मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच दरार डालने की कोशिश: मनोज जरांगे

मनोज जरांगे

मुंबई। मराठा समुदाय और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) द्वारा आरक्षण की मांग पर विवाद बढ़ता जा रहा है। एक तरफ मनोज जरांगे हैं तो दूसरी तरफ ओबीसी कार्यकर्ता। ये लोग अपनी मांग पर अड़े हुए हैं और भूख हड़ताल कर रहे हैं। ऐसे में महाराष्ट्र के तीन मंत्रियों और विधान परिषद के एक सदस्य ने शुक्रवार को ओबीसी कार्यकर्ताओं लक्ष्मण हाके और नवनाथ वाघमारे से मुलाकात की और उनसे अपना अनशन समाप्त करने का अनुरोध किया।

मंत्री अतुल सावे, उदय सामंत और गिरीश महाजन तथा विधान पार्षद गोपीचंद पडलकर के प्रतिनिधिमंडल ने जालना जिले के वाडीगोदरी गांव में प्रदर्शन स्थल पर कार्यकर्ताओं से मुलाकात की। इस मौके पर शिवसेना के नवनिर्वाचित सांसद संदीपन भुमरे भी मौजूद थे। महाजन ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भी मंच से फोन किया और प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं से बात कराई।

बाद में, पडलकर ने कहा कि ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदाय और सरकार के एक प्रतिनिधिमंडल के बीच मुंबई में एक बैठक आयोजित की गई है। महाजन ने बताया कि हाके द्वारा नामित पांच ओबीसी नेता शाम पांच बजे होने वाली बैठक में शामिल होंगे। उन्होंने आगे कहा कि बातचीत के बाद ही कोई रास्ता निकल सकता है। सरकार किसी के साथ अन्याय नहीं होने देगी।

गौरतलब है, हाके और बाघमारे 13 जून से अनशन पर हैं। उन्होंने आंदोलन रोकने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय उन्होंने सरकार से लिखित आश्वासन मांगा कि ओबीसी कोटा को कमजोर नहीं किया जाएगा।

कार्यकर्ता मनोज जरांगे मराठाओं को कुनबी समाज में शामिल कराने मांग कर रहे हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की श्रेणी में आती है। वे चाहते हैं कि मराठाओं के सभी रक्त संबंधियों का कुनबी जाति में पंजीकरण किया जाए। महाराष्ट्र में कुनबी खेती-बाड़ी से जुड़ा समुदाय है, जिसे ओबीसी में शामिल किया गया है। इन लोगों को सरकारी नौकरियों से लेकर शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण मिलता है। अब जरांगे मांग कर रहे हैं कि सभी मराठाओं को कुनबी प्रमाण पत्र जारी किए जाएं, इस प्रकार वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में कोटा के लिए पात्र हो जाएं।

सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर मराठा और ओबीसी समुदायों के बीच तनाव पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया और संकल्प जताया कि वह ऐसा नहीं होने देंगे। 41 वर्षीय कार्यकर्ता छत्रपति संभाजीनगर के एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे।

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