अब बायोमेट्रिक फेस अटेंडेंस सिस्टम सख्ती से होगा लागू

बायोमेट्रिक फेस अटेंडेंस सिस्टम
  • सरकारी कार्यालयों में पदस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों की मनमर्जी पर लगेगी रोक

भोपाल/बिच्छू डॉट कॉम। सरकारी विभागों के कर्मचारियों की देर से कार्यालय आने और गायब हो जाने की मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए प्रदेश सरकार बॉयोमेट्रिक फेस से उपस्थिति की व्यवस्था इस बार कड़ाई से लागू करने का मन बना रही है। यह व्यवस्था प्रदेश मुख्यालय से लेकर नीचे तक सभी विभागों के प्रत्येक कार्यालय में लागू करने की योजना है। केंद्र सरकार के कार्यालयों की तर्ज पर इसे लागू करने पर फिर से काम किया जा रहा है। बता दें कि पहले भी शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में बायोमेट्रिक फेस अटेंडेंस लागू करने की पहल की गई थी, लेकिन यह सफल नहीं हो सकी, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) हाल ही में इसको लागू करने के निर्देश दे चुका है। समस्त विभाग के अधिकारियों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर कहा गया है कि उन्हें मंत्रालय से लेकर मुख्यालय और जिला से लेकर तहसील कार्यालय तक कर्मचारियों की उपस्थिति की व्यवस्था लागू करनी होगी। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) उपकरण क्रय किए जाएंगे। गौरतलब है कि राज्य मंत्रालय वल्लभ भवन में कर्मचारियों की लेतलतीफी पर अंकुश लगाने के लिए तत्कालीन सीएस राकेश साहनी के समय बायोमेट्रिक सिस्टम लागू किया गया था। इस सिस्टम के जरिए कुछ समय तक तो कर्मचारियों तथा अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन बाद में ये सिस्टम पूरी तरह फेल हो गया और सुबह 10.30 बजे की जगह कर्मचारी दोपहर तक मंत्रालय आने लगे। खासकर अधिकांश महिला कर्मचारी तो 12 बजे के बाद ही मंत्रालय आतीं है, इसका कई बार विरोध भी हुआ, लेकिन उन पर कोई असर नहीं पड़ा। गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में बायोमेट्रिक फेस अटेंडेंस लागू करने की पहल मंत्रालय में की गई थी। इस काम पर जीएडी प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च किए थे और पुरानी बिल्डिंग के प्रत्येक फ्लोर पर मंत्रालय आने-जाने वाले स्थान पर बायोमेट्रिक अटेंडेंस सिस्टम लगाया गया था। कुछ स्थानों पर कर्मचारी अंगूठा लगाकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे, तो कुछ स्थानों पर फेस के माध्मय से। ये सिस्टम मंत्रालय में अधिकतम एक साल ही चला और इसे फेल कराने में कर्मचारियों की भूमिका कम नहीं रही। धीरे-धीरे कर्मचारियों ने बायोमेट्रिक सिस्टम पर अंगूठा लगाना बंद कर दिया और संबंधित विभाग के रजिस्टर में उपस्थिति दर्ज कराने लगे, जबकि बड़े अफसरों की उपस्थिति के लिए मंत्रालय में ऐसा कोई रजिस्टर नहीं बनाया गया है।
सिस्टम को फेल कराने में महिलाओं का बड़ा हाथ
बायोमेट्रिक सिस्टम को फेल कराने में महिला कर्मचारियों का सबसे बड़ा हाथ माना जा रहा है। क्योंकि वे घर में खाना बनाने और बच्चों से फ्री होने के बाद ही ड्यूटी करने आती हैं, जिसके कारण कोई महिला कर्मी 11.30 बजे मंत्रालय आ पाती हैं, तो कोई 12 बजे या इसके बाद। इससे मंत्रालय का कामकाज भी देरी से प्रारंभ होता है। अब सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) हाल ही में इसको लागू करने के निर्देश दिए हैं। ये सिस्टम समस्त विभागों के अधिकारियों को मंत्रालय से लेकर मुख्यालय और जिला से लेकर तहसील कार्यालय तक कर्मचारियों की उपस्थिति के लिए लागू करना होगा। इसके लिए आधार सक्षम बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली (एईबीएएस) उपकरण क्रय किए जाएंगे। खास बात यह है कि कर्मचारियों की ईएल और सीएल भी इसी प्रणाली के सॉफ्टवेयर के माध्यम से ऑनलाइन स्वीकृतियां खारिज की जाएगी। वहीं दिव्यांग कर्मचारियों की सुविधा के लिए इसमें अलग व्यवस्था होगी। जीएडी के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी का कहना है कि सभी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। मंत्रालय के कर्मचारियों के स्मार्ट आइडी कार्ड पर भी विचार कारपोरेट आफिस की तर्ज पर मंत्रालय के कर्मचारियों के स्मार्ट आईडी कार्ड बनाने पर भी विचार किया जा रहा है। कार्ड के स्कैन करने पर गेट ओपन होने से लेकर अन्य कार्य कार्ड की मदद से संभव हो सकेंगे। हालांकि इस पर अभी सहमति नहीं बनी है।

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