनुसार प्रतिवर्ष भारत सरकार का कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सभी राज्य सरकारों को एक पत्र लिखकर प्रस्ताव मांगता है। भारत सरकार ने 2 जनवरी, 2024 को मप्र सरकार को पत्र लिखा था। इसमें उल्लेख था कि 30 जनवरी तक प्रस्ताव भेजा जाए, लेकिन अब तक भारत सरकार को प्रस्ताव नहीं भेजा गया।
प्रमोशन में यहां फंस रहा पेंच
विभागों से उत्कृष्ट श्रेणी के अधिकारियों की सूची मांगने का काम सामान्य प्रशासन विभाग की शाखा (1) करती है। आईएएस अवॉर्ड का इंतजार कर रहे अधिकारियों का कहना है कि इस शाखा के प्रमुख पदों पर जब से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी पदस्थ हुए हैं। तब से गैर-राप्रसे के नाम ही नहीं मांगे जा रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि नियमानुसार गैर राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों से 15 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरे जाने चाहिए। लेकिन इसमें यह भी लिखा गया है कि यह सरकार पर निर्भर करेगा। ऐसे में लंबे समय से आवेदन नहीं मंगाने से कई योग्य अधिकारी आयु सीमा पूरी करने से अयोग्य हो गए हैं।