भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। देश के सबसे बड़े एक्सप्रेस वे में शामिल अटल प्रगति पथ पर पांच साल बाद भी काम शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में वे किसान हैरान परेशान हैं, जिनकी जमीन पहले इसके निर्माण के लिए अधिग्रहित की गई और बाद में उसमें से उस सर्वे को निरस्त कर दिया गया। अब तक इस सर्वे निरस्तीकरण को लेकर शासन ने आदेश ही नहीं निकाला है, जिसकी वजह से खुद की जमीन होते हुए भी वह जमीन पराई बनी हुई है।
इसकी वजह से न तो किसान अपनी जमीन को परिजनों के नाम पर कर पा रहे हैं और न ही उसे बेंच पा रहे हैं। ऐसे एक नहीं कई मामले सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला है अंबाह में रहने वाले बुजुर्ग व बीमार किसान रामभजन प्रजापति का। उनकी पैतृक गांव डिंडौली में जमीन है। वे इस जमीन को अपने तीन बेटों के नाम करना चाहते हैं, पर कर नहीं पा रहे, क्योंकि उनकी जमीन अटल प्रोग्रेस-वे के लिए अधिग्रहण के दायरे में आ चुकी है। इसी तरह श्योपुर जिले के मानपुर गांव निवासी किसान देवीशंकर गोस्वामी अपनी जमीन को बेचने के लिए सौदा कर चुके हैं, पर अब रजिस्ट्रार कार्यालय में उसकी जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो रही। यह तो केवल दो उदाहरण हैं। चंबल अंचल के मुरैना, श्योपुर और भिंड जिलों के 214 गांवों के 26448 किसान हैं, जिनकी जमीन अटल प्रगति पथ (एक्सप्रेस-वे) के निर्माण के लिए ले ली गई है, जमीनों के अधिग्रहण की कार्रवाई लगभग पूरी हो चुकी थी। मुरैना जिले के 110 गांवों के 14025 किसानों की जमीन लेने के लिए दावे-आपत्तियों तक का निराकरण फरवरी 2023 में कर दिया गया था। इसीलिए इन किसानों की जमीन की खरीद-बिक्री प्रतिबंधित करते हुए रजिस्ट्री-नामांतरण पर रोक लगा दी है। अब समस्या यह है, कि अटल प्रोग्रेस-वे के उस सर्वे को तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 27 मार्च 2023 को निरस्त कर चुके हैं, जिस सर्वे में इन किसानों की जमीन ली गई थी। प्रोग्रेस-वे के लिए नया सर्वे हो नहीं रहा और पुराना सर्वे शासन ने निरस्त नहीं किया, प्रगति पथ के निर्माण को सवा साल से शासन-प्रशासन ने बिसरा दिया है और इस उलझन में किसान फंसकर रह गए हैं और फिलहाल अफसरों के पास भी इस समस्या का कोई समाधान नहीं है।
प्रदेश के तीन जिलों में होना है निर्माण
अटल प्रगति पथ फोर लेन एक्सप्रेस-वे हैं, जिसकी कुल लंबाई 404 किलोमीटर है। यह एक्सप्रेस-वे चंबल अंचल के मुरैना, भिंड व श्योपुर जिले को राजस्थान में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से जोड़ता हुआ उप्र में बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे से कनेक्ट होगा। इसके अलावा सात राष्ट्रीय राजमार्गों को भी जोड़ेगा। इस मेगा प्रोजेक्ट पर लगभग 8000 करोड़ रुपये का खर्च अनुमानित है। इसी तरह से इसके आसपास औद्योगिक क्षेत्र, पर्यटन क्षेत्र विकसित करने की भी योजना है।
पांच बार हो चुका है नामकरण
इस एक्सप्रेस-वे की घोषणा 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले की गई थी। जिसके पांच बार तो नाम बदले जा चुके हैं। पहला नाम एक्सप्रेस वे था, जिसे चंबल एक्सप्रेस-वे किया गया, फिर चंबल प्रोग्रेस-वे नाम रखा गया ये भी पसंद नहीं आया तो चौथी बार अटल प्रोग्रेस-वे नाम किया गया। 2022 में इस प्रोजेक्ट को भारत माला परियोजना में शामिल किया गया तो पांचवी बार नाम बदलकर अटल प्रगति पथ किया गया। इतना ही नहीं तीन बार इसका अलाइनमेंट बदल चुका है। पहले यह प्रोजेक्ट घडिय़ाल सेंक्चुरी की जद में आ गया, तब पहली बार अलाइनमेंट बदलना गया। बीहड़ों में एक्सप्रेस-वे को बनाने की मंजूरी पर्यावरण मंत्रालय ने नहीं दी, इस कारण तीसरी बार सर्वे हुआ, जिसमें अधिकांश जमीन निजी थी, इसे पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने निरस्त कर दिया था।
जिला निजी जमीन (हेक्टेयर में) प्रभावित किसान गांव
मुरैना 1102.00 14025 110
भिंड 288.80 10957 41
श्योपुर 660.292 1466 63
कुल 2040.372 26448 214
21/06/2024
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